ShortNews in English
Jasol: 01.09.2012
Acharya Mahashraman said that people should stay equal in every situation. Sadhana can be practiced by staying neutral in adverse and happy situation.
News in Hindi
'हर परिस्थिति में रहे सम'
जसोल(बालोतरा) ०१ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आदमी के जीवन में प्रिय व अप्रिय स्थितियां उत्पन्न होती रहती है। कभी मनोनुकूल स्थितियां तो कभी प्रतिकूल स्थिति भी सामने आ जाती है। व्यक्ति हर परिस्थिति में खुश और प्रतिकूल परिस्थिति में दु:खी न हो। ऐसा होना साधना की कमी का परिचायक है। व्यक्ति को योग में स्थित होकर आसक्ति को छोडऩा चाहिए। सम योग है। यह सम रहने का मंगल संदेश आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा में दिया। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को वीमरागता या स्थितप्रज्ञता तब प्राप्त होती है, जब वह प्रिय व अप्रिय स्थिति में धारण करने का लक्ष्य बना लेता है। उन्होंने कहा कि साधक को प्रिय व अप्रिय को धारण करने वाला बनना चाहिए। उसे गांठ नहीं बांधनी चाहिए। उसे आदमी को क्षमा करना चाहिए। भारत में ऋषि तपस्वी हुए है। जिन्होंने तप तपा है, जप जपा है, साधना की है, उन्होंने अध्यात्म के शिखर पर पहुंचने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सहन करना चाहिए, सहन करने वाला सफल बनता है। महान बनता है। साधु में विशेष धारण करने की क्षमता होनी चाहिए।