ShortNews in English
Tapara: 04.02.2013
Acharya Mahashraman said Muni Jeetmal was person of talent and he also get good direction from Muni Hemraj. Acharya Bharimal also contributed in building personality of Muni Jeetmal. He become fourth Acharya of Terapanth sect. Before becoming Acharya he was group leader and alter as Yuvacharya he did many jobs. Jayacharya has started many new works. He can be called a person of Prajna.
News in Hindi
प्रज्ञा का विकास हर किसी में नहीं दिखता: महाश्रमण
टापरा में जय दीक्षा द्विशताब्दी समारोह मनाया
टापरा 04 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ समाचार
'प्रज्ञा धर्म तत्व का समीक्षण करता है। प्रज्ञा का विकास प्रत्येक किसी में देखने को नहीं मिलता। कुछ-कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनके प्रज्ञा विकसित हो जाती है। जयाचार्य ऐसे पुरुष थे जिनमें प्रज्ञा, प्रतिभा व समता का बहुत विकास हो गया था, जिन्हें प्रज्ञा पुरुष के रूप में महिमामंडित किया गया।' यह उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने रविवार को टापरा गांव में प्रज्ञा पुरुष जयाचार्य के दीक्षा द्विशताब्दी के अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मुनि जीतमल के पास प्रतिभा थी। फिर उन्हें हेमराज स्वामी जैसे निर्माता अग्रणी का योग मिल गया। भारमल स्वामी का भी चिंतन, दृष्टि विलक्षण थी। आचार्य ने बताया कि जयाचार्य के साथ मुनि हेमराज स्वामी को भी बड़े सम्मान के साथ याद करता हूं। वे तेरापंथ के नभस्थल में दैदीप्यमान नक्षत्र के रूप में थे और जैन शासन के नभ स्थल में जयाचार्य दैदीप्यमान नक्षत्र के रूप में थे। श्रीमद् जयाचार्य तत्ववेता, विधिवेता, अध्यात्मवेता आचार्य थे। तत्वज्ञान में जयाचार्य का जो विकास था वो अतिविशिष्ट था। छोटी अवस्था में ही वे दीक्षित हो गये थे। वे अग्रणी के रूप में विचरे, फिर युवाचार्य बनाया गए और 14 वर्ष तक युवाचार्य रहे, वे भविष्यवेता आचार्य थे। भगवती जैसे पद्यों में जोड़ लिख देना उनके तत्वज्ञान का पुष्ट प्रमाण है। आचार्य भिक्षु ने कच्चा रास्ता तैयार किया लेकिन पक्का रास्ता जयाचार्य ने बनाया। तेरापंथ के ग्रंथ का पहला संस्करण आचार्य भिक्षु, दूसरा संस्करण जयाचार्य व तीसरा संस्करण आचार्य तुलसी ने तैयार किया। जयाचार्य अध्यात्मवेता आचार्य थे। उनके द्वारा रचित चौबीसी में कितनी भक्ति भावना है।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने श्रद्धा प्रणति देते हुए कहा कि जयाचार्य जैन शासन की महान विभूति थी। महान विभूति इसलिए कि जो कार्य प्रतिभाशाली द्वारा भी असंभव था वह कार्य उन्होंने संभव कर दिखाया। मुनि सुमेरमल स्वामी ने कहा कि जयाचार्य ने हेमराज स्वामी मे जितने प्रकट में गुण थे वे सब ले लिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजय कुमार ने जयगणी वर संत हा महान गीत का संगान किया। साध्वी कमल, मुनि अशोक कुमार, मदन कुमार व साध्वी यशोधरा ने अपने भावोदगारित किए।