Bangomunda 09.05.2025:
Acharya Mahashraman Birthday, Diksha day, pattotsav celebration in presence of Samani Jyoti Pragya and Samani Manas Pragya.
बंगोमुंडा में वर्धापना मेरे महाश्रमण भगवान कार्यक्रम
सिन्धीकेला - आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ ज्योति प्रज्ञाजी एवं समणी डॉ मानस प्रज्ञाजी के पावन सान्निध्य में बंगोमुंडा तेरापंथ भवन में वर्धापना मेरे महाश्रमण भगवान कार्यक्रम आयोजन किया गया । तेरापंथ सभा , महिला मंडल तथा युवक परिषद के तत्तावधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ओडिसा प्रांतीय सभा के अध्यक्ष श्री मनोज जैन , सम्मानित अतिथि के रूप में निवर्त्तमान अध्यक्ष श्री मुकेश जैन , महासभा प्रभारी युवराज जैन , महासभा आंचलिक प्रभारी श्री छत्रपाल जैन , प्रांतीय सभा के महामंत्री श्री सुदर्शन जैन , बंगोमुंडा सभाध्यक्ष श्री रूप कुमार जैन के सहित महासभा प्रभारी श्री केशव नारायण जैन ने योगदान कर अपने बिचार ब्यक्त किया । बंगोमुंडा तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम का सुभारम्भ किया गया । कांटावांजी सभा के संजय जैन , महिला मंडल आदि ने गीतिका प्रस्तुत की । बंगोमुंडा ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा जैन दर्शन का सार है तत्वज्ञान 25 बोल पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया । अहिंसा यात्रा का एक उद्देश्य है नशामुक्त जीवन जीना ज्ञानशाला के बच्चों ने अंडा , शराब , गुटका , सिगरेट , जुआ आदि व्यसनों से मुक्त रहने का संदेश दिया । आचार्यश्री महाश्रमण जी का व्यक्तित्व अनुपमेय है किसी भी उपमा से उपमित नही किया जा सकता फिर भी सभा , महिला मंडल , कन्या मण्डल , युवक , युवतियों ने अचार्य महाश्रमण को 21 उपमाओं से वर्धपित किया । समणी डॉ ज्योति प्रज्ञा जी ने अपने उदबोधन में कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण कोहिनूर हीरा है । बैशाख महीना उसमे भी शुक्लपक्ष आचार्यश्री महाश्रमण जी के शुक्ल परमाणुओं से भावित जीवन में विशेष महत्व रखता है । नवमी के पावन दिन माँ नेमा की कुक्षि से एक शिशु ने जन्म लिया । घर वालो ने नाम भी बड़ा अर्थपूर्ण दिया - मोहन । लगता है उस नाम से छिपी प्रेरणा को बालक ने अपने जीवन मे साकार कर लिया । वह प्रेरणा थी , मुझे कहिपर भी किसी के साथ मोह का अनुबंध नही जोड़ना है । बीज को बृक्ष बनने के लिए कुशल माली की अपेक्षा रहती है ठीक इसी तरह बालक मोहन को मंत्री मुनि सुमेरमल जी स्वामी का योग मिला । उन्होंने मोहन शब्द में छिपी अर्थवत्ता को मूर्त रूप देने और संयम जीवन के प्रति आकृष्ट करने का सतत प्रयत्न किया । आचार्यश्री तुलसी की विशेष कृपा हुई और बैशाख शुक्ला १४ के दिन सरदारशहर के श्री समवशरण में मुनिप्रवर के हाथ से १२ वर्ष की लघुवय में उनकी दीक्षा हो गई । अब वे मोहन से मुनि मुदित बन गए । उस के वाद युवाचार्य फिर ११ वें आचार्य बन गए । समणीजी ने बताया कि ११ वें आचार्य में से एक आचार्य है महाश्रमण जी जिन्होंने बिदेश की यात्रा की है । इस अवसरपर अंचल के प्रसिद्ध गायकर श्री तुलसी राम जैन ने भी अपना गीतिका प्रस्तुत किया । अतिथियों को स्थानीय सभा की ओर से साहित्य भेट कर सम्मानित किया गया । समणी मानस प्रज्ञा जी ने कुशलता के साथ कार्यक्रम का संचालन किया । स्वागत भाषण सभाध्यक्ष रूप कुमार जैन ने किया । पूर्व अध्यक्ष अशोक जैन ने आभार ज्ञापन किया । अंत मे समणीजी के मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम को विराम दिया गया । कार्यक्रम में कांटावांजी , बलांगीर , टिटिलागड , सिन्धीकेला , कुरसुड़ , चांदोतरा आदि क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रावको उपस्थित थे ।