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शिक्षा की गुणवत्ता वर्तमान की आवश्यकता: तलेसरा
२६ फरवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैविभा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
लाडनूं. शिक्षक शिक्षा ही एकमात्र वो कड़ी है, जिसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम बदलाकर कर समाज में नई क्रांति लाई जा सकती है। ये विचार शनिवार को जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में अध्यापक शिक्षा में नवप्रवृत्तियां विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. हेमलता तलेसरा ने व्यक्त किए।
गुजरात से आईं प्रो. तलेसरा कहा कि यदि शिक्षक शिक्षा में नई प्रवृत्तियां व नवीन आयाम समय-समय पर जोड़े जाएंं तो निश्चित ही देश का भविष्य सुदृढ़ बनेगा। शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करना वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता है। महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के डीन डॉ. सुरेंद्र सहारण ने शिक्षक शिक्षा को विकसित व परिवर्तित करने के प्रयासों पर बल देते हुए नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देने की बात कही। प्रो. अशोक शर्मा ने कहा कि मानव मन में निरन्तर चिंतन व संघर्ष चलता रहता है। जिसके फलस्वरूप नवीन प्रवृत्तियों का उदय होता है। हमें केवल तकनीकी को ही नवप्रवृत्तियों में नहीं मानना चाहिए, अपितु प्राचीन तथा नवीनता का समन्वय करते हुए चलना चाहिए। उन्होंने विदेशी प्रवृत्तियों को देशानुकूल बनाते हुए ग्रहण करने की बात कही। इससे पूर्व संगोष्ठी के शुभारंभ पर अतिथियों ने सरस्वती पूजन किया तथा छात्राध्यापिकाओं ने मंगलाचरण की प्रस्तुती दी। डॉ. अमिता जैन ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया।
अतिथियों का डॉ. आभा सिंह अदिति गौतम व डॉ. सरोज राय ने साहित्य भेंट कर स मान किया। बी प्रधान ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नवीन शैक्षिक तकनीक के प्रति शिक्षक तथा शिक्षार्थियों में कौशल विकसित करना, मनोवैज्ञानिक प्रविधियों के प्रति संवेदनशील वातावरण निर्मित करना, नवीन प्रवृत्तियों के रूप में नई प्रविधियों पर चिंतन करना, शैक्षिक अनुसंधान में गुणवत्तावर्धक विचारों से अवगत कराना, शिक्षक प्रशिक्षक तथा प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षक शिक्षा की विभिन्न प्रवृत्तियों तथा चुनौतियों की ओर प्रेरित करना तथा शिक्षक शिक्षा में शिक्षक तथा शिक्षार्थियों को नवीन दार्शनिक प्रवृत्तियों से अवगत कराना इस सेमिनार के मुख्य उद्देश्य है। संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों से आए दर्जनों शिक्षाविदों, शिक्षक व प्रशिक्षकों ने विषय संबंधित पत्रवाचन किया। संचालन उर्मिला आर्य ने किया।