21.04.2016 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 21.04.2016
Updated: 21.04.2016

Update

Source: © Facebook

आचार्य देवेन्द्र मुनि के साहित्य पर
अल्पना बाकलीवाल को पीएच. डी.
उदयपुर 21 अप्रैल 2016।
विक्रम विश्वविद्यालय्ा, उज्जैन (मध्यप्रदेष) द्वारा श्रीमती अल्पना बाकलीवाल को विद्यावाचस्पति (पीएच.डी) की उपाधि प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी विभाग के अन्तर्गत श्रीमती डॉ. अल्पना ने ‘‘जैन इतिहासपरक उपन्यासों की परम्परा में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि का प्रदेय‘‘ विषय पर अपना शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कर यह उपलब्धि हासिल की। डॉ. अल्पना बाकलीवाल ने हिन्दी विभाग अध्यक्षा डॉ. प्रज्ञा थापक के निर्देशन व कुलानुषासक व हिन्दी विभाग पूर्व अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा के सह निर्देषन में अपना शोध कार्य संपन्न किया है।
डॉ. अल्पना बाकलीवाल ने अपने शोध प्रबन्ध में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी के साहित्यिक व्यक्तित्व को उजागर करते हुए उपन्यास साहित्य की सभी विधाओं को आधुनिक हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया। डॉ. अल्पना ने श्रमणसंघीय सलाहकार पूज्य श्री दिनेष मुनि जी की प्रेरणा और आषीर्वाद व जैन विद्वान डॉ. तेजसिंह गौड़ के मार्गदर्षन से यह शोधकार्य सम्पन्न किया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म. पर वर्ष 1993 में डॉ. राजेन्द्र मुनि ने आगरा विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी विभाग के डॉ. महेन्द्र सागर प्रचंडिया के निर्देषन में ‘आचार्य देवेन्द्र मुनि का हिन्दी साहित्य को देन’ पर तथा वर्ष 2010 मोहनलाल सुखाडिय्ाा विश्वविद्यालय्ा, उदयपुर (राजस्थान) से डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के पूर्व सह आचायर््ा डॉ. उदय्ाचंद जैन के निर्देशन में ‘देवेन्द्राचायर््ा कृत कर्म विज्ञान एक समीक्षात्मक अध्य्ाय्ान’ विषय पर तथा वर्ष 2011 में डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय्ा लाडनूं से पूर्व आचायर््ा डॉ. ए.बी. शिवाजी के निर्देशन में ‘जैन दर्षन में आचायर््ा देवेन्द्र मुनि का अवदान अध्य्ाय्ान’ पर तथा वर्ष 2013 दयालबाग विश्वविद्यालय्ा (आगरा) से डॉ. कविता ने डॉ. आदित्य प्रचंडिया के निर्देषन में ‘आचार्य देवेन्द्र मुनि का कथा साहित्य’ विषय पर (पीएच.डी) की उपाधि प्राप्त की थी।

News in Hindi

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Each sunrise is a fresh start, a new day.
A brand new pencil on an empty page.

Source: © Facebook

धर्म गुरु ने वैज्ञानिक शोध के लिए की देह दान की घोषणा
आचार्य लोकेश ने देह दान की घोषणा कर जैन समाज में रचा नया इतिहास

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक एवं प्रख्यान जैनाचार्य आचार्य लोकेश मुनि ने वैज्ञानिक शोध के लिए अपनी देह दान की घोषणा कर जैन समाज में नया इतिहास रचा| आचार्य ने विज्ञान भवन में भगवान महावीर जयंती के उपलक्ष में आयोजित भव्य समारोह में यह घोषणा की| यह पहली बार है कि किसी जैन आचार्य ने इस तरह की घोषणा की है| धर्म और विज्ञान के समन्वय के की इस अद्भुत घोषणा ने धर्माविलम्बियों के साथ साथ शिक्षित समाज के लिए भी एक मिसाल कायम की|
अहिंसा के अग्रदूत भगवान महावीर की 2615 वीं जन्म जयन्ती, शान्तिदूत आचार्य डा. लोकेश मुनि जी के 56 वें जन्म दिवस तथा अहिंसा विश्व भारती संस्था के द्वितीय दशक प्रवेश के पावन अवसर पर विश्व शांति व सद्भावना दिवस के समारोह में भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज मुख्य अतिथि थी| जबकि अल्पसंख्यक मंत्री डा. नजमा हेपतुल्ला ने अध्यक्षता की| समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में संचार एवं सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद एवं प्रख्यात फिल्म अभिनेता श्री विवेक ओबराय ने भाग लिया|
इस गरिमा पूर्ण समारोह में जैनाचार्य लोकेश मुनि ने देह दान की घोषणा कर सबको चौका दिया| उन्होंने परंपरा से हट कर कहा कि संसार को त्यागने के बाद मेरी देह उन युवा प्रतिभाओं को सौंप दी जाये जो विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में शोध कर रहे है| समारोह में बड़ी संख्या में भारत और कई अन्य देशों से आये जैन समाज के लोगो ने जैनाचार्य की इस घोषणा का करतल ध्वनि से स्वागत किया| समारोह में मौजूद करीब दो दर्जन देशों के राजदूतों व गणमान्य लोगो ने भी इस घोषणा के लिए आचार्य श्री का खड़े होकर तालियों की गडगडाहट से स्वागत किया|
समारोह में उपस्थित लोगो का कहना था कि सबसे बड़ा दान रक्त दान को माना गया है लेकिन देह दान की घोषणा करना मानवता के लिए सबसे बड़ी मिसाल है| आचार्य श्री ने देह दान की घोषणा कर समूची दुनिया को जीवन की नश्वरता का बोध करते हुए अनूठा सन्देश दिया है| आने वाली पीढ़िया आचार्य श्री के इस कदम का निश्चित रूप से लाभ उठाएंगी तथा समाज में भी सकारात्मक सन्देश जायेगा |

Sources

Source: © FacebookPushkarWani

Shri Tarak Guru Jain Granthalaya Udaipur
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Sthanakvasi
        • Shri Tarak Guru Jain Granthalaya [STGJG] Udaipur
          • Institutions
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. Guru
              2. Shri Tarak Guru Jain Granthalaya Udaipur
              3. Udaipur
              4. आचार्य
              5. महावीर
              6. राजस्थान
              7. सागर
              Page statistics
              This page has been viewed 470 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: