Update
13 अप्रैल का संकल्प
*तिथि:- वैशाख कृष्णा द्वितीया*
बनते-बिगड़ते मानसिक भाव।
ऊर्जा पर डालते विषाक्त प्रभाव।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 बैंगलोर - रविंद्र कला क्षेत्र में हुई अणुव्रत की गुंज
👉 परभणी (महा) - महावीर जयंती समारोह आयोजित
👉 बैंगलोर - महावीर जयंती का कार्यक्रम आयोजित
👉 बैंगलोर - दीक्षार्थी अभिनन्दन समारोह
👉 कालीकट - महावीर जयंती समारोह आयोजित
👉 सैथिंया - कन्या सुरक्षा सर्किल का भूमि पूजन
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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Update
👉 जयपुर - "फ़ूड फॉर हंगर" का आयोजन
👉 कोयम्बटूर - प्रेक्षा ध्यान शिविर का आयोजन
👉 कोयम्बतुर - केन्दीय कारागृह में मुनि श्री का मंगल उदबोधन
👉 इस्लामपुर - महावीर जयंती के अवसर पर अहिंसा रैली का आयोजन
👉 झारसुगुड़ा (ओड़िशा) - महावीर जयंती समारोह आयोजित
👉 तोशाम - ज्ञानशाला का कार्यक्रम आयोजित
👉 बर्धमान - महावीर जयंती के अवसर पर अहिंसा रैली का आयोजन
👉 सेलम - महावीर जयंती का कार्यक्रम व अंहिसा रैली का आयोजन
👉 रायपुर - *अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल को अपनी उत्कृष्ट सेवाओं हेतु छतीसगढ़ शासन द्वारा "उत्कृष्टता पुरस्कार" से सम्मानित*
👉 रतनगढ़ - मंगल भावना समारोह का आयोजन
👉 रतनगढ़ - पुस्तक लोकार्पण का कार्यक्रम आयोजित
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद*🌻
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दिनांक 12- 04- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
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👉 जयपुर - "फ़ूड फॉर हंगर" का आयोजन
👉 कोयम्बटूर - प्रेक्षा ध्यान शिविर का आयोजन
👉 कोयम्बतुर - केन्दीय कारागृह में मुनि श्री का मंगल उदबोधन
👉 इस्लामपुर - महावीर जयंती के अवसर पर अहिंसा रैली का आयोजन
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👉 तोशाम - ज्ञानशाला का कार्यक्रम आयोजित
👉 बर्धमान - महावीर जयंती के अवसर पर अहिंसा रैली का आयोजन
👉 सेलम - महावीर जयंती का कार्यक्रम व अंहिसा रैली का आयोजन
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👉 रतनगढ़ - मंगल भावना समारोह का आयोजन
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दिनांक 12- 04- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
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News in Hindi
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*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*
अनुक्रम - *भीतर की ओर*
*अप्रमाद केन्द्र*
मनुष्य शरीर की रचना में कान का महत्वपूर्ण स्थान है । इनके द्वारा शब्दों का ग्रहण होता है । बाह्य जगत से हमारा सम्पर्क स्थापित होता है । यह प्रत्यक्ष है । यह मर्मस्थान है, यह इसका परोक्ष स्वरुप है ।
कान पर ध्यान के प्रयोग कराए गए । उनसे शराब आदि मादक वस्तुओं के सेवन की आदते बदल गई । इस प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर कान के मर्मस्थान का नाम अप्रमाद केन्द्र रखा गया ।
12 अप्रैल 2000
प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*
प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 28* 📝
*आगम युग के आचार्य*
*ज्योतिपुञ्ज आचार्य जम्बू*
*अंतिम केवली*
