ShortNews in English
Ladnun: 02.10.2013
Past Vice-chancellor of JVBU M.R.Gelra told Acharya Tulsi was great thinker. He was speaking in a two days national seminar on Non-violence and peace.
News in Hindi
आचार्य तुलसी का चिंतन कालजयी
जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा व शांति विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का समापन सोमवार को महाप्रज्ञ सभागार में हुआ।
लाडनू 02 अक्तूबर 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्यूरो समृद्धि नाहर
मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. महावीर राज गेलड़ा ने कहा कि आचार्य तुलसी कालजयी चिंतन के धनी थे, उनका चिंतन व दृष्टिकोण मानवीय एकता व सामाजिक समरसता को बढ़ाने वाला रहा है। उन्होंने कहा कि उनका बाहरी व आंतरिक व्यक्तित्व सुदृढ व आकर्षिक करने वाला था। तुलसी ने देश व विश्व को अहिंसात्मक जीवन शैली का संदेश दिया। उनका मानना था कि समाज व नैतिक वातावरण के निर्माण से विश्व में अहिंसा व शांति को प्रतिष्ठापित किया जा सकता है। अध्यक्षता करते हुए अणुव्रत प्रवक्ता डॉ. महेंद्र कर्णावट ने आचार्य तुलसी के अवदानों को विश्व मानव समाज के लिए वरदान बताते हुए समाज सुधार के कार्यों पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि आचार्य तुलसी ने मानव जाति के कल्याण के लिए जो कार्य किये वे हमेशा स्मरणीय रहेगें। संस्थान कुलसचिव डॉ. अनिल धर ने दो दिवसीय सेमीनार के क्रियाकलापों की जानकारी दी। प्रो. बच्छराज दूगड़ ने आचार्य तुलसी के अहिंसा दर्शन की चर्चा की। सेमीनार क े चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता शिक्षाविद् प्रो एलएन दाधीच ने की। मुख्यवक्ता डॉ. आनंदप्रकाश त्रिपाठी थे। सेमीनार में प्रो. प्रेम सुमन जैन, डॉ. उर्मिला जैन, डॉ. हरिराम, प्रो. एलके दाधीच, प्रो. एनएल कच्छावा, डॉ. दिनेश गहलोत, प्रो. समणी चैतन्यप्रज्ञा, प्रो. केसी अग्निहोत्री, डॉ. समणी कुसुम प्रज्ञा, समणी रोहित प्रज्ञा, डॉ. एपी त्रिपाठी, डॉ. ललित डॉ. किरण नाहटा, विकास शर्मा आदि विचार व्यक्त किए। संचालन जेके दाधीच ने किया।