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भागकर की शादी को फिल्म न समझें युवतियां' --कड़वे प्रवचन | मुनिश्री तरुण सागर ने युवतियों को दिया संस्कारवान बनने का संदेश, पुलिस की कार्यशैली पर भी उठाए सवाल
कड़वेप्रवचन विख्यात तरुण सागर महाराज ने कहा कि युवतियों से एक ही बात कहूंगा कि वे भागकर न शादी करें। उन्होंने भागकर शादी करने वालों को समाज का सबसे बड़ा कलंक बताया। मां को प्यार की मूरत बताते हुए पिता को जीवन संवारने वाला कहा। महाराज ने कहा कि शादीशुदा जीवन कोई फिल्म नहीं जो 3 घंटे में ही खत्म हो जाए। मुनिश्री ने पुलिस की कार्यशैली को भी लोगों के बीच रखा अौर कहा कि पुलिस कंट्रोल रूम से एक ही मैसेज आता है स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन सब नियंत्रण में है। अपनी जीवन की घटनाएं, अनुभव और घरों की कहानियों का जिक्र करते हुए मुनिश्री ने जीवन की सबसे बड़ी खुशी रिश्तों में विश्वास कहा। शिवाजी स्टेडियम में श्री दिगंबर जैन पंचायत की ओर से आयोजित कड़वे प्रवचन सत्संग का रविवार को समापन हो गया। मुनिश्री के कड़वे प्रवचन सुनने के लिए अमेरिका से चंद्रमणि पानीपत आए।
जिंदगीमें 3 आशीर्वाद जरूरी
मुनिश्रीने कहा कि सुखी जीवन के लिए 3 आशीर्वाद जरूरी है। जीवन संवारने के लिए मां का, बिगड़ी जवानी को संवारने के लिए महात्मा का और मौत बिगड़े इसके लिए परमात्मा का आशीर्वाद जरूरी है। बीमार बच्चे को मां उसकी कलाई पकड़कर टीका इसलिए लगवाती है, ताकि उसकी बीमारी ठीक हो। जो आदमी धन-धन और धन करता है, उसका एक दिन निधन हाे जाता है। तुमभोली हो, भागकर शादी करके बर्बाद करती हो
मुनिश्रीने कहा कि युवतियों से कहूंगा भागकर न शादी करें, जागकर करें। जीवन फिल्म नहीं जो 3 घंटे में खत्म हो जाए। जो युवतियां भागकर शादी करती हैं, उन्हें जीवन में जानवरों की कटती गर्दन, तपता मांस, उबलता अंडा, गिलास में शराब ही देखने का मिलेगी। अपनी शादी की खुशी में अपने मां-बाप परिवार को मत मारो। युवतियां कितनी भी आधुनिक हो जाएं उन्हें खाना पकाना जरूर आना चाहिए।
कड़वे प्रवचन बोलना आदत नहीं, मजबूरी है
मुनिश्रीने कहा कि कड़वे प्रवचन बोलना आदत नहीं मजबूरी है। जिस तरह लोहे को लोहा काटता है, उसी तरह समाज की कड़वाहट को कड़वी बातें ही काटती हैं। शुरू के 10 साल मीठा बोला था, सभी दर्शक सोने के लिए सत्संग में आते थे। आज सभी अलर्ट रहकर कड़वी बातें सुनते हैं।
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#kundalpur #today आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (ससंघ) इस समय कुंडलपुर (दमोह) में विराजमान हैं। तथा आचार्यश्री के सान्निध्य में 4 जून से 9 जून 2016 तक भव्य मस्तकाभिषेक होने जा रहा है। इस अवसर पर आप सभी आमंत्रित हैं।
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😀 खुश खबरी - खुश खबरी - खुश खबरी
