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Delhi
09.09.2014
Pravachan of Acharya Mahshraman
आज की प्रेरणा...
प्रवचनकार - आचार्य महाश्रमण......
प्रस्तुति - अमृतवाणी....संप्रसारण - संस्कार चेनेल के माध्यम से -
जो गुरू मुझे अनुशासना प्रदान करते हैं, उन गुरूओं की मैं सतत पूजा करता
हूँ |गुरूओं का महत्वपूर्ण स्थान बतलाया गया है, लेकिन गुरू योग्य हों | बीस
वीं सदी में एक गुरू हुए आचार्य तुलसी, समाजोत्थान के सन्देशवाहक आचार्य
तुलसी | अपनी साधना व संघ संचालन के अलावा समाज सुधार की दिशा में
भी उन्होंने अनेक काम किए | समाज में व्याप्त रूढ़ियों के उन्मूलन के क्षेत्र
में भी आपने अनेक प्रयास किए | पर्दा प्रथा, नया मोड़, अणुव्रत आन्दोलन,
जीवन विज्ञान, ज्ञानशाला, दहेज़ प्रथा आदि की दिशा में भी आपने क्रांतिकारी
कदम उठाए | आपका सोच था कि चिन्तन, निर्णय व क्रियान्विति में ज्यादा
फासला नहीं होना चाहिए | उन्होंने कहा - चिंता नहीं, चिंतन करो | व्यथा नहीं,
व्यवस्था करो व प्रशश्ति नहीं, प्रस्तुति करो | आपने पुरुषों व नारी जागरण
दोनों दिशा में काम किया | नशा मुक्ति के लिए भी आपके प्रयास बराबर चल
ते रहे|आप में वैदुष्य तो था ही साथ ही साथ आप साधक साहित्यकार, लेखक,
अनुशास्ता, समाज सुधारक आदि भी थे | आज उनके शताब्दी वर्ष के तीसरे
चरण के छट्टे दिन हम सब उन्हें नमन करते हैं |
दिनांक - ९, सितम्बर, २०१४
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