19.06.2012 ►Pachpadra ►Maryada by Acharya Bhikshu is Boom for Us► Acharya Mahashraman

Published: 19.06.2012
Updated: 02.07.2015

ShortNews in English

Pachpadra: 19.06.2012

Five Mahavrata, Five Samity and Three Gupti are 13 rule for Sadhu. All Sadhu should preserve it. Sadhana should be aim of Sadhu. Acharya Mahashraman said all these things.

News in Hindi

आचार साधु के लिए संपदा: आचार्य

आचार साधु के लिए संपदा: आचार्य
पचपदरा १९ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि साधु और गृहस्थ के जीवन में आचार एक खजाना होता है। महाव्रतों की साधना उसका कर्तव्य होता है। साधु को अपने आचार के प्रति दृढ़ निष्ठा बनाए रखना चाहिए। आचार्य ने 5 महाव्रतों, 5 समितियों व 3 गुप्तियों को साधु का आचार व साधु की संपदा बताते हुए कहा कि साधु के लिए ये 13 नियम कॉपर्स है, जिसको सुरक्षित रखना चाहिए। महाव्रत को बड़ा खजाना बताते हुए आचार्य ने कहा कि जो साधु केवल ध्यान करता है पर अहिंसा, यमों, व्रतों आदि का पालन नहीं करता तो वह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। यमों व व्रतों का पालन करने वाले का कल्याण निश्चित है, चाहे वह ध्यान करे या न करे। आचार्य महाश्रमण सोमवार को पचपदरा में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समिति-गुप्ति के प्रति जागरूक रहने, निर्मल रहने से महाव्रतों की सुरक्षा होती है। हमारे लिए महाव्रत वीवीआईपी है। उनकी व्यवस्था सुंदर होनी चाहिए। आचार्य ने हर क्रिया में साधना का भाव रखने की प्रेरणा देते हुए कहा कि मैं चलने, बोलने, भोजन करने, बात करने और व्याख्यान देने को भी साधना मानता हूं। साधु में साधना का लक्ष्य रहना चाहिए। साधना कहीं भी हो सकती है। साधु को प्रतिक्रमण व प्रतिलेखन में जागरूकता रखनी चाहिए। जागरूकता रहने से सौ पैसे का लाभ मिलता है। संघ के प्रति समर्पण भाव रखने की प्रेरणा देते हुए आचार्य ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में संघ रूप में साधना की सुविधा प्रदान की गई है। हमारी साधना संघबद्घ साधना है। इसलिए हमारी संघ के प्रति निष्ठा रहनी चाहिए। कठिनाइयों को कर्म निर्जरा का साधन मानकर झेलना चाहिए। आचार्य ने सेवा की प्रेरणा देते हुए साधु, साध्वियों, समण, समणियों व श्रावक समाज की सेवा का उल्लेख किया और कहा कि हमारे धर्मसंघ में सेवा की भावना व आज्ञा के प्रति निष्ठा रहनी चाहिए। आज्ञा में तर्क नहीं करना चाहिए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने आज्ञा व मर्यादा की पालना के लिए कहा कि सर्वज्ञों की आज्ञा सबके के लिए त्राणदायी है, शरणदायी है। वही आज्ञा आचार्यों की है।

उन्होंने कहा कि आचार्य भिक्षु ने जो मर्यादाएं बनाई थी वो हमारे लिए वरदान बन गई है। इन मर्यादाओं में रहकर हम आगे बढ़ते जाएं तो कोई भी हमें रोक नहीं सकता, मोड़ नहीं सकता और हम मर्यादा व आज्ञा का पालन करते हुए साधना के शिखरों पर चढ़ते जाएं। कार्यक्रम के अंत में अनिता संकलेचा व विद्या भंसाली ने गीत प्रस्तुत किया। हाजरी वाचन के दौरान आचार्य की सान्निध्य में साधु-साध्वियों, समणियों ने लेख-पत्र वाचन किया।

कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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