Posted on 30.04.2025 15:38
श्रद्धा और भक्ति के साथ अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव सम्पन्नअक्षय तृतीया महोत्सव पर 212 वर्षीतप आराधकों ने किया पारणा
व्यक्ति का संकल्प अवश्य पूर्ण होता है: आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा.
29 अप्रैल 2025, उधना, सूरत
‘‘भगवान ऋषभ के पौत्र श्रेयांस कुमार ने स्वप्न में देखा कि कल्पवृक्ष सुख रहा है। भगवान को 13 महीने हो गये विधि के अनुसार भोजन नहीं मिला, किसी को विधि का पता नहीं थी तो कोई हीरे जवाहरात दे रहा है तो कोई कुछ दे रहा है। जब श्रेयांस कुमार ने देखा कि खेत की प्रथम फसल से ईक्षु रस के घड़े आए हुए हैं तो उन्होंने भगवान को ईक्षु रस से पारणा करवाया तभी से यह अक्षय तृतीया के रूप में प्रसिद्ध हो गया।’’ उपरोक्त विचार आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने अक्षय तृतीया महोत्सव पर उपस्थित विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
आचार्य सम्राट ने आगे फरमाया कि जो व्यक्ति निरंतर एक वर्ष तक तप नहीं कर सकते, परंतु एक दिन छोड़कर के एक दिन का पारणा अवश्य कर सकते हैं। आज के दिन मुनिवृंदों, साध्वीवृंदों, श्रावक-श्राविकाओं ने अक्षय तृतीया पर संकल्प लिया है उनके प्रति मंगल कामना करते हैं। व्यक्ति संकल्प करता है तो अवश्य पूर्ण होता है। आज के दिन आप संकल्प करें जिन्होंने वर्षीतप नहीं किया वर्षीतप प्रारंभ का संकल्प ले सकते हैं, वर्षीतप में कठिनाई आती है, यह यह भेद कर दें कि वर्षीतप में कठिनाई शरीर को आ रहरी है, आत्मा को नहीं।
उन्होंन आगे फरमाया कि आज अक्षय तृतीया का दिन है, श्रमण संघ स्थापना का दिन है। श्रमण संघीय सलाहकार पूज्य गुरुदेव ज्ञानमुनि जी म.सा. का भी आज जन्म दिवस है, उन्होंने संयम-रत्न प्रदान कर मुझ पर अनंत उपकार किये। आज के दिन ही श्रमण संघ की स्थापना हुई, जिसमें एक आचार्य एक समाचारी का निर्माण हुआ। श्रमण संघ सागर के समान है और उसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न समाहित हैं।
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर देशरभर से कुल 212 वर्षीतप आराधकों ने आचार्य भगवन के सान्निध्य में पारणा किया।
इस अवसर पर प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनि जी म.सा. ने फरमाया कि सरलता व्यक्ति का गुण है, जिसमें सरलता का भाव है वह मोक्ष की ओर आगे बढ़ सकता है।
प्रमुखमंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि सामायिक धर्म कि क्रिया है यदि जो आर्त्त-रोद्र भाव में जा रहा है तो अंदर के भावों से वह बंधन कर लेता है। स्वभाव और विभाव की दो अवस्थाओं में यदि अपने स्वभाव यानि आत्म ध्यान में रहे तो वह कर्मों की निर्जरा कर सकता है।
सहमंत्री श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने ‘‘अक्षय तृतीया आई मंगलकारी’’ भजन की प्रस्तुति कर्णप्रिय थी।
इस अवसर पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री श्री हर्ष भाई संघवी के माता जी भी उपस्थित होकर आचार्य भगवन् से आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर वीतराग साधिका निशा जी ने वर्षीतप आराधकों की गत वर्ष में हुई किसी भी प्रकार की भूलों के लिए आलोचना करवाई।
इस अवसर पर सन्हित जैन व रति जैन एवं एन.एन. जैन परिवार दिल्ली ने श्रेंयास कुमार के लाभार्थी बनकर आचार्य भगवन् समस्त संतवृंद व वर्षीतप आराधकों को इक्षु रस का दान का लाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर श्री नितिन जैन परिवार को श्री शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन की ओर से दानवीर श्रेष्ठीवर्या की उपाधि से अलंकृत कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री अशोक मेहता ने किया।
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