Updated on 30.04.2025 08:15
अक्षय तृतीया महोत्सव का पावन अवसरडीसा का अक्षय समवसरण
परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी,
साध्वी प्रमुखा श्रीजी, साध्वीवर्या जी,
मुख्य मुनि श्री महावीर कुमार का हुआ संबोधन
प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
Source: © Facebook
*पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सानिध्य में आयोजित "अक्षय तृतीया महोत्सव" का डिसा (गुजरात) से लाईव देखनें सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे और सब्सक्राइब करें*
https://www.youtube.com/live/qOGtb_CVpYI?feature=shared
🙏प्रस्तुति🙏
*अमृतवाणी*
🙏🏻 संप्रसारक🙏🏻
*जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा*
*अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
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*जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा*
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30 April 2025 - Acharya Mahashraman ( Akshya Tritiya Mahostav )
*30 अप्रैल*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को
9 नवम्बर, 1980 (वि. सं. 2037, कार्तिक शुक्ला द्वितीया ) को आचार्यश्री तुलसी ने छह बहिनों को दीक्षा प्रदान कर समण श्रेणी की स्थापना की ।
*समण श्रेणी*
सन् 1962 (वि. सं. 2019) में आचार्यश्री तुलसी ने उदयपुर चातुर्मास में पट्टोत्सव के अवसर पर चार संकल्प व्यक्त किए। उनमें एक संकल्प था - 'मैं एक ऐसा वर्ग चाहता हूँ, जो साधु और श्रावक के बीच की कड़ी बन सके। वह वर्ग संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी और अंग्रेजी आदि अनेक भाषाओं का ज्ञाता होना चाहिए, जिससे वह जैन दर्शन को देश-विदेश में जनता तक पहुंचा सके। उसके बाद आचार्यश्री समय-समय पर अपने इस संकल्प को अनेक विशिष्ट अवसरों पर दुहराते रहे। आचार्यश्री का यह संकल्प फलीभूत हुआ-9 नवम्बर, 1980 (वि. सं. 2037, कार्तिक शुक्ला द्वितीया ) को जैन विश्व भारती लाडनूं में । उस दिन विलक्षण दीक्षा के नाम पर आचार्यश्री ने विशाल जनमेदिनी के बीच छह बहिनों को दीक्षा प्रदान कर समण श्रेणी की स्थापना की।
जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G
*समण संस्कृति संकाय*
कार्यालय संपर्क सूत्र-
*9784762373, 9694442373, 9785442373*
📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को
9 नवम्बर, 1980 (वि. सं. 2037, कार्तिक शुक्ला द्वितीया ) को आचार्यश्री तुलसी ने छह बहिनों को दीक्षा प्रदान कर समण श्रेणी की स्थापना की ।
*समण श्रेणी*
सन् 1962 (वि. सं. 2019) में आचार्यश्री तुलसी ने उदयपुर चातुर्मास में पट्टोत्सव के अवसर पर चार संकल्प व्यक्त किए। उनमें एक संकल्प था - 'मैं एक ऐसा वर्ग चाहता हूँ, जो साधु और श्रावक के बीच की कड़ी बन सके। वह वर्ग संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी और अंग्रेजी आदि अनेक भाषाओं का ज्ञाता होना चाहिए, जिससे वह जैन दर्शन को देश-विदेश में जनता तक पहुंचा सके। उसके बाद आचार्यश्री समय-समय पर अपने इस संकल्प को अनेक विशिष्ट अवसरों पर दुहराते रहे। आचार्यश्री का यह संकल्प फलीभूत हुआ-9 नवम्बर, 1980 (वि. सं. 2037, कार्तिक शुक्ला द्वितीया ) को जैन विश्व भारती लाडनूं में । उस दिन विलक्षण दीक्षा के नाम पर आचार्यश्री ने विशाल जनमेदिनी के बीच छह बहिनों को दीक्षा प्रदान कर समण श्रेणी की स्थापना की।
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*_30 अप्रैल_*
श्रम करो, पर निष्पत्तिपरक श्रम करो।
लक्ष्यहीन व अल्पफलप्रद श्रम से क्या लाभ?
- आचार्य महाश्रमण
*- आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📱+91 87420 04849, +91 87420 04949, +91 77340 04949
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