16.02.2012 ►Kakarva ►Absence of Knowledge is Reason For Foolishness

Published: 16.02.2012
Updated: 21.07.2015

ShortNews in English

Kakarva: 16.02.2012
Absence of Knowledge is reason for Moh, Foolishness: Acharya Mahashraman

News in Hindi

मूढ़ता मोह व मूर्खता अज्ञान के कारण होती है
काकरवा में धर्म सभा के दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा

कुंभलगढ़ १६ फरवरी २०१२ जीन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति में मूढ़ता तभी होती है जब वह मोह में फंसा होता है और व्यक्ति मूर्ख तभी बनता है जब व ज्ञान के अभाव में होता है। आचार्य बुधवार को काकरवा में चेतन तत्व व अचेतन तत्व की व्याख्या करते श्रावकों संबोधित कर हरे थे।

उन्होंने कहा कि अचेतन में ज्ञान व अनुभव संवेदना नहीं होती है। चेतन तत्व में ज्ञान संवेदना अनुभव सब होते हैं, पर चेतन भी कई बार सारा ज्ञान सम्यक पराक्रम नहीं कर पाता है। उन्होंने कहा की जब चित्र आवृत होता है तब वह ज्ञान नहीं कर सकता जैन तत्व विद्या के अनुसार आठ कर्मों में ज्ञानावरणीय कर्म का काम चेतना को आवृत कर देना है। आवृत ज्ञान नहीं कर पाती है। जब शक्ति प्रति हत हो जाती है तो चेतना पराक्रम नहीं कर सकती। अंतराय कर्म के उदय होने से आदमी पराक्रम नहीं कर पाता। व्यक्ति की चेतना जब मोहग्रस्त हो जाती है मूढ़ हो जाती है तो वह न तो सम्यक श्रद्धा को प्राप्त कर सकती है ना ही सम्यक आचार को। मूढ़ता मोह के कारण से होती है ओर मूर्खता ज्ञान के अभाव के कारण से होती है। मूढ़ता मोहनीय कर्म का उदय और मूर्खता ज्ञानावरणीय कर्म का उदय होती है। मूढ़ चेतना विकार मुक्त होती है और विकृत चेतना सम्यक दर्शन को प्राप्त नहीं कर सकती।

आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा को जानना और उसे देखना कोई बिरला व्यक्ति ही कर सकता है। भगवान महावीर स्वामी उन बिरलों में से एक थे, जिन्होंने आत्मा का साक्षात किया। श्रावक समाज का भी यह लक्ष्य होना चाहिए कि वह साधना और संयम की दिशा में बढ़ता जाए। साधना के क्षेत्र में केवल मांगना ही नहीं जानना भी आवश्यक है। जानने के बाद सम्यक मार्ग की पहल करनी चाहिए। जंगल तक जाना सम्यक हो सकता है, लेकिन मूल आवश्यकता इस बात की है कि हम राग-द्वेष से बचने की साधना करें। आत्मा कल्पना की बात नहीं है। इसकी अनुभूति होनी चाहिए। क्योंकि साधना के माध्यम से हम आत्मा के दर्शन कर सकते हैं। इस दौरान गांव के शंकर लाल सोनी, शेषमल सोनी सहित ग्रामीणों ने आचार्य महाश्रमण की अगवानी की। कार्यक्रम में कई श्रावक श्राविकाएं मौजूद थे।

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Acharya
  2. Acharya Mahashraman
  3. Mahashraman
  4. आचार्य
  5. आचार्य महाश्रमण
  6. ज्ञान
  7. दर्शन
  8. महावीर
Page statistics
This page has been viewed 983 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: