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चंडीगढ़ 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
राजसमन्द 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो रुचिअर जैन
pali 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो श्री स्वरूप चन्द दांती
बालोतरा 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो श्री स्वरूप चन्द दांती
बालोतरा 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो श्री स्वरूपचन्द दांती
12 व्रत कार्यशाला आयोजित
ब्यावर 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमणजी के विद्धवान शिष्य मुनि विमल कुमार के सानिध्य एवं तेरापंथ युवक परिषद की ओर से श्रावक के 12 व्रत कार्यशाला सेठ नथमल रांका बिल्डिंग में हुआ। मुनिश्री ने बताया कि व्रत जीवन परिष्कार की प्रक्रिया है। व्रत केवल सिद्धंात ही नहीं बल्कि एक जीवनशैली है और जीवन का सुरक्षा कवच है। इनको स्वीकार करने से ऊर्जा प्राप्त होती है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ होता है। व्रत व्यक्ति को बुराइयों से बचाता है। अध्यक्ष मनीष रांका ने बताया कि केंद्रीय परिषद की ओर से प्रेषित सीडी को प्रवचन में प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया है।
ज्ञानशाला संस्कार का श्रेष्ठ उपक्रम -साध्वी निर्वाणश्री
सुजानगढ़ 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
दस्साणी भवन में ज्ञानशाला दिवस रविवार को मनाया गया। साध्वी निर्वाणश्री के सानिध्य में हुए कार्यक्रम में साध्वी ने कहा कि ज्ञानशाला संस्कार के विकास का श्रेष्ठ उपक्रम है। संस्कारों की नींव जितनी सुदृढ़ होगी उतने ही सच्चे और अच्छे भावी नागरिक तैयार हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि जिस ज्ञानशाला में अनुशासन व वात्सल्य का समन्वय होता है वह वटवृक्ष की तरह फलती फूलती है। साध्वी योगक्षेम प्रभा ने कहा कि संस्कारों के बीजारोपण का सशक्त माध्यम ज्ञानशाला है। कार्यक्रम की शुरुआत अर्हं वंदना से हुई। इस दौरान संजय बोथरा, निकित भूतोडिय़ा, हर्षा भूतोडिय़ा, नील व निधि मेहता ने विचार व्यक्त किए। संचालन शोभा सेठिया ने किया।
व्रत श्रावक के जीवन का शृंगार: साध्वी कमलश्री जी
बालोतरा 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो श्री स्वरूप चन्द दांती
व्रत श्रावक के जीवन का श्रृंगार है। व्रतों को जीवन में अंगीकार कर वह अपने जीवन को शांत, सरल, आनंदमय बना सकता है। संसार के सभी भौतिक सुख-सुविधाओं में रहते हुए भी एक तरह से समणभूत की श्रेणी में आ जाता है। ये विचार स्थानीय तेरापंथ भवन में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की ओर से निर्देशित एवं तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आयोजित बारह व्रत कार्यशाला में शासन साध्वी कमलश्री ने व्यक्त किए। साध्वी ने कहा कि भगवान महावीर ने धर्म के दो रुप की परुपजा की अणगार धर्म, आगार धर्म (साधु धर्म, श्रावक धर्म)। साधु जीवन के लिए सर्व तरह की हिंसा का आजीवन त्याग होता है। श्रावक गृहस्थ जीवन में रहते हुए अपने परिवार, समाज के प्रति दाहित्वों को निभाते हुए कुछ छोटे-मोटे संकल्पों को जीवन में अंगीकार कर सम्यकत्व को सुरक्षित रख सकता है। निर्लोपी बनकर, यथा भोजन, पानी, कपड़ों, धन धान्य, मकान, वाहन, यात्रा की दिशाओं का परिसीमन करना। साध्वी ने कहा कि बलिदानों की ही कहानी बनती है। आनंद, कामदेव आदि श्रावक इसके ज्वलंत उदाहरण है। साध्वी जिनरेखा ने कहा कि विसर्जन द्वारा समाज और संघ की सेवा में योगभूत बनें। आचार्य तुलसी के इस जन्म शताब्दी वर्ष में ज्यादा से ज्यादा बारहव्रती श्रावक कार्यकर्ता बनकर गुरु चरणों में सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें।
