ShortNews in English
Jasol: 15.09.2012
Three days workshop was held for good family relation. Acharya Mahashraman in his message to workshop advised participants to keep tolerance in family. Tiny issues create tension and break peaceful atmosphere. Muni Kishanlal, Muni Dinesh Kumar, Muni Madan Kumar, Muni Kumar Shraman also gave training in workshop during different session.
News in Hindi
परिवार में रहे सहिष्णुता: आचार्य महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) १५ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आदमी को पारिवारिक सौहार्द अनिष्ट होता है, लेकिन कई बार कलह, तनाव से असौहार्द हो जाता है। क्योंकि जहां सामंजस्य नहीं होता है, वहां अशांति पनप जाती है। यह पारिवारिक सौहार्द का संदेश आचार्य महाश्रमण ने त्रिदिवसीय पारिवारिक सौहार्द शिविर के समापन पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा आदमी में दुराग्रह होना भी शांति में बाधा है। छोटी-मोटी बातों को लेकर तनाव होने से अशांति पैदा हो जाती है। व्यक्ति को शांति के लिए बेकार का दुराग्रह नहीं करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति में स्वार्थ हावी नहीं होना चाहिए। दूसरों के हित पर भी ध्यान देने व चिंतन होने से सामंजस्य रहेगा। व्यक्ति को स्वार्थ का परित्याग करना चाहिए। सौहार्द के लिए परिवार में परस्पर सहिष्णुता होनी चाहिए। व्यक्ति को एक दूसरे को सहना चाहिए, मौके पर कहना चाहिए और शांति से रहना चाहिए।
व्यक्ति को बड़प्पन व उदारता दिखानी चाहिए। अच्छी बातों का जीवन में समावेश होना चाहिए। कार्यक्रम में शंकरलाल ढेलडिय़ा ने जसराज बुरड़ को साहित्य से सम्मानित किया गया। सोहनलाल सालेचा ने अपना वक्तव्य दिया। शिविर में मुनि किशनलाल ने शांति का सोपान परिवार, मुनि दिनेश कुमार ने व्यवहार और विचार को कैसे बदलें, मुनि हिमांशु कुमार ने सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा विषय पर वक्तव्य दिया। मुनि नीरजकुमार ने मंगलाचरण किया। शिविर के दूसरे दिन मुनि अनेकांत कुमार के मंगलाचरण से प्रारंभ शिविर में मुनि कुमार श्रमण ने रिश्तों के मिठास को समझें, मुनि मदन कुमार ने मैत्री की अनुप्रेक्षा तथा बजरंग जैन ने रिश्तों की समस्या का समाधान विषय पर वक्तव्य दिया। अंतिम दिन मुनि महावीर कुमार के मंगलाचरण से प्रारंभ शिविर में मुनि जयकुमार ने क्रोध को बदले प्रयोग से विषय पर तथा मुनि किशनलाल ने व्यवहार और विचार को कैसे बदलें तथा समस्या जीवन की समाधान जीविका पर वक्तव्य दिया।
फोटू - जसोल. शिविर को संबोधित करते आचार्य महाश्रमण।