Update
Let's go in flashback @ 2544 year Ago what happened... tonight:)
#Before_Diwali पेड़ के निचे विराजित वीतरागता की जीवंत प्रतिमूर्ति तीर्थंकर महावीर स्वामी अधिक, और अधिक ध्यान में उतरे जा रहे हैं.. समवसरण का त्याग त्रियोदशी को कर धन्य कर चुके हैं.. चौदस को ब्रम्हचार्य के 18000 गुणों सहित हो चुके हैं!! अब तो मोक्ष जाने की तैयारी चल रही हैं. हर सेकंड बचे हुए करोडो करोडो कर्मो को तोड़ रहे हैं.. उनका नाश कर रहे है.. कर्मो का आना तो रुक चूका हैं.. अब तो निर्जरा चल रही हैं.. हर सेकंड.. आत्मा कर्मो से रहित रहित.. हल्का हल्का होता चला जा रहा हैं.. अहा.. देवतागण देख रहे हैं.. प्रभु विराजित हैं.. किसी भी क्षण मोक्ष जा विराजेंगे.. और कभी भी लोट कर नहीं आएंगे इस संसार में.. समस्त कर्मो का काश होने वाला हैं.. शुक्ल ध्यान की ऐसी ध्यानअग्नि बढती जा रहीं हैं जिससे समस्त कर्म निकलते जा रहे हैं.. आज रात हो गयी हैं.. Early Morning सूरज निकलने से पहले.. अमावस्या की घनी अँधेरी रात में जो महावीर स्वामी नामक दीपक केवलज्ञानी रूपी ज्योति से विश्व को अहिंसा और वीतरागता की चमक से जगमगा रहा था.. प्रभु को मोक्ष हो गया.. प्रभु क्षणभर में शुक्ल ध्यान की 3rd & 4th step cross करके मोक्ष में जा विराजे.. अहा.. जय जय कार होने लगी.. देवता लोग जाग्रत हो गए.. दुनिया में अति उत्सव होने लगा.. अहा.. इस दुनिया के तारणहार महावीर स्वामी मोक्ष जा विराजे!!! देवतागण और मनुष्यों ने इस संसार को जड़ दीपक से जगमगा दिया.. क्योकि प्रभु तो अब मोक्ष जा चुके थे..
हे अहिंसा के देवता महावीर स्वामी.. ऐसा imagine कर मेरे आंखे नम हो गयी.. और मेरा मन पुलकित हो गया.. वचन रुक गए.. काया झुक गयी.. दिल की धड़कन थम गयी.. अन्दर एक सन्नाटा छा गया.. मेरे जीवन में ऐसा कब आएगा.. मैं भी इस संसार से पार हो जाऊंगा और आपके संग सिद्ध शिला पर हमेशा के लिए आपके परिवार का हिस्सा बन जाऊंगा:)
narrator nipun jain...
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Live Direct from Ramtek.. 😄😄😍
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Update
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आज उपवास हे एवं संघ में सभी मुनिराजों का भी उपवास हे.. आचार्य श्री का स्वास्थ्य भी अब पहले से ठीक हैं, रामटेक जी, में आने वाले यात्री इन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.. पेज का नाम भले ही बदल गया हैं पर आपको आचार्य श्री से related प्रवचन update मिलते रहेंगे 😍 #AcharyaVidyasagar ✌️😊
रामटेक क्षेत्र अध्यक्ष 😗
श्री जिनेन्द्र जैन लालाजी
9225211744
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श्री राजेंद्र जैन (पहलवान)
9423401211
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श्री सतेंद्र जैन (मामु)
9423224727
*⛳रामटेक क्षेत्र उपमंत्री 😗
श्री पवन बड़कुर
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श्री राजू (क्रांति) जैन
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श्री सनत जैन (ट्रांसपोर्ट)
9373582422
श्री निशंक जैन (जीतू)
9766966600
*🍛सोले की भोजन व्यवस्था 😗
श्री सतीश जैन
9422803433
श्री सोनू सिंघई
9423401297
9834764237
श्री अरुण जैन (अनंतपुरा)
8830289491
श्री नीलेश जैन (होटलवाले)
9422103667
श्री मुन्नालाल जैन (सिहोरा)
7972398388
*श्री महावीर दिगम्बर जैन पाठशाला*
*आचार्य विद्यासागर संस्कार केंद्र*
*परवारपुरा इतवारी नागपुर*
*🍲सामान्य भोजन व्यवस्था 😗
श्री आशीष पंचमलाल जैन
9373117066
श्री जिनेश जैन (जिन्नु)
9422102135
श्री बालचंद बड़कुर (बल्लू)
9325909444
*श्री ज्ञानोदय सेवा संघ*
*परवारपुरा इतवारी नागपूर*
🚎 *यातायात व्यवस्था 😗
श्री जय कुमार जैन मामू
8087731861
श्री धनेंद्र जैन नेताजी
9975757559
*श्री दि. जैन वीर सेवा मंडल*
*परवारपुरा इतवारी नागपुर*
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मृत्यु महोत्सव भारी रे.. 😊😍 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज के आशीर्वाद से.. यम सल्लेखना का एक दृश्य #AcharyaVidyasagar #Salekhna
हे भगवान मेरी भी ऐसी समाधि हो.. अहा... क़षाय रहित.. विकल्प रहित.. धर्म में स्थित 😊😍
आचार्य श्री शीतलसागर जी महाराज के सानिध्य में चली 97 दिन तक मुनि दुर्लभसागर जी महाराज का गया,बिहार में उत्कृष्ट समाधिमरण हुआ
News in Hindi
छोटी दिवाली को क्या हुआ था? छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं हम.. बड़ी दिवाली का तो पता हैं!
आज के दिन चतुर्दशी को भगवान महावीर ने 18000 शीलों की पूर्णता को प्राप्त किया। वे रत्नत्रय की पूर्णता को प्राप्त कर अयोगी अवस्था से निज स्वरूप में लीन हुए। इस पर्व दिवस “रूप-चौदस” के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रतादि धारण कर स्वभाव में आने का प्रयास करना चाहिये।
कल दिवाली के दिन भगवान महावीर को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हुई और गौतम गणधर को कैवल्यज्ञान की सरस्वती की प्राप्ति हुई, इसलिए लक्ष्मी-सरस्वती का पूजन इस दिन की जाती है। जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ होता है निर्वाण और सरस्वती का अर्थ होता है कैवल्यज्ञान, इसलिए प्रातःकाल जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण उत्सव मनाते समय भगवान की पूजा में लड्डू चढ़ाए जाते हैं। लड्डू गोल होता है, मीठा होता है, सबको प्रिय होता है। गोल होने का अर्थ होता है जिसका न आरंभ है न अंत है। अखंड लड्डू की तरह हमारी आत्मा होती है जिसका न आरंभ होता है और न ही अंत। लड्डू बनाते समय बूँदी को कड़ाही में तपना पड़ता है और तपने के बाद उन्हें चाशनी में डाला जाता है। उसी प्रकार अखंड आत्मा को भी तपश्चरण की आग में तपना पड़ता है!
written by nipun jain...
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