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Jasol: 15.09.2012
Acharya Mahashraman said that honesty is best policy. Honesty towards work is key point for success. He quoted view of thinker Robertson.
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सफलता के लिए काम में ईमानदारी जरूरी - आचार्य श्री महाश्रमण
ईमानदारी वह मार्ग है जिस पर चलने से व्यक्ति का भी भला होता है और समष्टि का भी भला होता है। अगर समाज में धोखाधड़ी चलती रहेगी, हर व्यक्ति एक-दूसरे को ठगता रहेगा तो समाज सुख से कैसे जी पाएगा? आप कल्पना करें, किसान अनाज बेचता है। अगर खराब अनाज बेचेगा तो समाज का स्वास्थ्य खराब हो जाएगा। एक व्यापारी माल बेचता है। खराब माल बेचेगा, मिलावटी माल बेचेगा तो समाज पर बुरा असर पड़ेगा। एक कैमिस्ट दवा बेचता है। अगर वह दवा बेचने में गड़बड़ी करेगा तो उसको नुकसान भी समाज को ही होगा। अगर व्यक्ति ईमानदार है तो सुख किसको मिलेगा? समाज को ही मिलेगा। विचारक राबर्टसन के शब्दों में, सफलता उन्हें पारितोषिक रूप में मिलती है जो अपने काम ईमानदारी से करता है, जिन्हें अपने काम से प्यार होता है।
महत्व पैसे का नहीं, काम का होता है। ईमानदारी से किया गया काम प्रगति की ओर ले जाता है। अंग्रेजी भाषा का सूक्त है, ऑनेस्टी इज दी बेस्ट पालिसी। सूत्र बढिय़ा है। इसको बोलना भी अच्छा है, याद करना भी अच्छा है, किंतु सबसे ज्यादा अच्छा है, इसको जीवन में उतारना। ईमानदारी आदमी के जीवन में आ जाए, जन-जन में नैतिकता का जागरण हो, ईमानदारी के भाव विकसित हों तो आदमी अच्छा जीवन जी सकता है, समाज अच्छा बन सकता है और स्वस्थ समाज की रचना संभव हो सकती है। आदमी के भीतर ईमानदारी के प्रति आस्था का भाव जागे। जिस तत्व के प्रति आस्था होती है, उसको जीवन में उतरना आसान हो सकता है। जिसके प्रति आस्था, श्रद्धा ही न हो, उसको जीवन में ईमानदारी किस सीमा तक है? हालांकि थोड़ा संघर्ष झेलना पड़ सकता है, कष्ट आ सकते हैं, किंतु आदमी का मनोबल और संकल्प के साथ कष्ट झेलना मंजूर कर ले पर ईमानदारी को छोडऩा मंजूर न करे। ऐसा संकल्प हर आदमी का हो जाए तो समाज का नव-निर्माण हो सकता है। समाज का कायाकल्प हो सकता है।
आचार्य महाश्रमण
जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो