ShortNews in English
Jasol: 21.11.2012
Acharya Mahashraman while addressing conference for traders told that morality and integrity is necessary for trading activities.
News in Hindi
व्यापार में नैतिकता व प्रमाणिकता जरूरी' -आचार्य श्री
जसोल जसोल 21 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में मंगलवार को व्यापारी सम्मेलन का आयोजन हुआ। आचार्य महाश्रमण ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि व्यापार गृहस्थ के लिए आवश्यक है। आवश्यकता की संपूर्ति के लिए व्यक्ति व्यापार करता है। व्यापार में दो दृष्टियां होती है- एक दृष्टि यह होती है कि मैं जनता की आवश्यकता की पूर्ति करूं। दूसरी दृष्टि व्यापार में धन कमाने की होती है। व्यापार में अशुचिता न आए, व्यापार में नैतिकता, प्रमाणिकता बनी रहे। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत नैतिकता सीखाता है। व्यापार में नैतिकता बनी रहे, व्यापार में ही नहीं हर प्रवृत्ति में नैतिकता बनी रहे। दुकान मेें नैतिकता की देवी रहनी चाहिए। आचार्य ने कहा कि नशे की प्रवृत्ति से व्यक्ति को दूर रखना चाहिए। यदि आप लोग नशा करते हो तो उसे छोडऩे की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में शुद्धता है तो व्यापार में भी पवित्रता बनी रह सकती है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि अनेकांतकुमार के मंगलाचरण से हुआ। मुनि जिनेशकुमार ने कहा कि मनुष्य को न्याय नीति से कार्य करना चाहिए। बूंद की पवित्रता समुद्र की पवित्रता है। व्यक्ति स्वस्थ तो समाज भी स्वस्थ होगा। नैतिक विकास के चार स्तम्भ है- पूर्ण ईमानदारी, निस्वार्थता, पवित्रता व पूर्णप्रेम। मुनि महेन्द्रकुमार ने कहा कि व्यापारी वह होता है जो लाभ कमाता है। बनिक की दृष्टि आय पर ज्यादा व्यय पर कम दृष्टि होती है। जो व्यापारी नैतिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखता है, आत्म वंचना नहीं करता है। वह आनन्द की अनुभूति करता है। जो दूसरों को ठगता है, वह स्वयं ठगा जाता है। मुनि दिनेशकुमार ने कहा कि मनुष्य को ईमानदारी के साथ जीवन जीना चाहिए। व्यापार में प्रमाणिकता रखती चाहिए। इस अवसर पर पूर्व सरपंच भंवरलाल भंसाली ने विचार व्यक्त किए। लघु उद्योग मंडल के अध्यक्ष डंूगरचन्द सालेचा ने आभार व्यक्त किया। संचालन मुनि जिनेशकुमार ने किया। सम्मेलन में बालोतरा लघु उद्योग मंडल के अध्यक्ष रूपचंद सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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