ShortNews in English
Jasol: 26.11.2012
Acharya Mahashraman said while doing tap one should pay attention to lessen kasaya. He was speaking in welcome function held for layperson that did Tapsya of eight days or more. He said equanimity if result of Dharma.
News in Hindi
धर्म का सार है समता: आचार्य
'तपस्या में कषाय मंदता का विकास हो'
जसोल. 26 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में चातुर्मास व्यवस्था समिति के तत्वावधान में अठाइस तप व आठ से अधिक तपस्या करने वाले करीबन 475 श्रावक-श्राविकाओं का तपाभिनंदन का कार्यक्रम रविवार को वीतराग समवसरण में आयोजित हुआ। आचार्य ने कहा कि इस प्रवास में अधिकाधिक तपस्या हुई। बारह प्रकार की तपस्या में इत्वरित तपस्या बतलाई है। इत्वरित तप भूखे रहने की विशेष साधना है। तपस्वी आगे बढ़ें। तप के साथ ज्ञान, स्वाध्याय, कषाय मंदता का विकास हो, जिससे जीवन सफल बनेगा। मुनि जिनेशकुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति में तप का विशेष महत्व है। तप अध्यात्म साधना का प्राण है। तप अध्यात्म का संगीत है। वर्तमान का विराग है, अतीत का क्षयोपशम है व अनागत का दर्पण है। आचार्य की अनुकंपा से तपस्या का अच्छा वातावरण बना। सैकड़ों भाई-बहनों ने तप रूपी यज्ञ में आहुति देकर स्वयं को आलोकित किया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश राजेश बालिया ने कहा कि तपस्या साध्य नहीं वरन साधन है। आत्मशुद्धि का उपाय है। इस अवसर पर चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक गौतमचंद सालेचा, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष खूबचंद भंसाली ने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल की बहनों के मंगलाचरण से हुआ। संचालन मुनि जिनेशकुमार ने किया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक गौतम सालेचा, अध्यक्ष जसराज बूरड़ सहित प्रबुद्धजनों ने तपस्वी जनों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
जसोल तेरापंथ समाज की विशेष सेवा आज: आचार्य ने जसोल तेरापंथ समाज के श्रावक-श्राविकाओं पर महती कृपा कर विशेष सेवा करने का अवसर प्रदान किया है। समिति संयोजक गौतम सालेचा ने बताया कि आचार्य ने विशेष सेवा के लिए सोमवार रात 8.15 बजे का समय बताया है।