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व्यक्ति के भीतर है अहिंसा व हिंसा का भावजसोल (बालोतरा) ११ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अहिंसा वह भगवती है, जो प्राणियों का कल्याण करने वाली है। अहिंसा माता की शरण में जो आता है उसका वो कल्याण का जिम्मा ले लेती है। ये विचार आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को जीवन विज्ञान शिक्षक-प्रशिक्षक शिविर के समापन पर अहिंसक चेतना का जागरण विषय पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के भीतर चेतना होती है। चेतना में अहिंसा का भाव प्रकट होने पर अहिंसक भाव तथा हिंसा का भाव प्रकट होने पर हिंसक भाव का जागरण होता है। हिंसा व अहिंसा का भाव हमारे भीतर ही है। उन्होंने कहा कि मोह कर्म के क्षयोपशम बिना अहिंसा की चेतना का जागरण संभव नहीं है। मोह की ओर बढऩे वाला व्यक्ति मोक्ष से दूर हो जाता है। अहिंसक चेतना को जागृत करने के लिए मोह को, रागद्वेष को, मान-माया-लोभ को प्रतनु बनाना आवश्यक है। उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति को भाव हिंसा से बचना चाहिए। जीवन विज्ञान से विद्यार्थियों में अहिंसा, अनुकंपा, दया से सुसंस्कार भरे जाएं। जिससे बच्चों में अनुकंपा विकसित होने पर अहिंसा पुष्ट होती है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण के अनेक आयाम है। हम श्री कृष्ण के उजले पक्ष को याद करें। गीता में अनेकों अध्यात्म की बाते बताई गई हैं। उन बातों को व्यक्ति जीवन में उतारें। श्री कृष्ण का संबंध जैन शासन से भी है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जीने की कला में योग, संकल्प व ध्यान का महत्व है। जीवन-विज्ञान भी जीवन जीने की कला है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि नीरज कुमार की ओर से 'मानवता क्यूं घटती बोलो' गीत प्रस्तुत किया गया। शिविर के अनुभवों को डॉ. कमला जैन, जितेन्द्र मुराली, लतिका डोंगरे, मीठालाल बरलोटा ने अभिव्यक्त किया। प्रेक्षाध्यापक मुनि किशनलाल ने सभी को कायोत्सर्ग, अनुप्रेक्षा की प्रेरणा देते हुए स्वयं को बदलने की प्रेरणा दी। जीवन विज्ञान अकादमी लाडनूं के सहायक निदेशक हनुमान शर्मा ने परीक्षा में प्रथम तीन स्थानों पर चयनितों के नाम की घोषणा की। जिसमें प्रथम स्थान पर जितेन्द्र, मुरानी व सोनी तथा द्वितीय भावना वडेरा, सुमन संकलेचा व तृतीय स्थान कमला जैन ने प्राप्त किया। कार्यक्रम में उषादेवी बोहरा ने मासखमण तप पर, दिव्या बोहरा ने वक्तव्य से, बोहरा परिवार की बहनों ने गीत से व प्रणव बोहरा ने वक्तव्य से तपोभिनंदन किया। शुक्रवार को कन्या मंडल की पंचरंगी भी पूरी हो गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।
कर्मवाद कार्यशाला का समापन: आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में चलने वाली कार्यशाला के अंतिम दिन आचार्य ने संभागियों को संबोधित किया। मुनि अनेकांत कुमार ने गीतिका की प्रस्तुतियां दी।
तेयुप मंत्री जितेन्द्र सालेचा ने आचार्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यशाला में मुनि जिनेश कुमार, मुनि अभिजीत कुमार, मुनि दिनेश कुमार, मुनि हिमांशु कुमार, मुनि उदित कुमार, मुनि योगेश कुमार का प्रशिक्षण संभागियों को मिला। कार्यशाला में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के साथ तेयुप कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा।
मेरा सहयोग रक्तदान को: अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की ओर से देश भर में आयोजित मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के तहत एक लाख यूनिट एकत्र अभियान के समर्थन में अपने हस्ताक्षरित सहयोग में लिखा कि ब्लड डोनेशन से बड़ा दान नहीं है। यह बीमार व मरते हुए व्यक्ति को जीवन बचाने में मदद करता है। इस कार्य के प्रति बहुत सारी शुभकामनाएं।