सर्वज्ञ श्री संपन्न इंद्रभूति के बाद वी. नि. 20 (वी. पू. 450) में सर्वज्ञ श्रमण सहस्रांशु आचार्य सुधर्मा का निर्वाण और आचार्य जम्बू को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। तीर्थंकर महावीर के बाद अनुबद्ध केवली परंपरा में जम्बू तृतीय केवलज्ञानी बने। जम्बू का आचार्य पद ग्रहण और केवल ज्ञान प्राप्ति का संवत् एक ही है।
पिता अपना वैभव पुत्रों को सौंपकर जाता है, आचार्य सुधर्मा इसी प्रकार अपनी सर्वज्ञत्व संपदा जम्बू को समर्पित कर गए। अपूर्व ज्ञानराशि आचार्य जम्बू का आश्रय पाकर मुस्कुरा उठी।
जम्बू समर्थ आचार्य थे एवं निर्मल ज्ञान के देदीप्यमान-पुञ्ज थे। उनके समय तक धर्मसंघ में भेद नहीं था। श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपरा सुधर्मा और जम्बू को समान सम्मान प्रदान करती हैं। इस समय तक विकास का कोई भी द्वार अवरुद्ध नहीं था। आचार्य जम्बू चरम शरीरी एवं अंतिम सर्वज्ञ थे।
*समय-संकेत*
आचार्य जम्बू सोलह वर्ष तक गृहस्थ जीवन में रहे। मुनि पर्याय के कुल 64 वर्ष में 44 वर्ष तक उन्होंने युगप्रधान पद को अलंकृत किया। उनकी संपूर्ण आयु 80 वर्ष की थी। जन-जन को ज्ञान रश्मियों से आलोकित कर ज्योतिपुंज आचार्य जम्बू का वी. नि. 64 (वि. पू. 406) में निर्वाण हुआ।
नवयौवना, रूपसंपन्ना आठ पत्नियों का परित्याग कर संयम मार्ग पर बढ़ने वाले जम्बू मुक्ति-वधू का वरण कर कृतार्थ हो गए।
दिगंबर और एवं श्वेतांबर दोनों अभिमत से ज्योतिपुंज जम्बू अंतिम मुक्तगामी थे।
*आचार्य-काल*
(वी. नि. 20-64)
(वी. पू. 450-406)
(ई. पू. 507-463)
*स्तेन सम्राट प्रभव उच्चकोटि का परिव्राट बना, श्रमण सम्राट बना, यह जैन इतिहास का अनुपम पृष्ठ है। श्रुतधर आचार्यों की परंपरा में आचार्य प्रभव प्रथम हैं। परिव्राट्-पुंगव आचार्य प्रभव* के बारे में विस्तार से जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 28📝
*आचार-बोध*
*तपाचार*
(दोहा)
*80.*
बाह्याभ्यन्तर रूप में, तप के बाहर भेद।
करे निर्जरा के लिए, विधिवत श्रमण अखेद।।
*20. तप*
जिनप्रणीत, द्वादशविध बाह्य और आभ्यांतर तप का आचरण लाभ और पूजा-प्रतिष्ठा की आकांक्षा से मुक्त होकर अदीन भाव से करना चाहिए। इस विषय में दशवैकालिक निर्युक्ति में लिखा है--
बारसविहम्मि वि तवे,
सब्भिंतरबाहिरे कुसलदिट्ठे।
आगिलाइ अणाजीवी,
नायव्वो सो तवायारो।।
बाह्यतप के 6 प्रकार--
*1. अनशन--* उपवास आदि तपस्या करना।
*2. ऊनोदरी--* खान-पान आदि में कमी करना।
*3. भिक्षाचरी--* अभिग्रह-प्रतिज्ञाएं करना।
*4. रसपरित्याग--* दूध, दही आदि विगय का त्याग करना।
*5. कायक्लेश--* निरवद्य प्रवृत्ति द्वारा शरीर को तपाना, शरीर को साधना।
*6. प्रतिसंलीनता--* इंद्रियों और मन को वश में रखना।
आंतरिक तप के छह प्रकार--
*7. प्रायश्चित--* दोष-विशुद्धि का उपाय।
*8. विनय--* देव, गुरु आदि को देखकर हाथ जोड़ना, खड़े होना आदि बहुमानसूचक व्यवहार।
*9. वैयावृत्य--* निरवद्य सेवा।
*10. स्वाध्याय--* मर्यादापूर्वक अध्ययन।
*11. ध्यान--* एकाग्रचिंतन या निरोध।
*12. व्युत्सर्ग--* कायिक चेष्टा का परिहार।
*वीर्याचार* के बारे में जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*श्रावक सन्देशिका*
👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 53 - *समायोजन*
*समायोजन* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....
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👉 पूज्य प्रवर का आज का लगभग 12 किमी का विहार..
👉 आज का प्रवास - गिरीअक
👉 आज के विहार के दृश्य..
दिनांक - 12/04/2017
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