30.08.2012 ►Jasol ►Acharya Bhikshu Was Unique Personality ► Acharya Mahashraman

Published: 30.08.2012
Updated: 21.07.2015

ShortNews in English

Jasol: 30.08.2012

Acharya Mahashraman said Acharya Bhikshu was person of wisdom. His logic power was excellent. He was devoted to principles and made many rules for healthy organization. Discipline and Maryada is back bone of Terapanth sect is contribution of Acharya Bhikshu. Sadhvi Pramukha Kanak Prabha, Mantri Muni Sumermal and Mukhya Niyojika Sadhvi Vishrut Vibha paid homage to Acharya Bhikshu and throw light on his personality and life.

News in Hindi

आचार्य भिक्षु में था प्रबल पौरुष: आचार्य
जसोल (बालोतरा) Jain Terapnth News

संयम व तपस्या में पराक्रम की सीख व प्रेरणा देते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जिस आदमी ने अध्यात्म के क्षेत्र में कुछ करने का लक्ष्य बनाया है, जिसमें अध्यात्म की साधना करने की ललक है, उसके लिए अपेक्षित है कि वह संयम में पराक्रम व तपाराधना करें। यह मंगल वक्तव्य आचार्य महाश्रमण ने आचार्य भिक्षु के 210 वें चरमोत्सव पर उनका स्मरण करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि लगता है कि आचार्य भिक्षु ने पिछले जन्म में तपस्या, साधना की थी, उनकी साधना पूर्णता को प्राप्त नहीं हो सकी और उन्होंने मानव जन्म लेकर फिर साधना की। उनके मन में मोहनीय कर्म का विशिष्ट क्षयोपशम था। उनके मन में वैराग्य भावना जग गई। वैराग्य का भाव आने पर दंपति ने साधु-साध्वी दीक्षा लेने का निर्णय लिया।

आचार्य ने कहा कि आचार्य भिक्षु अध्ययनशील, तर्कशील थे। उनमें पौरुष था, वे विरोधों को झेलते गए। अपमान की स्थिति में भी वे टूटे नहीं। उनका तत्वावधान, शास्त्री ज्ञान विशेष था। उनमें विशिष्ट, प्रज्ञा व तीक्ष्ण बुद्धि थी। उनके पास प्रतिभा थी। आचार्य ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन इतिहास उनके संगठन का भी इतिहास है। उनके शासन की मर्यादाओं, व्यवस्थाओं का भी अपना महत्व है। तेरापंथ को मर्यादा व संगठन की मजबूत रखने वाली है। आचार्य ने स्वयं द्वारा रचित गीत 'बाबा भिक्षु स्वामी की शुभ स्तवना करते हैं' का संगान किया।

साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु की जीवन पोथी के जितने पृष्ठ है, हर पृष्ठ में जितने पैराग्राफ है उतनी ही व्याख्याएं आचार्य भिक्षु की हो सकती है। उन्होंने विलक्षण जीवन जिया, विलक्षण काम किए और आगे बढ़ते गए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जिस व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां सही हो, वह उनसे बिना डरे आगे बढ़ता रहा हो, वह मरकर भी अमर बन जाता है। आचार्य भिक्षु को भी रोका गया, टोका गया, प्रताडि़त किया गया पर वे भगवान महावीर की वाणी के प्रति समर्पित व सत्य के साधक थे। ऐसे समर्पित साधक में प्रबल क्षयोपशम था। उनमें भीतर का ज्ञान विपुल था। मंत्री मुनि ने कहा कि आचार्य भिक्षु के जीवन की साधना का हर बिंदु एक ग्रंथ बन सकता है। आचार्य भिक्षु ने सिद्धांत, मर्यादाएं व अनुशासन धर्मसंघ को प्रदान किया। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभा ने कहा कि आचार्य भिक्षु का बहुआयामी व्यक्तित्व थ। वे क्रांत दृष्टा, युगदृष्टा, भविष्यदृष्टा, साहित्यकार, संगीतज्ञ, आत्मज्ञ, आगमज्ञ, परीक्षक, समीक्षक, निरीक्षक के रूप में थे। हम उनके पथ पर आगे बढ़ते हुए आत्म कल्याण करें। कार्यक्रम में साध्वी जिनरेखा, साध्वी मार्दवयशा, साध्वी जयंतमाला ने गीत द्वारा भावना की अभिव्यक्ति दी।



शासन श्री मुनि किशनलाल, मुनि रजनीश कुमार ने अपनी श्रद्धानिष्ठ अभिव्यक्ति दी। शंकर ढेलडिय़ा ने अपने भाव व्यक्त किए। इस दौरान जितेन्द्र कुमार भंसाली की पुत्री प्रेक्षा भंसाली(9) पचपदरा है, ने आचार्य की आज्ञा से पारमार्थिक शिक्षक संस्थान में प्रवेश किया।

सीडी का लोकार्पण: श्रद्धानिष्ठ संगायक कमल सेठिया ने अपने द्वारा गये गीतों की सीडी ज्योर्तिमय महाप्रज्ञ के लोकार्पण अवसर पर योगिराज तुम स्वर्ग सिधाएं गीत की प्रस्तुति दी। हरियाणा की शोभा जैन ने मेरा सांवरा सीडी के लोकार्पण पर मेरा सांवरा वो सिरियारी गीत की प्रस्तुति दी। डाकलिया बंधुओं द्वारा झूम-झूम गुण गावां म्हे सिरियारे के स्वामी गीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में संघगान से पूर्व हाजरी का वाचन किया।

भाषण प्रतियोगिता का समापन: आचार्य महाश्रमण के सानिध्य व तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में भाषण प्रतियोगिता का समापन हुआ। प्रतियोगिता में बच्चों ने बड़े उत्साह व उमंग के साथ भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम भावना कोठारी, द्वितीय उपासक मोतीलाल जीरावला, तृतीय स्थान कविता बाफना ने प्राप्त किया। निर्णायक की भूमिका उपासक दीपचंद बोकडिय़ा, कांतिलाल श्रीश्रीमाल व निधि अग्रवाल ने निभाई।

इस दौरान मुनि जिनेशकुमार, निधि अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रवास व्यवस्था समिति के द्वारा निर्णायकों का साहित्य के द्वारा सम्मान किया गया। आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में तेरापंथ महिला मंडल के संचालकता में गुरुवार को वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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