महानुभाव हम सभी के पुण्योदय से इस सदी के महान आचर्य संघो में से एक आचार्य संघ के पावन चरण अब कोटा की पावन धरा पर पड़ने जा रहे हे,जी हा वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाचार्य प.पू.आचार्यश्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ दिनांक 4-05-16 को सायं 6.00 बजे केशोराय पाटन की तरफ से विहार करते हुए रिद्धि सिद्धि नगर जैन मंदिर में भव्य मंगल प्रवेश करेगे। 05-05-16 को प्रातः 5.30 बजे रिद्धि सिद्धि जैन मंदिर से विहार करके रामपुरा होते हुऐ श्री राम रंग मंच दशहरा मैदान से जलूस के साथ दादाबाड़ी नसिया जी में भव्य मंगल प्रवेश करेगे। ऐसा जलूस आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। वाकई हम सबके कई जन्मों के पूण्य संचय का ही फल हे जो ऐसा अवसर जीवन में मिलने जा रहा हे। हम सबका कल्याण करने के लिय एक दो या चार नहीं बल्कि पुरे 37 साधुओ का समोशरण हमारे नगर में प्रवेश करने जा रहा हे।
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'शुभ समाचार'
"परम पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री 108 नयन सागर जी ने सरधना नगर को अपने प्रवास की स्वीकृति दी.... कल 4/5/16 गुरुदेव का वीहार सदर मेरठ से mit college के लिए होगा 5/5/16/ mit college se श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर सरधना में प्रवेश होगा आप सभी आए और धर्म लाभ लें"
'तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया गुरुवर '
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वर्तमान में जातिवाद-पंथवाद में बँटती हुईं जैन समाज का ध्यान आकर्षित करने वाली और समयक् बोध प्रदान करने वाली श्रमणाचार्य श्री १०८ विमर्श सागर जी गुरूदेव के द्वारा रचित पंक्तियाँ ।।
तेरा और बीस पंथ, उलझे हैं श्रावक संत,
कोई तेरा कोई बीस करते बढाई हैं।
करते हैं राग-द्वेष, जाने नही धर्म लेश,
मंदिरों मे खींचतान करते लड़ाई हैं।।
कर रहे धर्म लोप, मानते हैं धर्म गोप,
एक दूसरे की अंहकार की चढाई है।
तेरा-बीस के बयान, जैसे हिन्द-पाकिस्तान,
हाय जैन एकता भी आज लड़खड़ाई हैं।।
कोई है बघेरवाल, कोई खण्डेलवाल,
कोई अग्रवाल तो कोई परवार है ।
कोई-कोई जैसवाल, कोई-कोई ओसवाल,
कोई पोरवाल कोई गोल श्रृंगार है।।
बंद हुये बोलचाल,वाल की खड़ी दीवाल,
जातियों का भूत सबके ही सिर सवार है।
मंदिरों में अब जैन कहीं दिखते ही नहीं,
मंदिरों पे अब जातियों का अधिकार है।।
जातिमद चढ़ रहा, पन्थभेद बढ़ रहा,
जहाँ देखो वहाँ राग-द्वेष की ही बात है।
महावीर हुये खण्डेलवाल, अग्रवाल,
आदि-आदि मंदिरों पे लिखा ये दिखात है।।
कहीं महावीर हुये तेरा पंथी, बीस पंथी,
धर्मात्माओं ने भी दी क्या सौगात है ।
सोचा जब मैं भी महावीर को पहचान दूँ,
तो धरा महावीर रूप, मेरी क्या औकात है।।
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विना सम्यक दर्शन मोक्ष की अभिलाषा व्यर्थ है।
भगवान महावीर के समवशरण में जब राजा श्रेणिक गए। भक्ति पूर्वक वंदन करके राजा श्रेणिक ने गौतम गणधर से पूंछा
हे मुनीश्वर! नरक,तिर्यंच, मनुष्य और देव इन चारों गतियोंमें एक क्षणमात्र भी अवकाश न लेते हुए जहाँ -तहाँ जन्म -मरण को प्राप्त कर घटी यन्त्र के समान अनवरत घूमते हुए जीव को इस संसार के जन्म - मरण से निकलने का उपाय क्या है?
