Short News in English
Location: | Khatamala |
Headline: | Anuvrata is Ideal Code of Conduct ► Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman addressed students and local people at Khatamala. He explained Anuvrata code of conduct. He told students to accept vow to stay addict free and many students accepted vow. |
News in Hindi
खटामला में प्रवचन, मार्ग में ग्रामीणों और विद्यार्थियों को दिलाया नशामुक्तिका संकल्प
परस्पर सौहार्द आवश्यक: महाश्रमण
खटामला में प्रवचन, मार्ग में ग्रामीणों और विद्यार्थियों को दिलाया नशामुक्तिका संकल्प
केलवा ११ नवबर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ के 11वें अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति में परस्पर सौहार्द की भावना रहना आवश्यक है। इसके लिए मनुष्य अपने जीवन में धर्म और संयम के पथ पर अग्रसर होने का प्रयास करे।
आचार्यश्री ने उक्त विचार यहां से सात किलोमीटर दूर खटामला गांव के माध्यमिक विद्यालय मैदान में श्रावक समाज को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अणुव्रत एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्य में अहिंसा के प्रति चेतना जागृत कर सकता है। यह सभी के लिए कल्याणकारी है। अन्य लोगों के प्रति मन में उदारता का भाव रखें और संकीर्ण विचारधारा को छोड़कर विरोध और झगडे से बचने का प्रयास करें तो देश में सांप्रदायिक सौहार्द और परस्पर प्रेम की भावना को बरकरार रखा जा सकता है। अणुव्रत भी जीवन जीने की आदर्श आचार संहिता है। यह जीवन जीने का तरीका सिखाती है। अणुव्रत हमें सद्भावना के साथ इंसानियत भी सिखाती है। साधना करने से संयम की पुष्टि और निर्जरा की प्राप्ति हो सकती है। संयम और तपस्या का मूल माना गया है।
आसक्तियों से दूर रहें
उन्होंने संबोधि के सातवें अध्याय में उल्लेखित सर्वत्र वीतरागता को परिभाषित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने कर्मों से निर्जरा प्राप्त करता है और संयम की भावना का समावेश करता है। वह इस पथ पर अग्रसर हो सकता है। मनुष्य को पदार्थों और मोह से दूर रहने के साथ ही विभिन्न आसक्तियों से परे रहने का प्रयास करना चाहिए। मोह और आसक्ति व्यक्ति में अन्य के प्रति कड़वाहट का भाव पैदा हो सकता है। व्यक्ति को अपने मन में किसी पदार्थ अथवा प्रिय वस्तु को लेकर की जाने वाली आसक्ति को त्यागने की आवश्यकता है। हम अनासक्ति में रहकर अपना जीवन व्यतीत करने का प्रयास करें, तभी मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो सकते है।
नशे की प्रवृत्ति को त्यागें
उन्होंने लोगों को नशे सरीखे व्यसन से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इससे न केवल शरीर का नाश होता हैं वरन परिवार को आर्थिक तंगी के दौर से भी गुजरना पड़ता है। नशे की प्रवृत्ति व्यक्ति को अपराध के मार्ग की ओर भी धकेलती है। व्यक्ति जीवन में नशा करता है तो उसका ध्यान और चित्त वश में नहीं रहता और वह अपराध कर बैठता है। मनुष्य इस बात का प्रण लें कि वह स्वयं भी नशा नहीं करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित न करें। आज घरेलू हिंसा का एक प्रमुख कारण नशे को भी माना गया है। अच्छे व्यक्ति की यह पहचान है कि वह किसी प्रिय-अप्रिय बात को सहन करने की क्षमता रखता हो। सभी के प्रति समता का भाव रखना एक साधना के समान है। केलवा से खटामला विहार के दौरान मार्ग में आने वाले गांवों में उन्होंने स्कूलों में विद्यार्थियों और ग्रामीणों को नशामुक्ति की प्रेरणा देते हुए संकल्प दिलाया।
मंगल भावना समारोह में बहुमान
केलवा कस्बे के तेरापंथ समवसरण में गुरुवार रात को इस चातुर्मास के अंतिम मंगल भावना समारोह में अच्छा कार्य करने वाले लोगों को ग्राम पंचायत, तेरापंथी सभा और व्यवस्था समिति की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट कर बहुमान किया गया। इस दौरान कन्या मंडल की ओर से मंगलगीत का संगान किया गया।
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में शाम सात बजे आयोजित समारोह में ग्राम पंचायत के सरपंच दिग्विजयसिंह राठौड़ की ओर से व्यवस्था समिति के सभी पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। व्यवस्था समिति की ओर से इंद्रराज बांठिया, देवेंद्रसिंह का सम्मान किया गया। इस दौरान व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, स्वागताध्यक्ष परमेश्वर बोहरा, तेरापंथी सभाध्यक्ष बाबूलाल कोठारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संपतलाल मादरेचा, संयुक्त महामंत्री मूलचंद कोठारी, मंत्री लवेश मादरेचा, विद्युत व्यवस्था संयोजक राजेन्द्र कोठारी, चिकित्सा प्रकोष्ठ संयोजक महेन्द्र कोठारी अपेक्स, प्रकाश चपलोत, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री रत्ना कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद मंत्री लक्की कोठारी, कन्या मंडल की संयोजिका किरण कोठारी, प्रेक्षा कोठारी, नेहा मादरेचा ने भी विचार व्यक्त किए।