ShortNews in English
Aaua/ Bithuda/ Karadi: 18.03.2012
Violence should be avoided to Get Money and Power. Acharya Mahashraman expressed these views.
News in Hindi
PALI
'भोगों की रक्षा के लिए हिंसक नहीं बनें' -शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी
मारवाड़ जंक्शन/धनला। Sunday, 18 Mar 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
---------------------
कराडी गाव / बिठुडा / आउआ
१८ मार्च २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी कराडी गाव / बिठुडा / आउआ होते हुए आज मारवाड़ जंक्शन पधार रहे है!!
----------------------- जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो -------
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी ने कहा कि आदमी को भोगों की रक्षा के लिए हिंसक नहीं बनना चाहिए। वे शनिवार को समीपवर्ती गांव बिठौड़ा में अहिंसा यात्रा के तहत प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वस्तुत: आज के परिवेश में आदमी भोग अर्थात सुख के साधनों प्राप्ति के लिए हिंसा पर उतारू हो जाता है। मुख्य रूप से तीन प्रकार के साधनों के लिए आज का मानव हिंसक बन जाता है। पहला कारण धन पाने की होड़। पैसा पाने के लिए व्यक्ति झूठ बोलकर अनैतिक कार्य कर देता हैं।
मानव की हिंसकवृत्ति का दूसरा कारण काम वासना है। तीसरा कारण है सत्ता पाने की होड़। राजनीति में सत्ता पक्ष का भोग सुरक्षित रखने के लिए एक-दूसरे की हत्या व षड़यंत्र जैसे घिनोने कृत्य भी मानव की हिंसक प्रवृति को ही प्रतिपादित करते हैं। हमारे देश में लोकतंत्र की व्यवस्था के साथ-साथ दंड संहिता के लिए न्यायालय की व्यवस्था भी है, जो आज की महत्ती आवश्यकता है। बढ़ती हुई अपराध वृत्ति को रोकने के लिए मानसिक परिवर्तन के साथ दंड संहिता का भी योगदान है। सजा के खौफ से अपराध कम हो सकते हैं।
बिठौड़ा आगमन के विषय में आचार्य ने बताया कि बिठौड़ा गांव एक महत्वपूर्ण गांव है, जहां आचार्य भिक्षु जैसे महासंत ने अपने शिष्य का निर्माण कर उत्तराघिकारी बनाया था। इससे पूर्व आऊवा से विहार कर आचार्य महाश्रमण और उनकी धवल सेना काराड़ी गांव पहुंची। यहां विधायक केसाराम चौधरी की उपस्थिति में ग्रामीणों ने स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिए। अल्प प्रवचन करने के बाद अनवरत आगे बढ़ते हुए बिठौड़ा में मंगल प्रवेश किया। कार्यक्रम में जैन संघ के बाबुलाल खांटेड़, पण्डित हिरालाल ओझा, समाजवादी जनता पार्टी कांचीपुरम के जिलाध्यक्ष तथा तेरापथं सभा के जिलाध्यक्ष डी. मोहनलाल जैन सिसौदिया, चक्रवतीसिंह जोजावर, कवि सुखदेवसिंह राजपुरोहित सहित क्षेत्रवासियों ने आचार्य के दर्शन किए।