19.02.2014 ►Delhi ►Muni Rakesh Kumar Discussed about Acharya Tulsi Birth Centenary in Parliament

Published: 20.02.2014
Updated: 08.09.2015

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Delhi: 19.02.2014

Muni Rakesh Kumar Discussed about Acharya Tulsi Birth Centenary in Parliament.

News in Hindi

संसद भवन में आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह पर चर्चा
अल्पसंख्यक बहुसंख्यक की राजनीति घातक: मुनि राकेशकुमार

संसद में एक ओर तेलंगाना मुद्दे पर गर्मागर्म बहस छिड़ी हुई थी तो दूसरी ओर भारतीय संत परम्परा के शीर्षस्थ संतपुरुष आचार्य तुलसी के अवदानों की चर्चा को लेकर लोकतंत्र को एक नई दिशा देने के प्रयास किये जा रहे थे। संसद भवन में भाजपा के कार्यालय में करीब पन्द्रह सांसदों की उपस्थिति में आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह पर चर्चा को लेकर आचार्य श्री महाश्रमण के शिष्य मुनिश्री राकेशकुमारजी की सन्निधि में देश के सम्मुख उपस्थित समस्याओं को लेकर सकारात्मक चर्चा का वातावरण बना।
लोकसभा में विपक्षी नेता श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि वर्तमान में देश जिन जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा है, इन हालातों में शांति एवं अहिंसा जैसे मूल्यों की स्थापना जरूरी है। उन्नत व्यवहार से जीवन को बदला जा सकता है और इसके लिए आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रारंभ किया गया अणुव्रत आंदोलन और उसकी आचार-संहिता जीवन-निर्माण का सशक्त
माध्यम है।
राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन के द्वारा लोकतंत्र को सशक्त करने की दृष्टि से किए जा रहे इन प्रयत्नों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने आगे कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण आध्यात्मिक शक्ति के साथ संपूर्ण राष्ट्र में शांति व भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं। मौजूदा माहौल में अणुव्रत आंदोलन समाज में शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को जन-जन में स्थापित करने का सशक्त माध्यम है। श्री प्रसाद ने संसद में नई सरकार के गठन के बाद यदि भाजपा की सरकार बनती है तो आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी का एक भव्य आयोजन करने का आश्वासन दिया।
मुनि राकेशकुमार ने अपने विशेष उद्बोधन में अणुव्रत आंदोलन की संपूर्ण जानकारी प्रदत्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में दायित्व और कर्तव्यबोध जागे, तभी लोकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। सांप्रदायिक हिंसा, कटुता एवं नफरत के जटिल माहौल में अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से शांति एवं अमन-चैन कायम करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। यही वक्त है जब राष्ट्रीय एकता को संगठित किया जाना जरूरी है। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिये जाने के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुनि राकेशकुमारजी ने कहा कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति देश के लिए घातक है। राष्ट्रीयता के आधार पर वह हर व्यक्ति हिन्दू है जिसे हिन्दुस्तान की नागरिकता प्राप्त है और जिसकी मातृभूमि हिन्दुस्तान है। जाति व धर्म के आधार पर इंसान को बांटने की नहीं जोड़ने की जरूरत है। ऐसे ही विचारों को आचार्य तुलसी ने बल दिया था। मुनिश्री सुधाकरकुमार ने आचार्य तुलसी के द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द, राष्ट्रीय एकता एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिए किये गये प्रयत्नों की चर्चा करते हुए कहा कि पंजाब समस्या हो या संसदीय अवरोध, भाषा का विवाद हो या साम्प्रदायिक झगड़े हर मोर्चे पर उन्होंने देश को संगठित करने का प्रयत्न किया। प्रारंभ में मुनिश्री दीपकुमार ने अणुव्रत गीत का गायन किया।
इस अवसर पर श्री अर्जुन मेघवाल, श्री पीयूष गोयल, श्री दिलीप गांधी, श्री अविनाश खन्ना, श्रीमती विमला कश्यप, श्री पाण्डेयाजी, श्री जयप्रकाश नारायण सिंह, श्री वीरेन्द्र कश्यप, ज्योति धुर्वे, श्री संजय पासवान, पूर्व सांसद श्री संघप्रिय गौतम, पूर्व सांसद डाॅ॰ महेश शर्मा, पूर्व सांसद श्री प्रदीप गांधी, अनुसेया आदि अनेक सांसद उपस्थित थे। समारोह में अणुव्रत के शीर्षस्थ कार्यकर्ता श्री मांगीलाल सेठिया, श्री पदमचंद जैन, तेरापंथी सभा के महामंत्री श्री सुखराज सेठिया, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रधान ट्रस्टी श्री संपत नाहटा, अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक श्री ललित गर्ग, श्री रमेश कांडपाल, श्री महेन्द्र मेहता, भाजपा कार्यालय के सचिव श्री वी॰ एस॰ नाथन आदि ने भी अपने विचार रखे।

प्रेषक:

(ललित गर्ग)18/02/2014

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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