ShortNews in English
Jhak: 21.12.2012
Acharya Mahashraman told people to develop tolerance. He also advised to speak sweet things. Family become heaven by peaceful co-existence.
News in Hindi
जीवन का सार है साम्य योग' आचार्य श्री
झाख गांव (बाड़मेर) 21 दिसम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
समता श्रेष्ठ धर्म है। जीवन में इसकी आराधना करनी चाहिए। विषमता पाप है और उससे जीवन बोझिल बनता है। राग-द्वेष मुक्त क्षण में जीने का अभ्यास जीवन शैली को उन्नत बना देता है। ये उद्गार आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को झाख गांव में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि साम्य योग जीवन का सार है तथा इससे विष अमृत बन जाता है। सहिष्णुता के विकास पर बल देते हुए आचार्य ने कहा कि वाणी में आवेश नहीं केवल मिठास होना चाहिए। जो मधुर भाषी होता है, वह अहिंसक चेतना का उन्नयन कर लेता है। शांत सहवास करने वाला घर और परिवार को स्वर्ग बना देता है। मनुष्य को तीव्र प्रतिक्रिया और प्रतिशोध की भावना से बचना चाहिए। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ नाहटा परिवार की महिलाओं द्वारा स्वागत गीतिका की प्रस्तुति दी गई। समारोह में स्वागत भाषण नगीना नाहटा ने दिया। समारोह से पूर्व आचार्य महाश्रमण का झाख गांव में प्रवेश पर धवल वाहिनी सेना के साथ स्थानीय ग्रामीणों ने स्वागत किया।
कार्यक्रम में भंवरलाल नाहटा, प्रकाशचंद नाहटा, जितेंद्र सालेचा, भीमाराम, रेखा नाहटा, पूजा मालू, रितू नाहटा, भावनादेवी नाहटा, उषादेवी मालू, मंजूदेवी मालू ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया। इस दौरान महंत पारसनाथ महाराज, सरपंच जीवनराम प्रजापत, पूर्व सरपंच भैराराम चौधरी, तनसिंह चौहान, जयसिंह भाटी सहित गणमान्य नागरिक मौजूद थे।