13.08.2012 ►Jasol ►Jain Terapnth News 5

Published: 14.08.2012
Updated: 21.07.2015

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जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व: आचार्य
जसोल (बालोतरा) १३ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

व्यक्ति के जीवन में विद्या का बड़ा महत्व है और वह भी जीवन का एक वैभव है। जो आदमी विद्या विहीन है, वह पशु तुल्य है। ये उद्गार आचार्य महाश्रमण ने 'मूल्य संस्कारों का' विषय के संदर्भ व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में संस्कारों का बड़ा महत्व है। दुर्गुणी आदमी दूसरों को कष्ट देने वाला और सदगुणी आदमी दूसरों की भलाई करने वाला होता है। गुरु अपने शिष्यों में सद्गुणों का विकास करें। गुरु की शिक्षा जीवन की एक अमूल्य निधि होती है। वे जसोल में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि लज्जा भी एक गुण है। व्यक्ति गलत कार्य करने में संकोच रखें। वह अपने गुरु से भी संकोच रखें। व्यक्ति गुरु से बात करते समय जागरूक रहें। इससे वह प्रमाद से बच सकता है। आदमी में दया, अनुकंपा, करुणा की भावना रहे। दया की भावना भी एक संस्कार है। आचार्य ने इंद्रिय संयम, शील की साधना, व्यसन मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए कहा कि पर्यूषण पर्व साधना व आराधना में बीते। यह सभी का लक्ष्य रहे। पर्यूषण में दिनचर्या साधना के अनुकूल हो। यह आध्यात्मिक साधना का सुंदर उपक्रम है। आचार्य ने पर्यूषण पर्व पर 3 सामयिक, एक घंटा स्वाध्याय, ब्रह्मचर्य के पालन, 2 घंटे मौन, आधा घंटे जप, रात्रि भोजन के त्याग, 9 द्रव्यों की सीमा, सिनेमा नहीं देखने, सचित्त के त्याग, जमीकंद के त्याग, प्रवचन सुनने, अनाहार तप करने, पौषध करने की प्रेरणा दी। आचार्य ने कहा कि संवत्सरी का दिन सिरमौर दिन है। यह मैत्री का पर्व ही यह मन के मैल को धोने का सुंदर उपक्रम है। यह आत्मा के शोधन का पर्व है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। संघर्ष जीवन का अंग है। व्यक्ति की क्रियावत्ता, सक्रियता व संघर्ष सही दिशा में है तो वह हमारे उन्नयन में सहायक बनती है। कार्यक्रम में मुनि विजयकुमार की ओर से तप की महिमा म्हे नित गावां रे गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रतन लाहोटी ने विचार व्यक्त किए। प्रवास व्यवस्था समिति के गौतम सालेचा ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश संदीप मेहता सपरिवार गुरु चरणों में उपस्थित हुए। चेन्नई की सुशीला देवी बोहरा के 29 की तपस्यावसर पर विभा बोहरा ने अपने वक्तव्य से तपोभिनंदन किया। इसके बाद आचार्य के साथ न्यायाधीश संदीप मेहता व प्रशासनिक अधिकारी रतन लोहाटी ने संक्षिप्त वार्ता की। प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों की ओर से मेहता व लाहोटी का सम्मान किया गया।

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