श्रद्धाबल, ज्ञानबल के साथ संकल्प शक्ति को जोड़कर किए जाने वाला हर कार्य सफलता के शिखर को प्राप्त करता है। आचार्य महाश्रमण की ओर से प्रदत्त बारह व्रत पर संदेश को बड़े पर्दें पर बताया गया। संयोजन मंत्री निलेश सालेचा ने किया। तेयुप अध्यक्ष सुरेश गोठी ने आभार व्यक्त किया।
ज्ञानशाला में संस्कार का सिंचन साध्वी कुंदनप्रभा
आसींद 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
ज्ञानशाला एक ऐसा उपवन है, जहां संस्कार रूपी बीजों का सिंचन होता है। इस उपवन में जो पुष्प खिलते हैं, वे अपने चरित्र की सुवास से स्वयं के जीवन को ही नहीं आस-पास के परिवेश को भी सुवासित कर देते हैं। यह बात रविवार को तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी कुंदनप्रभा ने कही।
उन्होंने कहा कि ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का महत्वपूर्ण उपक्रम है। अभिभावक अपने बच्चों को ज्ञानशाला में भेजकर उनके व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में सर्वांगीण विकास के लिए आगे बढ़ सकते हैं। साध्वी किरणयशा ने बच्चों को घर, परिवार, देश, समाज व राष्ट्र का कर्णधार बताते हुए अनेक संस्मरणों के माध्यम से विचार प्रस्तुत किए। इस मौके पर ज्ञानशाला प्रशिक्षिका पुष्पा नौलखा ने ज्ञानशाला की गतिविधियों की जानकारी दी। सुनीता दुग्गड़ ने बच्चों की प्रगति का परिचय दिया।
आत्मा को मलीनता से बचाने वाले संकल्प व्रत हैं: मुनि श्री रविंद्र जी
उदयपुर 25 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित बारह व्रत कार्यशाला में मुनि श्री रवींद्र कुमार ने कहा कि प्रवृत्ति से निवृत्ति की ओर यात्रा का नाम व्रत है। साथ ही आत्मा को मलीनता से बचाने के लिए जो संकल्प लिए जाते हैं वो व्रत है। तेरापंथ भवन में हुई कार्यशाला में मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि बारह व्रत के प्रचार-प्रसार का दायित्व तेरापंथ युवक परिषद का है, लेकिन पालना का जिम्मा सभा, महिला मंडल और समस्त समाजजन का है।
ज्ञानशाला दिवस मनाया
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा उदयपुर के ज्ञानशाला प्रकोष्ठ द्वारा रविवार को ज्ञानशाला दिवस समारोह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के तहत ज्ञानार्थी बच्चे व उनकी प्रशिक्षिकाओं के साथ संस्कार वर्धक संदेशों का प्रचार करते हुए रैली निकाली गई। इसके बाद विभिन्न कार्यक्रम हुए।
किशनगंज में मनाया गया ज्ञान शाळा दिवस
Kindly attend "ANUVRAT KARYAKARTA PRASIKSHAN KARYASHALA" presided by Munisri Sukhlal ji on 01.09.2013 sunday at Terapanth Bhawan,Chhatarpur, Mehrauli 10AM to 4pm Anuvrat Samiti Delhi,
registered your name
Vishal Sanchati (east)
099-99-210003
Sushil Patawari (south)
