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साधना का एक अनुष्ठान है सामायिक: आचार्य
जसोल (बालोतरा) १७ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
सामायिक साधु-साध्वियों व गृहस्थों के लिए होती है। साधु-साध्वियों के जिंदगी भर की सामायिक होती है। ऐसे व्यक्ति धन्य है जो जीवन भर की सामायिक लेते हैं और निभाते हंैं। आचार्य महाश्रमण ने चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए सामायिक दिवस के संदर्भ में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि रोज की एक सामायिक हो जाए तो भी एक अच्छा उपक्रम है। सामायिक करने वालों को जागरुकता रखने की प्रेरणा देते हुए आचार्य ने कहा कि सामायिक में मुख-वस्तिका आवश्यक है। सामायिक बैठकों पर करनी चाहिए। साथ में परिमार्जनी में रहनी चाहिए। रात को भी पुंजनी पास में रहनी चाहिए। सामायिक में अखबार नहीं पढऩा चाहिए। धर्म के ग्रंथ आदि पढ़ सकते हैं। सामायिक में व्यक्ति को अध्यात्म मय हो जाना चाहिए। सामायिक में कुलदेवी-कुलदेवता की माला जाप आदि नहीं करने चाहिए। सामायिक में विशेष घुमना नहीं चाहिए। आवश्यक हो तो पूंज-पंूज कर चलना चाहिए। आचार्य ने कहा कि सामायिक साधना को एक अच्छा अनुष्ठान है। इस समय मोबाइल आदि को बंद रखना चाहिए। सामायिक में पंखे, लाइन आदि की कुंजियों को शुरू या बंद नहीं करना चाहिए। सामायिक में सांसारिक बातें नहीं करनी चाहिए। सामायिक में खाली नहीं बैठकर जप, ध्यान, स्वाध्याय करना चाहिए। साधु-साध्वी विशेष निर्जरा के लिए श्रुत सामायिक करते हैं। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि सामान्यतया यह माना जाता है कि श्रावक सामायिक के एक मुहूर्त तक साधु जैसा बन जाता है। सामायिक के अनुरुप रहने वाले के विघ्र भी मिट जाते हैं। मंत्री मुनि ने कहा कि व्यक्ति सामायिक करते वक्त सम्यक्त्व में रहे। सामायिक केवल बाहरी रुप में न हो। सामायिक का अंतरंग साथ होना चाहिए। सामायिक को भावपूर्ण प्रक्रिया के साथ तन्यम होकर करना चाहिए। मंत्री मुनि में सामायिक करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि सामायिक अध्यात्म का दीया है। इसलिए हर श्रावक-श्राविका एक सामायिक अवश्य करें। कार्यक्रम में हाजरी वाचन के कार्यक्रम में सभी साधु-साध्वियों की ओर से लेख-पत्र का वाचन किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में साध्वी ऋजुयशा ने समता में जो रमण करे वो भक्त सागरवर हो जाता है। गीत का संगान किया। साध्वी मंजूबाला ने अपने भावोद्गारित किए। मुनि अनंतकुमार ने १६ वें तीर्थकर भगवान शांतिनाथ के जीवन चारित्र की संक्षिप्त में प्रस्तुति दी। संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।