12.10.2013 ►Churu ►Ladies Audience in Welcome Function of Mumukshu Ruchi Kothari in Presence of Sadhvi Chandrakala

Published: 14.10.2013
Updated: 08.09.2015

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२० मार्च, १९८८ को चूरू में ही जन्मीं और आंध्र यूनिवर्सिटी में बीकॉम गोल्ड मेडल प्राप्त रुचि शुरू से पढ़ाई में अव्वल रही। १२वीं में भी मेरिट स्कॉलरशिप मिली थी। उनकी शिक्षा विशाखापट्टनम में हुई। रुचि का कहना है कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी तेरापंथ आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य का अध्ययन करती। पुस्तकों में बताए प्रयोग भी करने लगी। अध्ययन, स्वाध्याय और प्रयोग के चलते मन में वैराग्य भाव आने लगा लेकिन किसी को बताया नहीं। दीक्षा लेने का रुचि का निर्णय चुनौती से कम नहीं था। दो-ढाई साल खुद के स्तर पर मन को टटोला। वर्ष 2010 में परिवार के साथ पारिवारिक काका डा. विनोद के दर्शन करने गई तब परिजनों को अपने निर्णय से अवगत करवाया। सांसारिक मोह से मुक्त होने के इस निर्णय से एक बारगी पिता रमेश कोठारी व माता सरलादेवी कोठारी विचलित हो गए। रुचि का निर्णय अटल था। अंतत: माता-पिता सहमत हो गए। तब से वह मुमुक्षु के रूप में धर्मसंघ के नियमों की पालना कर रही है ।
दीक्षा लेने से पूर्व दिए जाने वाले प्रशिक्षण में नौ जुलाई, 2013 में लाडनूं की संस्था में प्रवेश किया। तीन महीने संस्था कालमान रहा। 17 सितंबर, 2013 को प्रतिक्रमण का आदेश मिला। नौ अक्टूबर, 2013 को आचार्य महाश्रमण ने दीक्षा की अनुमति दी। 28 नवंबर को बीदासर में आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में होने वाले वृहद दीक्षा समारोह में मुमुक्षु रुचि पूरी तरह सांसारिक मोह त्याग संयम में रत हो जाएगी ।
महाप्रज्ञ के साहित्य और पारिवारिक रिश्ते में काका मुनि डा. विनोद के व्यक्तित्व से प्रेरित रुचि को २८ नवंबर को बीदासर में भव्य समारोह में दीक्षा दी जाएगी।

चूरू में जन्मी और विशाखापट्टनम (आंध्रप्रदेश) में पढ़ाई करने वाली 25 वर्षीय मुमुक्षु रुचि कोठारी की दीक्षा को लेकर चूरू के श्रावक समाज में खुशी है। यहां के श्रावकों में खुशी की वजह यह भी है कि इससे पहले यहीं १९९३ में रुचि के काका डा. विनोद ने सांसारिक मोह त्यागकर संत दीक्षा ली थी।

कमल कुंज में साध्वी चंद्रकला के सानिध्य में मंगल भावना कार्यक्रम हुआ। इसमें परिजन व बड़ी संख्या समाजजनों ने मुमुक्षु रुचि कोठारी के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। मंगलाचरण से शुरू हुए कार्यक्रम में साध्वी प्रतिभाश्री व विकास प्रभा ने गीतिका प्रस्तुत की। एडवोकेट प्रताप सुराणा, रमेश कोठारी, पद्मादेवी बांठिया, शशि देवी कोठारी, टीकमचंद पारख, सुरेश बैद, अजय दफ्तरी, रचना कोठारी, मैनादेवी लूणिया व सरोज कोठारी ने इसे चूरू के लिए गौरव की बात बताया। जतनलाल बरडिय़ा ने तेरापंथी सभा, विनोद लूणिया ने परिवार के प्रतिनिधि के रूप में के अलावा चंदा देवी पारख, महिला मंडल व युवक परिषद के पदाधिकारियों ने मुमुक्षु कोठारी का शॉल ओढ़ाकर व साहित्य भेंट कर अभिनंदन किया। संचालन राजेश बांठिया ने किया।

नोट: मुमुक्षु रुचि के संसारपक्षीय काका मुनि डॉ विनोद कुमार जी व भुआ की बेटी बहन साध्वी मौलिकयशा जी धर्मसंघ में समर्पित है । जैन तेरापंथ न्यूज़ ब्यूरो व जैन कार्यवाहिनी कोलकाता से पंकज दुधोडिया

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