19.11.2012 ►Jasol ►Morality and Non-Violence Should Stay in Every Home and Shop ◄Acharya Mahashraman

Published: 19.11.2012
Updated: 08.09.2015

ShortNews in English

Jasol: 19.11.2012

Acharya Mahashraman said morality and non-violence should stay in every home and shop.

News in Hindi

हर घर व दुकान में हो अहिंसा व नैतिकता का वास: आचार्य
जसोल (बालोतरा) 19 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

नैतिकता एवं अहिंसा की देवी हर घर-दुकान आदि में विराजमान रहनी चाहिए। व्यर्थ में कोई झगड़ा, क्लेश आदि नहीं करना चाहिए। आवेश व गुस्से के साथ बर्ताव करने वाला व्यक्ति तो बीमार आदमी की श्रेणी में आता है। उसको तो इस बीमारी के निवारण के लिए दवाई देनी चाहिए, ताकि उसका गुस्सा शांत हो जाए। ये उद्बोधन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने जसोल के वीतराग समवसरण में रविवारीय प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

दो दिवसीय सिवांची-मालाणी स्तरीय संस्कार संवर्धन सम्मेलन के संभागियों के संंभागियों को उद्बोधित देते हुए आचार्य ने कहा कि अमुमन देखा जाता है कि लोग जाति, धर्म, संप्रदाय व भाषा के नाम पर आपस में लड़ पड़ते हैं। अहिंसा यात्रा के प्रवर्तक आचार्य महाप्रज्ञ एक दशक पूर्व जब सिवांची-मालाणी की यात्रा पर थे, तब गुजरात में गौधरा कांड को लेकर सांप्रदायिक वैमनस्यता बढ़ गई थी। उन दिनों की अहिंसा यात्रा का रुख गुजरात की ओर था, तब लोगों ने कहा कि गुजरात के हालात अच्छे नहीं है। अत: आपकी यात्रा की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है और थोड़े ही अंतराल के बाद अहिंसा यात्रा का कारवां वहां पहुंच भी गया और यह विकट समस्या के समाधान के लिए आचार्य ने प्रयत्न भी प्रारंभ कर दिए। उस समय रथ यात्रा को लेकर जो गतिरोध था। इस सदंर्भ में हिंदू व मुस्लिम समाज तथा प्रशासन के अधिकारियों की एक बैठक आचार्य महाप्रज्ञ के सानिध्य में आयोजित की गई, जिसमें समझाईश के बाद समस्या का समाधान भी हो गया और सांप्रदायिक वैमनस्य सौहार्द में बदल गया। आचार्य ने कहा कि परिवारों में आपसी कलह, हिंसा व मनमुटाव की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर परिवार को सुखी एवं संपन्न बनने के लिए जीवन में ईमानदारी व अहिंसापूर्वक व्यवहार की आवश्यकता है। वहीं नशे के रोग से हर संभव बचा जाना चाहिए। नशाग्रस्त व्यक्ति घर व समाज में समस्या पैदा कर देता है। हर व्यक्ति अपने आसपास व समाज में नशा मुक्ति के लिए प्रयासरत रहे। अमूमन देखा जाता है कि गांवों, कस्बों व शहरों में अनेक व्यक्ति नशे की गिरफ्त में जकड़े रहते हैं। अब तो यदा-कदा यह भी सुनाई देता है कि कुछ महिलाएं भी नशे की आदि हो रही है जो कि चिंतनीय पहलू है। चौथा बिंदु है धार्मिक साधना का, ध्यान, जप, सामायिक आदि का जीवन में अभ्यास आवश्यक है। पौषध नवकार मंत्र का उच्चारण व सामायिक आदि धार्मिक साधना में मन में पवित्रता आती है। अच्छा अध्ययन चिंतन करने से ब्रेन वाशिंग होती है। हमारा दिमाग कुड़ादान नहीं बने। टेलीविजन आदि संचार माध्यमों से भी अच्छे कार्यक्रम देखे जाने चाहिए। भगवान महावीर का चित्र देखेंगे तो अच्छे विचार व चिंतन आएगा। मकानों-दुकानों में भगवान महावीर, भिक्षु स्वामी आदि के चित्र लगाने से अच्छी पे्ररणा मिल पाएगी। वीतरागता के भाव पैदा होंगे।

इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल लाडनंू ने उद्बोधन दिया। आचार्य ने सूरत से आए पाटन विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. बीआर प्रजापति, अणुव्रत समिति सूरत के पूर्व अध्यक्ष बालुभाई पटेल तथा विनोद बांठिया एवं अंकेश भाई दोशी द्वारा दिए गए। सुझावों की सराहना दी। उन्होंने आचार्य तुलसी शताब्दी वर्ष में बच्चों को प्रेरक साहित्य व जगह-जगह आचार्य तुलसी के जीवन दर्शन को कथाओं के द्वारा जन-जन तक पहुंचाने का सुझाव दिया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार ने कहा कि संस्कार संवर्धन सम्मेलन की ६३५ संभागी सम्मिलित हुए। दोपहर में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में संस्कार संवर्धन का समापन सत्र आयोजित हुआ। इस अवसर पर जसराज बूरड़, पुखराज तलेसरा, जवेरीलाल संकलेचा, जवेरीलाल सालेचा, धनराज छाजेड़ आदि ने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ युवक परिषद जयपुर से आए गौतम मेहता, अविनाश नाहर आदि सदस्यों ने आचार्य को व्यसन मुक्ति के फार्म प्रदान किए। उत्तर हावड़ा के तेजकरण जैन तथा सिवांची-मालाणी क्षेत्रीय संस्थान के पूनमचंद व बाड़मेर के एसडीएम ओमप्रकाश जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भीनासर व गुलाब बाग से आए श्रविकों की ओर से आचार्य को अपने क्षेत्र में आने की अर्ज की गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशुकुमार ने किया।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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