10.07.2012 ►Jasol ►Human Life is best in Living Creature► Acharya Mahashraman

Published: 10.07.2012
Updated: 21.07.2015

ShortNews in English

Jasol: 10.07.2012

Acharya Mahashraman said that human life is rare. Human life is best among living creature.

News in Hindi

मनुष्य जीवन सर्वोत्तम उपहार
बालोतरा जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

मनुष्य जन्म दुर्लभ है। प्रश्न उठ सकता है कि जहां अरबों मनुष्य हैं और आबादी पर नियंत्रण करने की बात कही जाती है, फिर मनुष्य जन्म दुर्लभ कैसे है? जैन दर्शन में अनंत जीव माने गए हैं। उनकी तुलना यदि समुद्र से की जाए तो बहुत सटीक बैठती है। एक ओर समुद्र है, दूसरी ओर बूंद है। समुद्र के समान तो अनंत जीव हैं और उस अथाह समुद्र की बूंद के समान मनुष्य हैं। यह आत्मा संसार की विभिन्न योनियों में परिभ्रमण करते-करते कभी-कभार मानव जन्म को प्राप्त करती है। शास्त्रों में चौरासी लाख जीव योनियों का उल्लेख मिलता है। उन सबमें मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इसकी सर्वश्रेष्ठता के कई आधार हो सकते हैं। पहला आधार यह है कि भगवत्ता-प्राप्ति की अर्हता एकमात्र मनुष्य में ही होता है, अन्य किसी प्राणी में नहीं। दूसरा आधार यह है कि चिंतन की विशदता जितनी मनुष्य में हो सकती है, उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। मनुष्य में पास जो मस्तिष्कीय शक्ति है, वह दृश्य जगत के किसी अन्य प्राणी में दुर्लभ है। ऋषि-महर्षि लोग अतीन्द्रिय ज्ञान, आत्मज्ञान से सूक्ष्म और विप्रकृष्ट को जान लेते थे अथवा वर्तमान में भी जान रहे होंगे किन्तु मनुष्य के दिमाग की करामात है कि बिना किसी विशेष ज्ञान के मात्र सूक्ष्म यंत्रों के माध्यम से सूक्ष्म को और दूरस्थ को भी देख रहा है। शरीर से मनुष्य होना भी विशेष बात है किन्तु आचार से, व्यवहार से मनुष्य हो, मानव में मानवता हो, वह विशेष बात है। मात्र शरीर से मानव कहलाने वाला व्यक्ति कभी-कभी दानव भी बन सकता है। जब मनुष्य के दिमाग में हिंसा का भूत सवार हो जाता है तो वह अपने ही भाई ही हिंसा जैसा घिनौना कार्य भी कर बैठता है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार जैसे भयंकर अपराध भी आदमी ही करता है। किसी ने ठीक ही कहा है-

इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहां।

साये हैं आदमी के मगर आदमी कहां।।

दुनिया का सबसे खराब प्राणी अथवा अधमाधम प्राणी आदमी है तो सबसे उत्तम प्राणी भी है। एक ओर युद्ध की विभीषिका फैलाने वाला आदमी है तो दूसरी ओर शांति की स्थापना करने वाला भी आदमी ही है। आदमी पापकारी है तो परोपकारी भी है उसमें दुर्जनता है तो सज्जनता भी है।

आदमी के भीतर हिंसा की वृत्ति है तो अहिंसा की शक्ति भी है, असत् है तो सत् भी है, अंधकार है तो प्रकाश भी है। प्रश्न हो सकता है कि इस दुर्लभ मनुष्य जन्म का कौन व्यक्ति कितना कैसा उपयोग करता है? निरंतर जागरूक रहने वाला व्यक्ति ही जीवन का सही उपयोग कर सकता है।

आचार्य महाश्रमण

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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