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मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के 7वें वार्षिक सम्मान समारोह व कार्यशाला का शुभारंभ
जसोल (बालोतरा) १२ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के कार्यक्रम में समागत विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रज्ञा समीक्षा करने वाली होती है, जिस आदमी के पास प्रतिभा, विवेचन शक्ति, तर्क शक्ति नहीं है, वह व्यक्ति समीक्षा नहीं कर पाएगा। बौद्धिक बल व ज्ञानबल के आधार पर आदमी तत्व की समीक्षा कर सकता है। आचार्य ने कहा कि ज्ञानहीन व्यक्ति कमजोर होता है। ज्ञान का अभाव होना जीवन के लिए बड़ा अभिशाप है। अहंकार ऐसा अभिशाप है जो अहंकार व लोभ आदि से भी बड़ा होता है। क्योंकि क्रोध आदि को व्यक्ति समझ से नियंत्रित कर सकता है। पर अज्ञानी व्यक्ति बढिय़ा काम नहीं कर सकता। इसलिए व्यक्ति को ज्ञान का विकास करना चाहिए। महासभा की ओर से चलाई जा रही प्रोत्साहन योजना के संदर्भ में आचार्य ने कहा कि विद्यार्थियों को प्रोत्साहन व सहयोग देने के लिए महासभा की ओर से मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। मेधावी होना भी भाग्य की बात है। मेधावी में विशेष क्षमता होती है। इन कुछ कर गुजरने वाले विद्यार्थियों को सहयोग मिलने पर वे आगे बढ़ सकते हैं। आचार्य ने विद्यार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन में कुछ विशेष कार्य करें। विद्यार्थी के जीवन में चिकिर्षा, बुभूषा, जिजीविषा होने पर वह आगे बढ़ सकता है। विद्यार्थी श्रुत संपन्न, शील संपन्न व आचार संपन्न बनें। विद्यार्थियों के जीवन में ज्ञान के साथ सदाचार भी रहे। उसमें सूचनात्मक ज्ञान के साथ चारित्र आचार भी अच्छा रहे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने मेधा को विकसित करने वाले छात्र-छात्राओं का आना अच्छा बताते हुए कहा कि व्यक्ति में ज्ञेय प्रज्ञा के साथ प्रत्याख्यान प्रज्ञा होने पर ही वह ज्ञेय प्रज्ञा को व्यवस्थित रुप से आगे बढ़ा सकता है। विद्यार्थी अच्छी बात को ग्रहण करने के साथ गंदी बातों को नकारने की क्षमता भी जीवन को व्यवस्थित बनाने के लिए होनी चाहिए। विद्यार्थी जीवन में ज्ञान को ग्रहण करने के साथ उसके प्रयोग को करता रहे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य महाश्रमण व्यवस्था प्रवास समिति संयोजक गौतम सालेचा ने स्वागत वक्तव्य दिया। बजरंग बोथरा ने योजना के अब तक के कार्यों के बारे में जानकारी दी। मेधावी परियोजना के संयोजक केसी जैन ने परियोजना के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। आईएएस दीपक सिंगला ने विद्यार्थियों को विद्या के क्षेत्रों में आगे बढऩे का आह्वान किया। कार्यक्रम के अंत में महाश्रमण अभ्यर्थना नामक लघु पुस्तिका आचार्य को मुदित बड़ाला ने उपह्रत की और विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन जागृति ने किया।