ShortNews in English
Ladnun: 21.10.2013
250 People from All Over World are In JVB.
News in Hindi
विभिन्न देशों के 250 विदेशी पहुचें लाडनूं
भारतीय संस्कृति का कोई सानी नहीं
लाडनू 20 अक्तूबर 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो समृद्धि नाहर
जैन विश्वभारती का प्रांगण जो आजकल विदेशियों से भरा नजर आता है। विश्व के अनेक देशों से आये 250 से भी अधिक विदेशी नागरिक जब लाडनूं के इस संस्थान में घूमते नजर आते है तो यहां के लोगों को किसी दूसरे देश में होने का आभास सा होता है। ये विदेशी नागरिक यहां तुलसी अध्यात्म नीडम में चल रहे प्रेक्षाध्यान के अन्तर्राष्ट्रीय शिविर में भाग लेने के लिए आये है। प्रेक्षा इन्टरनेशनल संस्थान के तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न संस्कृतियों एवं विभिन्न देशों से आये यह लोग यहां के वातावरण एवं परिवेश से इस क द्र प्रभावित है कि यहां चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री महाश्रमण के प्रवास स्थल पर जैन संंतो के सान्निध्य में भारतीय संस्कृति को जानने के उत्सुक रहते है।
जैन संत आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर में रूस, कजास्तिान, संयुक्त राज्य अमेरिका, हॉलेण्ड, जर्मनी, जापान, इगलैंड, आस्ट्रेलिया, फिलिपिन्स, मास्कों आदि सहित विश्व के अनेक देशों से आये विदेशीयों को जैन विश्वभारती का हरितिमा से युक्त प्राकृतिक परिवेश प्रभावित कर रहा है। प्रतिदिन प्रशिक्षण के साथ वे यहां भ्रमण कर भारतीय संस्कृति एवं जैन संस्कृति को भी गहराई से समझने का प्रयास कर रहे है। जैन विश्वभारती के परिवेश में अवस्थित राष्ट्रीय पक्षी मोर के प्रति विदेशी लोगो में अजीब आकर्षण है, मोर का फोटों लेने से लेकर उसे दुलार के साथ सहलाना विदेशियों को रोमाचिंत कर रहा है।
रूस के पॉप सिंगर अलेक्जेण्डर अपने परिवार सहित यहां आये है वे यहां के वातावरण की प्रशंसा करते हुए प्रेक्षाध्यान पद्वति को तनाव मुक्ति का सशक्त माध्यम मानते है। अलेक्जेण्डर का कहना है कि रूस के अनेक शहरों में प्रेक्षाध्यान के 57 केन्द्र संचालित है, इन केन्द्रों पर हजारों लोग प्रतिदिन प्रेक्षाध्यान का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। मास्कों की साहित्यकार एवं अनुवादक मारिया यहां के शांत वातावरण एवं अध्ययन अध्यापन के लिए किये जा रहे कार्यो को दुर्लभ बताती है। मारियां आचार्य श्री महाश्रमण की पुस्तकों को विविध भाषा में अनुवाद करना चाहती है। यूके्रेन में प्रेक्षाध्यान केन्द्र के संचालन करने वाली नतालिया भारतीय संस्कृति को विश्व की अनूठी संस्कृति मानती है, उनका कहना है कि योग के क्षेत्र में भारत का कोई सानी नहीं है।
आचार्य महाश्रमण के यहां चातुर्मास के दौरान प्रवास कर हजारों श्रद्वालुओं का स्नेह पाकर विदेशी यहां के परिवेश से बेहद आकर्षित है। दल मेंं शामिल विदेशी महिलाओं में भारतीय संस्कृति को निकट से देखने परखनें के हौड लगी है वे यहां साडी, लुगडी व देशी पहनावा पहनकर अपने में गौरव की अनुभूति कर रही है। अनेक शिविरार्थी यहां बार बार आने की इच्छा व्यक्त करते है। शिविर के उपरांत परीक्षा में अव्वल रहने वाले शिविरार्थियों को यहां से प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जायेगा। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण सर्टीफि केट के आधार पर यह विदेशी अपने अपने देशों में भी प्रेक्षाध्यान के केन्द्र स्थापित कर सकते है। 26 अक्टूबर तक चलने वाले इस शिविर में अनेक साधु-साध्वी, समणी वून्द एवं प्रेक्षाध्यान के एक्सपर्ट इन्हें प्रशिक्षण दे रहे है। विदेशी यहां अवस्थित विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रर्मों से भी प्रभावित है। विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें प्रचार सामग्री भी उपलब्ध करवायी गई है।