News in Hindi
महोत्सव से लें वर्धमान होने की प्रेरणा-आचार्य महाश्रमण
महोत्सव से लें वर्धमान होने की प्रेरणा
लावासरदारगढ़ Published on 13 Jan-2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो मुंबई
आचार्य महाश्रमण ने वर्धमान को अर्थवान शब्द बताया। उन्होंने कहा कि वर्धमान शब्द का प्रयोग भगवान महावीर के लिए है। हम वर्धमान महोत्सव मना रहे हैं और इसमें भगवान महावीर का नाम जुड़ा है। इस लिहाज से यह भी कह सकते हैं कि यह भगवान महावीर की परम्परा का महोत्सव है। इससे वर्धमान बनने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
आचार्य श्री गुरुवार को यहां राजकीय चिकित्सालय परिसर में वर्धमान महोत्सव के शुभारंभ पर धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें वर्धमान होने की प्रेरणा वर्धमान महोत्सव से लेनी चाहिए। साधु साध्वियों, समण श्रेणी के लिए तो विशेष ज्ञातव्य है कि वे साधना की दृष्टि से वर्धमान बनें। इसके लिए जरूरी है कि बड़ों को सम्मान दें और उदार बनें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि बतिर्विहारी साधु साध्वियों के लिए आचार्य का पाथेय प्राप्त करने की दृष्टि से वर्धमान महोत्सव विशेष उत्सव है। तेरापंथ धर्म संघ के सदस्यों के मन में संघ, गुरु व सधार्मिक साधु-साध्वियों के प्रति बहुत भावना है। तेरापंथ का श्रावक समाज भी मर्यादित है। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने तेरापंथ धर्म संघ की वर्धमानता के घटकों पर वक्तव्य देते हुए कहा कि तेरापंथ के आचार्य अन्तर्दृष्टि सम्पन्न हैं और पूरा समाज अपने आचार्य के प्रति समर्पित है। आचार्य का चिन्तन ही उनके लिये सर्वोपरि होता है। अपने गुरू के प्रति संपूर्ण समाज में समर्पण का भाव है। इन सब कारणों से ही तेरापंथ धर्म संघ वर्धमान है।