Posted on 27.04.2025 17:35
आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित हुए राजनैतिक, प्रशासनिक अधिकारी एवं सूरत के प्रसिद्ध उद्योगपतिआचार्य सम्राट को राजनैतिक, प्रशासनिक व प्रसिद्ध उद्योपगति वर्ग ने ‘‘आत्मानुशास्ता’’ अलंकरण से अलंकृत करते हुए ओढ़ाई आदर की चादर
27 अप्रैल 2025, उधना, सूरत
शिवाचार्य समवसरण में उपस्थित विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने फरमाया कि आज हम सभी एक विषय को लेकर चल रहे हैं ‘‘आत्मा से परमात्मा’’ दो तत्त्व है - शरीर और आत्मा। जैन दर्शन आत्मा का दर्शन है। शरीर में चेतना नहीं है तो शरीर का कोई महत्त्व नहीं है। व्यक्ति के भीतर आत्म तत्त्व में शांति है किंतु वह अज्ञानता के कारण बाहर ही ढूंढ रहा है।
इससे पूर्व गुजरात के गृह राज्यमंत्री श्री हर्ष भाई संघवी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य भगवन ने कश्मीर से कन्या कुमारी तक हजारों लाखों जैन भाईयों को धर्म के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है। जैन समाज में बढ़ती विकृति आजकल बहुत सारे वृद्धाश्रम में हमारे बुजुर्गों की संख्या निंरतर बढ़ती जा रही है यह हमारे समाज के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है। हमारे बुजुर्गों ने यही दिन देखने के लिए हमें जन्म नहीं दिया है। मैं चाहता हूं कि गुरुदेव के दर्शन एवं प्रवचन में हमारी तीनों पीढ़ियां सम्मलित होनी चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, गुजरात सरकार के गृहमंत्री हर्षभाई संघवी, सूरत शहर मेयर श्री दक्षेश मावाणी, सूरत शहर के भाजपा अध्यक्ष श्री परेशभाई पटेल, पुलिस कमिशनर श्री अनुपम गहलोत, कानूनगो अशोकभाई, पदमश्री कन्नूभाई टेलर, वीर नर्मद गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति श्री किशोर चावड़ा आदि अनेक प्रबुद्धजन, राजनैतिक, उद्योगपति, प्रशासनिकजन, आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. का सूरत शहर की ओर से सम्मान करने एवं उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपस्थित हुए आचार्य श्री जी को ‘‘आत्मानुशास्ता’’ पद से अलंकृत करते हुए आदर की चादर ओढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्रमण संघीय युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋषि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में तप संयम के महत्त्व को बताया। प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने ध्यान का महत्त्व बताया व सहमंत्री श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने ‘‘मैं आत्मा हूं, परमात्मा तुम मेरे कण-कण में प्रभु बस जाना’’ भजन की प्रस्तुति दी।
वीतराग साधिका निशाजी जैन ने आत्म ध्यान के प्रयोग करवाये।
कार्यक्रम का संचालन श्री अशोक मेहता व श्री रोहित जैन बोकड़िया ने किया।
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