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Badli: 18.06.2013
Acharya Mahashraman while addressing people during his daily Pravachan told that everyone should follow Non-violence. It is not easy to be complete non-violent for a householder so best way is that he try to avoid violence as much as possible. He explained four types of violence.
News in Hindi
जितना संभव हो हिंसा से बचें: आचार्य महाश्रमण
बड़ली में साधकों को किया संबोधित, हिंसा के विभिन्न प्रकार बताते हुए उनसे बचने की आवश्यकता जताई
बड़ली (जोधपुर) जून जैन तेरापंथ न्यूज के लिए ज्योति नाहटा
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि हिंसा से बचना आसान नहीं हैं। गृहस्थ, श्रावक का पूर्णतया हिंसा से मुक्त रहना मुश्किल है। साधु के लिए भी द्रव्य हिंसा से मुक्त होना कठिन है। गृहस्थ के लिए तो पग-पग पर हिंसा से बचने की चुनौती होती है। जितना संभव हो हिंसा से बचना चाहिए। वे सोमवार को बड़ली हाइवे पर साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जानबूझकर निरपराध को नहीं मारें। श्रावक को चाहिए कि हिंसा का अल्पीकरण करे। हिंसा चार प्रकार की होती है- उद्योगी हिंसा, आरंभ संबंधी हिंसा, विरोध संबंधी हिंसा व संकल्पजा हिंसा। व्यक्ति स्थावर जीव की हिंसा का भी परिसीमन करें। श्रावक भ्रूण हत्या नहीं करे। आत्महत्या नहीं करे। निरपराध को नहीं मारने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि श्रावक को 12 व्रतों का पालन करना चाहिए। इन व्रतों की विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इन पर चलने से धर्म की पालना हो सकती है। उन्होंने कहा कि तेरहवां व्रत संथारा है, जिसे सोच-समझकर आत्मकल्याण के लिए किया जा सकता है।
धर्म कार्य में विलंब न करें: इस मौके पर मुनि सुमेरमल महाराज ने कहा कि व्यक्ति को धर्म के कार्य में विलंब नहीं करना चाहिए। धार्मिक कार्यों में समय बीतना चाहिए। जो जितना धर्म पथ से जुड़ेगा, आत्मकल्याण की डगर पर उसका उतना ही प्रवेश होगा। धार्मिक व्यक्ति को बाहरी प्रवृत्तियों से बचना चाहिए। कार्यक्रम में मुनि राजकुमार ने गीत प्रस्तुत किया। संचालन जिनेश मुनि ने किया।