Posted on 31.05.2023 13:17
🌸 बोइसर में पधारे तेरापंथ के गणेश्वर आचार्यश्री महाश्रमण 🌸-20 वर्षों बाद अपने आराध्य का अपनी धरा पर बोइसरवासियों ने भावभीना अभिनंदन
-लगभग 13 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे यू.एस. ओस्तवाल इंग्लिश एकेडमी
-वाणी का करें संयम : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
31.05.2023, बुधवार, बोइसर, पालघर (महाराष्ट्र) :
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, तेरापंथ धर्मसंघ के गणेश्वर आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग बुधवार को बोइसर में पधोर। लगभग 20 वर्षों के बाद अपने आराध्य को अपनी धरती पर पाकर बोइसरवासियों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। साथ ही आचार्यश्री ने बोइसरवासियों को पर विशेष कृपा कराते हुए एक दिन के प्रवास में वृद्धि करते हुए दो दिनों का प्रवास किया तो बोइसरवासी श्रीचरणों में प्रणत हो गए। ऐसी गुरुकृपा को प्राप्त कर जन-जन का मन अभिभूत हो उठा। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री अपने प्रथम दिवस के प्रवास हेतु बोइसर में स्थित यू.एस. ओस्तवाल इंग्लिश एकेडमी में पधारे।
बुधवार को प्रातः आचार्यश्री ने वाणगांव से मंगल प्रस्थान किया। वाणगांववासियों को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री आगे बढ़े। विहार मार्ग के दोनों ओर प्रायः सघन वृक्षों की कतारों ने सूर्य की किरणों को मार्ग पर उतरने से रोके हुए था, किन्तु जहां-जहां वृक्ष की छाया नहीं थी, वहां की धरती सूर्य किरणों का स्पर्श पाकर तवे के समान चल रही थी, किन्तु समता के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी निरंतर गंतव्य की ओर गतिमान थे। लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री बोइसर में पधारे तो बोइसरवासी मानवता के मसीहा के अभिनंदन में उमड़ पड़े। बुलंद जयघोष से पूरा बोइसर गुंजायमान हो उठा। भव्य स्वागत जुलूस के मध्य गतिमान आचार्यश्री जन-जन को मंगल आशीष प्रदान कर रहे थे। आचार्यश्री विद्यालय परिसर में पधारे तो विद्यालय प्रबन्धन आदि से जुड़े लोगों ने भी आचार्यश्री का सश्रद्धा स्वागत किया।
एकेडमी परिसर में बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को आचार्यश्री ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भाषा लब्धि होती है तो वह बोल पाता है। शास्त्रकारों ने वाणी को संयमित बनाने की बात कही है। आदमी को आवश्यकता पर बोलने, बिना बुलाए ना बोलने और बोलने से पहले तोलने की बात भी बताई गई है। कितना और बोलना और कितना नहीं बोलना, यह विवेक हो तो वाणी अच्छी हो सकती है। कोई वाणी के संयम के लिए कई घंटों तक मौन रह लेता है। एक अपेक्षा से वह भी अच्छा है, किन्तु असली वाणी का संयम तो अनावश्यक नहीं बोलना होता है। विचारपूर्वक बोलने का प्रयास करना चाहिए। वाणी की मुखरता लघुता प्रदान करने वाली और वाणी का मौन, सीमित बोलना आदमी को उच्च स्थान प्रदान करने वाला हो सकता है।
जीवन में किसी पर झूठा आरोप लगाने से बचने का प्रयास करना चाहिए। अपनी वाणी द्वारा किसी को बदनाम करने का प्रयास न हो। इस प्रकार आदमी को अपनी वाणी का संयम करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने बोइसरवासियों को पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि गुरुदेव महाप्रज्ञजी के बाद लगभग बीस वर्षों के बाद बोइसर में आना हुआ है। यहां की जनता में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का विवेक रहे। धार्मिकता, आध्यात्मिकता का विकास होता रहे। उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखाजी ने उत्प्रेरित किया।
कार्यक्रम में बोइसर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री झूमरमल बाफना, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष श्री राकेश राठौड़, विद्यालय के ऑनर श्री उमराव ओस्तवाल, आरएसएस के तालुका संचालक श्री बिनोद वाजपेयी, पाटीदार समाज के श्री विजय पटेल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ किशोर मण्डल ने अपने-अपने स्वागत गीतों का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।
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