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Sardarshahar: 13.12.2013Samadhi Sthal of Acharya Mahaprajna Known as Shanti Peeth Inaugurated in Presence of Acharya Mahashraman. Acharya Mahashraman told that Sant stays peaceful.
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सरदारशहर. 13 दिसंबर 2013 जैतस न्यूज ब्योरो महावीर सेमलानी
परम श्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा कि अध्यात्म की साधना का सार शांति है। जो व्यक्ति शांत होता है वहीं सच्चा साधु होता है। जिसे बात-बात पर उत्तेजना आती है वह कभी साधु नहीं बन सकता। आक्रोश आदमी की सबसे बड़ी कमजोरी होती है।
वे शुक्रवार को आचार्य महाप्रज्ञ की समाधि स्थल पर बने शांति पीठ के लोकार्पण समारोह में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि शांति का एक आयाम है क्षमा, दूसरा अध्यात्म और तीसरा आयाम है अभय। अध्यात्म से व्यक्ति को शक्ति प्राप्त होती है। आज आदमी भयभीत बहुत होता है क्योंकि वह दुखों से घबरा जाता है। जो व्यक्ति तीनों आयाम प्राप्त कर लेता है वही व्यक्ति शांति प्राप्त कर लेता है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की समाधि स्थल का नाम शांति पीठ रखा गया है लेकिन इसका पूरा नाम अध्यात्म का शांति पीठ है। नौवें गुरु तुलसी की समाधि स्थल का नाम शक्ति पीठ रखा गया है। शनिवार को यात्रा शांति पीठ से शक्ति पीठ के लिए रवाना होगी।
मंत्री मुनि सुमेरमलजी ने कहा कि दीक्षा का अर्थ है मूल जीवन में बदलाव। जिन्हें संयम का आत्म ज्ञान होता है वहीं साधु बनता है। संयम के साथ अनुशासन व मर्यादा में रहना ही साधु का कर्तव्य है। साध्वी प्रमुख कनक प्रभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ साधक, विचारक और आध्यात्मिक थे जिनके व्यक्तित्व की व्याख्या नहीं की जा सकती। तेरापंथ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल ने कहा कि शांति पीठ का प्रथम चरण पूरा किया गया है। दूसरा चरण शीघ्र शुरू किया जाएगा। महासभा के मुख्य ट्रस्टी कमल दूगड़, उद्योगपति मूलचंद मालू, मंत्री तिलोकचंद चोरडिय़ा, सुरेंद्र दूगड़ ने भी विचार व्यक्त किए। मालू ने शांति पीठ के लिए एक करोड़ 11 लाख रुपए देने की घोषणा की। इससे पूर्व आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में शांति पीठ का लोकार्पण किया गया। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
:सरदारशहर. आचार्य महाप्रज्ञ समाधि स्थल पर बना शांती पीठ।