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अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
संतों की संगति हो सकती है कल्याणकारी: आचार्यश्री महाश्रमण
- भापुर से लगभग पन्द्रह किलोमीटर का विहार कर धवल सेना संग अहिंसा यात्रा पहुंची गंडानाली
31.01.2018 गंडानाली, ढेकानल (ओड़िशा)ः
ओड़िशा को भौगोलिक दृष्टिकोण से दो भागों में बांटा गया है। एक भाग पूर्वी ओड़िशा के नाम से जाना जाता है तो दूसरा क्षेत्र पश्चिमी ओड़िशा के नाम से ख्याति को प्राप्त है। अहिंसा यात्रा के द्वारा भारत के बारहवें प्रदेश ओड़िशा को अपने चरणरज से पावन बनाते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी पूर्वी ओड़िशा को पावन करने के उपरान्त वर्तमान में पश्चिम ओड़िशा की ओर यात्रायित हो चुके हैं। ओड़िशा के मुख्य महानगर भुवनेश्वर और कटक में धर्म की प्रभावना कर और जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देने के उपरान्त अब ग्रामीण अंचलों में अहिंसा यात्रा के उद्देश्यों द्वारा जन-जन को मानवता का संदेश दे रहे हैं।
इसी क्रम में बुधवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ ढेकानल जिले के भापुर से मंगल प्रस्थान किया। प्रातः की बेला हल्की ठंड सूर्य के आते ही वैसे ही गायब होती चली गई, जैसे अच्छाइयों के आगमन से बुराइयां भाग जाती हैं। आचार्यश्री लगभग पन्द्रह किलोमीटर का विहार कर गंडानाली स्थित यूपी स्कूल प्रांगण में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में ही बने प्रवचन पंडाल मंे उपस्थित विद्यार्थियों, ग्रामीणों व श्रद्धालुओं को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में सत्संगति का बहुत महत्त्व होता है। सत्संगति अर्थात् अच्छी संगति अच्छा फल देने वाली होती है। आदमी बुरे की संगति करे तो बुरे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं ओर अच्छे लोगों की संगति करे तो अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। जो आदमी बुरे के पास रहे, उसमें बुराइयां आ सकती हैं और जो आदमी अच्छे के पास रहे उसके भीतर भी अच्छाइयों का समावेश हो सकता है।
साधुओं की संगति तो विशेष रूप से फलदायी हो सकता है। संत तो मानों चलते-फिरते तीर्थ के समान होते हैं। उनकी एक वाणी से भी लोगों का जीवन बदल सकता है। दुनिया में संतों की संगति और हरी कथा को दुर्लभ बताया गया है। आदमी को संतों की नहीं, कोई सामान्य आदमी भी यदि अच्छा हो तो उसकी संगति अच्छा फल देने वाली हो सकती है। आदमी को बुराइयों से दूर रहने के लिए बुरे लोगों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे आदमी से अच्छी बातें सीखने को मिल सकती हैं और बुरे से बुरी बातें भी आदमी के भीतर आ सकती हैं। सज्जन और दुर्जन के दखने से कोई फर्क भले नहीं होता, किन्तु उनकी बात, व्यवहार और अचारण में बहुत फर्क होता है। दुर्जन की विद्या विवाद को बढ़ाने वाली, धन घमंड कराने में सहायक और बल दूसरों को कष्ट देने वाला बन सकता है, किन्तु सज्जन का ज्ञान किसी विवाद या समस्या को सुलझाने वाला, धन दान के लिए और बल किसी की सेवा करने, परोपकार करने वाला होता है। इसलिए आदमी को दुर्जन से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को साधुओं की संगति से सुख की प्राप्ति हो सकती है।
आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त अहिंसा यात्रा व उद्देश्यों की अवगति प्रदान कर उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों और ग्रामीणों से अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी स्वीकार करने का आह्वान किया तो समस्त लोगों ने खड़े होकर अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार कर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री नटवर नायक ने अपने विद्यालय में पधारने हेतु आचार्यश्री का अभिनन्दन किया तो आचार्यश्री ने उन्हें आशीर्वचनों से आच्छादित किया।
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Non-violence travel press release
Congregation of saints can be welfare: Acharya Mahashraman
- Around 15 km from Bhapur, the Dhaval army along with the non-violence visit reached Gandalali
31.01.2018 Gandhnali, Dhenkanal (Odisha):
Odisha has been divided into two parts from the geographical point of view. One part is known as East Odisha, the second region is known for its reputation as Western Odisha. Jihan Shvetambar Teerapanth Dharmasangha's eleventh disciplicist, representative of Lord Mahavira, Akhandyashree Mahasraman, the monolithic ascetic priest, after purifying Odisha by twelfth region of Odisha, has traveled towards West Odisha, presently, after purifying eastern Odisha. Following Chief Minister of Orissa, Bhubaneswar and Cuttack, and after giving message of goodwill, morality and disenchantment to the masses, now non-violence in rural areas is giving message of humanity to the masses through the objectives of traveling.
In this sequence, Acharyashree Maha Swamiji left from Bhapur in Dakedal district with his Dhaval army on Wednesday. In the morning, the bela went away like a cold cold sun, just as the goodness of the goodness disappeared. Acharyashree walks around fifteen kilometers in the UP school premises at Gandnali.
While presenting the discourses in the school premises, Pandari, students, villagers and pilgrims, Acharyashree Mahasramanji gave inspiration to the devotees and said that sensuality is very important in the life of man. Satsangati means good association is good results. If the person is involved in bad, bad results can be achieved and good people will be able to get good results. The man who lives near the bad can have bad things in him, and the man who is near the good can also be included in the good qualities.
Consistency of sadhus can be especially fruitful. The saints are like a pilgrimage on the go. One of his speech can change the lives of people. In the world the association of saints and green legend has been described as rare. If the person is not good to the saints, even a common man, then his association can be good result. A man should try to stay away from evil people and stay away from the bad guys. Good people can learn good things and bad things can also come inside man. There is no difference between looking at the gentleman and the wicked, but there is a difference between his talk, behavior and pickle. The teachings of the darshan, which can increase the dispute, help and arrange wealth, can be harassed to others, but the knowledge of the gentleman is the solution to any dispute or problem, to donate money and to serve someone, charity it happens. That is why a man should try to stay away from the wicked. Man can get pleasure from the company of sadhus.
Acharyashree called upon the students, teachers and villagers to accept the determination of non-violence to travel by providing a shortage of nonviolence and objectives after the discussion of the mangal discourse. All the people stood up and accepted blessings from Acharyashree by accepting the three resolutions of non-violence. When the school's Principal Mr Natwar Nayak congratulated Acharyashree for attending his school, Acharyashree covered him with blessings.