तभी गणधर गौतम बोले
हे राजा श्रेणिक! चतुर्गति के जन्म जरा मरण को दूर करके यदि तुमको अनन्त सुख प्राप्त करना है तो सावधान होकर सुनो सम्यक दर्शन के बिना जीव को यह सुख प्राप्त नहीं हो सकता।
तीन लोकों में मगलमय सम्यक दर्शन के बिना उसकी प्राप्ति होना असम्भव है। विना सम्यक दर्शन मोक्ष की अभिलाषा व्यर्थ है।
धर्मामृत - आचार्य श्री नयसेन
व्याख्याकार - परम पूज्य आचार्य रत्न देशभूषण जी मुनि महाराज
# अर्हद्दास जैन #
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kashi ka ye Rajkunvar, yahi dev sammed shikhar giri wala
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true true true.. matbhed ho par manbhed na ho pls
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हथकरघा उद्योग। ---नौकर नहीं मालिक बनो
यदि आपको अभी तक कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली है अथवा आप अपनी नौकरी से निराश हैं और अपने स्वाभिमान को बनाये रखने के लिए कुछ ऐसा कार्य करना चाहते हैं जो आपके लिए और देश के लिए लाभकारी हो तो आप हथकरघा योजना से जुड़ सकते हैं।
यह योजना मध्य प्रदेश के बीना बारहा क्षेत्र में चल रही है।
इस योजना के अंतर्गत आपको 6 महीने की ट्रेनिंग द्वारा हथकरघा से कपडा निर्माण करना सिखाया जायेगा।
इन 6 माह में आपको 9000 प्रति माह आय के रूप में दिया जायेगा। 6 माह बाद इस आय को आप अपना करघा लगाने के लिए उपयोग कर सकते हैं ।
आवास और भोजन की सुविधा भी वहीँ रहेगी।
इस योजना से जुड़कर आप अपना कपडा निर्माण करके आगे चलकर प्रति माह 40000 से 50000 तक की आय कर सकते हैं।
देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी, पूँजी के अभाव में व्यापार के घटते अवसरों को देखते हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए एक योजना है । कुण्डलपुर में अक्षय तृतीया 9 मई का हथकरघा की नई शाखा का शुभारम्भ आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में होने जा रहा है जिसकी चयन प्रक्रिया के अंतर्गत दिनांक 4 मई 2016 को साक्षात्कार होना है।आप अथवा आपकी जानकारी में जो भी युवा इस योजना से जुड़ना चाहते हैं कृपया इस नंबर पर संपर्क करें:
सजल भैया, बीना बारहा
9981128662
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परम पारिणामिक भाव || #अवश्य_जुडें
◆ कर्मों के क्षय से जो भाव होते है, वे क्षायिक भाव कहलाते है,
◆ कर्मों के क्षयोपशम से जो भाव होते है, वे क्षायोपशमिक भाव कहलाते है,
◆ कर्मों के उदय से जो भाव होते है, वे औदयिक भाव कहलाते है,
◆ कर्मों के उपशम से जो भाव होते है, वे औपशमिक भाव कहलाते है,
◆ सकल कर्मोंपाधि से विमुक्त परिणाम से जो भाव होते है, वे पारिणामिक भाव कहलाते है ।
उपरोक्त प्रथम चार तरह के भाव तो आवरण-संयुक्त होने से किसी भी तरह से किसी भी जीव को मुक्ति का कारण नहीं है ।
लेकिन हे चैतन्यदेव, त्रिकाल-निरुपाधि जिसका स्वरूप है, ऐसे निर्मल, निरंजन निज परम-पंचम भाव या पारिणामिक भाव की भावना से ही पंचम गति या मोक्ष में आप अभी जा सकते हो । भूतकाल में भी अनंत जीव जाते रहे है तथा आगे भविष्य में भी जायेंगे ।
अतः यह निश्चित हो जाता है कि अपने परम पारिणामिक भाव की भावना भाकर ही हर महापुरुष पंचम गति या मोक्ष में जाता रहता है ।
आप भी अब इस परम पारिणामिक भाव की भावना भाये ।
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indeed true thing