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🌎 आज की प्रेरणा 🌏प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - [बनें जीवों के त्राता, रक्षक]
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से -
आर्हत वाड्मय दान को बड़ा महत्व पूर्ण माना गया है | इसके भीतर दया व अनुकम्पा की भावना सन्निहित है| दान दस प्रकार के बतलाये गए हैं| दान का एक पक्ष है - लौकिक और
दूसरा - अध्यात्मिक | आध्यात्मिक दान के तीन भेद - ज्ञान दान, संयति दान और अभयदान | अज्ञान के अन्धकार से अंधे लोगों को ज्ञान रुपी श्लाका से चक्षु को ऊद्घाटित करने वाला गुरु होता है | ज्ञान देना व ज्ञान देकर मिथ्यात्वी से सम्यक्त्वी बना देना कितना बड़ा ज्ञान दान व उपकार होता है | ज्ञान देकर दूसरों को विद्या सम्पन्न बना देना बड़ा महत्व पूर्ण होता है| ज्ञान एक बल है, जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है | ज्ञान, योग्य को देना चाहिए, अयोग्य को नहीं | ज्ञान दान के साथ संयति दान का भी बड़ा महत्व है, जिससे हम संयति साधु की साधना में सहयोगी बन सकते हैं | तीसरा दान है अभय दान | छह कायों के जीवों को मारने का वैराग्य से प्रत्याख्यान करना अभय दान है | साधु तो पूर्ण अभय दान के दाता होते ही हैं, गृहस्थों को भी यथासंभव संकल्पपूर्वक जीवों को मारने का त्याग करना चाहिए व उसके आंशिक प्रयोग का तो प्रयास करना ही चाहिए | आध्यात्मिक दान द्वारा हम आत्म कल्याण की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं |
दिनांक - २३ जनवरी २०१६, शनिवार
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