098-10-274289
Vinod bhansali (north)
093-50-059220
Rajkumar Dugar
093-12-751758
Rakesh Nahata
09582454379
Milap Ji Bothara
098-68-505932
Babulal Ji Bachavat
080-10694490
Manoj Ji Barmecha
093-13-166674
Deepak Singhi (anuvrat Bhawan
099-99-803066
गण की प्रभा है तपस्वी साध्वी गणप्रभा: आचार्य श्री महाश्रमण
एक माह से अधिक संथारा तपस्यारत हैं साध्वी
लाडनूं अगस्त जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो से समृद्धि नाहर
साध्वी गणप्रभा की तिविहार संलेख अनवरत जारी है। पिछले एक सप्ताह से जलग्रहण के भी त्याग ले लिए हैं। रविवार को आचार्य महाश्रमण उन्हें दर्शन देने जैन विश्वभारती स्थित अमृतायन भवन पहुंचे।
आचार्य महाश्रमण ने साध्वी गण प्रभा से कुशलक्षेम पूछी। उन्होंने गण प्रभा की संलेखना तपस्या को गौरवमयी बताते हुए कहा कि साध्वी गण प्रभा ने तेरापंथ इतिहास में अपने तपोबल का एक अध्याय जोड़ा है। आचार्य प्रवर ने उन्हें संयम की सीख देते हुए कहा कि संथारा जारी रखने की भावना रहे ना तो जीने की चाहना होनी चाहिए और ना ही मृत्यु की कामना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साध्वी गण प्रभा अपने तप से गण की प्रभा बढ़ा रही है। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि साध्वी गण प्रभा अत्यधिक मजबूत है। उन्होंने बड़ी ही सहजता से अपने संथारे को आगे बढ़ाया है। इस अवसर पर साध्वीगण ने गीतिका प्रस्तुत कर तप की महिमा बताई।
लाडनूं. साध्वी गण प्रभा को दर्शन देते आचार्य महाश्रमण
बीदासर से आते है प्रतिदिन सैकड़ों दर्शनार्थी
पिछले पांच दिनों से चौविहार संथारा लेने के बाद से उनके पैतृक गांव बीदासर से प्रतिदिन बस द्वारा सैकड़ों श्रद्धालु लाडनूं आ रहे हैं। बीदासर तेरापंथी सभा द्वारा यह व्यवस्था की गई है। साध्वी गण प्रभा के दर्शन के लिए बीदासर के अलावा आस-पास के क्षेत्र सुजानगढ़, छापर, रतनगढ़, सरदारशहर आदि से भी दर्शनार्थी आ रहे हैं। इसके अलावा उनके सांसारिक परिवार जन भी पिछले एक माह से जैन विश्वभारती में रहकर सेवा कर रहे हैं।
दिनभर चलते धार्मिक आयोजन
साध्वी गण प्रभा के चौविहार संलेखना शुरू होने के साथ ही श्रावक-श्राविकाएं अमृतायान भवन में आवाजाही बढ़ गई है। दर्शनार्थियों का पूरे दिन तांता लगा रहता है। दिन भर उनके पास धार्मिक मंत्रोच्चार व जप आदि कार्यक्रम निरंतर चल रहे हैं। साध्वी गण प्रभा की सेवारत साध्वियां और जैन समाज के लोगों द्वारा निरंतर किये जा रहे इस जप में भाग ले रहे हैं।
संथारा
बीदासर निवासी गणपति देवी ने अपने 20 वर्ष पूर्व लिए संकल्प को पूरा करने के लिए आचार्य महाश्रमण के समक्ष उपस्थित होकर तिविहार संथारा ग्रहण किया। इसके बाद से वे केवल जल ग्रहण कर रही थी। 24 जुलाई को उनके निवेदन पर आचार्य महाश्रमण ने उन्हें जैन दीक्षा प्रदान की। आचार्य महाश्रमण से संथारा लेने से पूर्व वे नौ दिन से निरंतर उपवास कर रही थी। दीक्षा के बाद भी उनका संथारा जारी रहा तथा 19 अगस्त को उन्होंने आचार्य महाश्रमण के समक्ष चौविहार संथारा लेने अर्थात जल का भी त्याग करने का निवेदन किया। इस पर आचार्य महाश्रमण ने उन्हें चौविहार संथारे का संकल्प दिलाया। पिछले एक सप्ताह से उनकी तपस्या जारी है।
लाडनूं. अमृतायन में जप करते जैन श्रावक श्राविकाएं।