24.08.2012 ►Jain Terapnth News 04

Published: 25.08.2012
Updated: 21.07.2015

News in Hindi

आचार्य कालूगणी में था वैदुष्य: महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) २४ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

जिस प्रकार चंद्रमा आकाश में नक्षत्रों से परिवृत्त होकर शोभित होता है। उसी प्रकार आचार्य भी साधुओं के बीच में शोभायमान होते हैं। यह वक्तव्य जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को 'अष्टमाचार्य कालूगणी स्वर्गारोहण' दिवस पर कालूगणी का स्मरण करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। आचार्य तीर्थकर के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। आचार्य ने कहा कि आचार्य कालूगणी के संत शिक्षा की दृष्टि से आगे बढ़े हुए थे। संस्कृत का वैदुष्य भी उनके शिष्यों में था। आचार्य कालूगणी के बारे में कहा कि उनमें वत्सलता थी, साथ में कड़ा अनुशासन भी था। कालूगणी निष्क्रिय थे। दो-दो युगप्रधान आचार्य, आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ उनकी ही देन है। उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिलती रहे और हमारा धर्मसंघ आगे प्रवर्धमान रहे।

जीवंत हो गया कालू युग

आचार्य महाश्रमण ने अष्टमाचार्य कालूगणी के संसारणों का अपनी सरस, ओजस्वी, रोचक शैली में इस प्रकार प्रस्तुत किया कि मानो कालू युग जीवंत हो उठा है। प्रत्येक श्रावक-श्राविका के दिमाग में आचार्य के कहने के साथ ही पिक्चर सी चलती प्रतीत हो रही थी। इस प्रकार की जीवंत प्रस्तुति तभी संभव है जब भावों, प्राणों के स्वंदन व चेहरे की अभिव्यक्ति से संस्मरण व्यक्ति के भीतर उतर जाते हैं।

मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि कालूगणी के जीवन में पुण्य की विशेषता थी। वे पुण्य के अकूत खजाने थे। वे संघ में आचार-कुशलता देखना चाहते थे। मंत्री मुनि ने कहा कि उनके चेहरे में दैदीप्यता थी। उनकी शरीर संपदा भी विशिष्ट व बेजोड़ थी। वे आचार निष्ठा, संघ निष्ठा व मर्यादा निष्ठा के प्रति काफी जागरूक थे। संघ मुक्त साधुओं के मन में भी कालूगणी के प्रति दयाभाव थे। उनकी पुस्तकों के प्रति विशेष जागरूकता थी। वे संघ में ज्ञान वृद्धि चाहते थे। वे चमत्कारिक और साधना में मस्त रहने वाले थे। मंत्री मुनि ने कहा कि उनका कार्यकाल समग्रता से गति का कार्यकाल रहा। वे भीतर से जागरूक थे। अंतिम समय में उन्होंने अनशन किया और महाप्रयाण हो गया। कार्यक्रम में साध्वी मंजूबाला, साध्वी मंजूलाश्री, साध्वी जिन प्रभा, साध्वी अमृतप्रभा ने अपना वक्तव्य दिया।

साध्वी विधि प्रभा ने संस्कृत में अपना वक्तव्य दिया। कोटा से गुरु चरणों में उपस्थित समणी कुसुम प्रज्ञा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में कन्या मंडल जसोल की ओर से कालू अष्टकम की प्रस्तुति दी गई। संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।

तेरापंथ के अष्टमाचार्य कालूगणी का स्वर्गारोहण दिवस मनाया

Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. अनशन
          2. आचार्य
          3. आचार्य तुलसी
          4. आचार्य महाप्रज्ञ
          5. आचार्य महाश्रमण
          6. कोटा
          7. ज्ञान
          8. मंत्री मुनि सुमेरमल
          Page statistics
          This page has been viewed 659 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: