Update
👉 सोलापुर -बाल संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन
👉 सोलापुर - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 जयपुर - प्रतिक्रमण जागरूकता कार्यशाला का आयोजन
👉 श्रीपुरम जंक्शन (बेंगलौर) - आध्यात्मिक मिलन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद*🌻
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*22/02/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2
का प्रवास
*S.S Jain Sthanak*
Beri Bakkali Street, *VELLORE*
बेगलौर- चेन्नैइ रोड
☎9108075693,9894694199
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*प्रकाश जी रांका के निवास स्थान पर*
*मधुर* (कर्नाटक)
Mysore - Bangalore Road
☎9448385582,9900946634
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*विनय कुमार जी संकलेचा के घर*
*करनगुली गांव*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Jain Prayer Hall*
72 Market Street, *Tirukkoyilur* 605757
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के*
*सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*लिखमा राम जी का ढाबा से विहार करके टोल नाका पधारेगें*
भुवनेश्वर -विशाखापट्नम् रोड
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Sree Agastiya Temple*
No ER -391/91
Pudiyagoan
Tirupunitra(केरला) ☎9672039432,7907269421
9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*पन्नालाल जी पींचा के निवास स्थान पर*
*हेब्बगुडी *बेगलौर* (कर्नाटक)
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*अणुव्रत विद्यालय से 10 km का विहार करके रमेश जी प्रजापत के निवास स्थान ऊसूर गॉव पधारेगे*
(गोल्डन टेंपल से 3.5 km पहले)
(तमिलनाडु)
बैगलोर - चेन्नेइ हाईवे
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*सुरूपागुडम् से 15 km का विहार करके गोविन्दपुर आश्रम पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*धनराज जी टाटीया के निवास स्थान पर*
*Maloo Apartment*
G-1 *Rajarajeshwarinagar*
Bangalore (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*सीतापुर प्राइमरी स्कूल से 9.5 km का विहार करके अरविन्द आश्रम पद्यारेगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎8917477918,9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमल प्रज्ञा जी ठाणा 19* का प्रवास
सुबह का प्रवास
*श्रीकाकुलम से 11.3 km विहार कर श्री शिवानी काँलेज अफ इंजिनियरिंग*
शाम का प्रवास
*श्री शिवानी काँलेज आफ इंजिनियरिंग से 5.5 कि मी.Z.P H.High school Budumuru मे पधारेंगे*
भुवनेश्वर- विशाखापट्नम् रोड
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*Binny Mills Villa No 10 North Town*
*Chennai* (तमिलनाडु)
☎8428020772,9444052840
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*Bafna Enterprises kanamali se stanak mattancherry fort kochi padharenge*
☎8875762662,9246998909
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211
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*संघ संवाद+संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*पाण्डूपूरा* से 10 km का विहार करके सरकारी कोलेज* *आलगुपे पधारेगे* (कर्नाटक)
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*पारसमल जी गादिया*
No 18 Kamal Kunj
1st main 1st cross
Sri Puram Extn
*Seshadripuram* Bangalore (कर्नाटक)
☎7798028703
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Sangh Samvad
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Update
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 264* 📝
*पुण्यश्लोक आचार्य पात्रकेशरी (पात्रस्वामी)*
पात्रकेशरी दिगंबर परंपरा के प्रभावक आचार्य थे। वे कवि एवं दर्शन-शास्त्र के प्रकांड विद्वान् थे। न्याय विद्या पर भी उनका विशेष आधिपत्य था। प्रभावक आचार्यों की श्रृंखला में न्याय विद्या को उजागर करने वाले स्वामी नाम से दो आचार्य प्रसिद्ध हुए हैं। समंतभद्र स्वामी और पात्रकेशरी स्वामी इन का संक्षिप्त नाम पात्रकेशरी या पात्रस्वामी है।
*गुरु-परम्परा*
पात्रकेशरी की गुरु परंपरा से संबंधित विशेष सामग्री नहीं है। आराधना कथा कोष के अनुसार एक बार पार्श्वनाथ चैत्य में चारित्रभूषण मुनि के मुख से समंतभद्र विरचित देवागम स्तोत्र का पाठ पात्रकेशरी ने सुना और उस पर अर्थ चिंतन करते-करते उन्हें जैन धर्म का बोध हो गया। इस दृष्टि से जैन धर्म की उपलब्धि में निमित्त गुरु पात्रकेशरी के लिए चारित्रभूषण मुनि बने। चारित्रभूषण मुनि किस संघ या गण के थे तथा कौनसी गुरु परंपरा से संबंधित थे इसका उल्लेख नहीं है।
बेल्लूर तालुका के संख्यक 17 के अभिलेख में पात्रकेशरी को द्रमिल संघ का प्रधान माना है। उनका नाम समंतभद्र स्वामी के बाद आया है। पात्रकेशरी के उत्तरवर्ती नामों में क्रमशः वक्रग्रीव, वज्रनन्दी, अकलंक प्रभृति आचार्यों के नामों का उल्लेख है। इस अभिलेख से आचार्य पात्रकेशरी का संबंध द्रमिल संघ की गुरु परंपरा से सिद्ध होता है।
*जन्म एवं परिवार*
पात्रकेशरी का जन्म ब्राह्मण वंश में हुआ। उनका निवास स्थान अहिच्छत्र नगर में था। अहिच्छत्र अपने समय का समृद्ध नगर था। जैन इतिहास के अनुसार महत्त्वपूर्ण प्रसंग का बोध भी अहिच्छत्र नाम से होता है। यह घटना इस प्रकार है— तीर्थंकर पार्श्वनाथ इस नगर में या इस नगर के आसपास कहीं पाषाण खंड पर ध्यान कर रहे थे। पूर्व वैर का स्मरण कर कमठ के जीव ने देव भव में बदला लेने की भावना से उन पर घनघोर वर्षा प्रारंभ कर दी। जिन मातानुरागी धरणेंद्र देव ने उस समय तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मस्तिष्क पर नागफण का छत्र तान दिया था। तीर्थंकर के तेज से विघ्नकारक देव हतप्रभ हो गया। तत्पश्चात् तीर्थंकर पार्श्व को सर्वज्ञश्री की उपलब्धि हुई। नागफण से संबंधित इस घटना के कारण नगरी का नाम अहिच्छत्र प्रसिद्ध हुआ। पात्रकेशरी का जन्म अहिच्छत्र नगर में हुआ या अन्यत्र। उनके माता-पिता कौन थे? इस संबंध में कोई संकेत उपलब्ध नहीं है। आराधना कथा कोष के अनुसार पात्रकेशरी अहिच्छत्र के निवासी थे।
*पुण्यश्लोक आचार्य पात्रकेशरी (पात्रस्वामी) के जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 88* 📝
*पनराजजी लूणिया*
*कुसंग का फल*
जयपुर निवासी पनराजजी लूणिया एक अच्छे श्रद्धाशील व्यक्ति थे। संपन्न घर के होने के कारण उनके पास हर प्रकार के व्यक्ति आते-जाते रहते थे। उनमें कुछ अच्छे होते थे तो कुछ बुरे भी। प्रायः देखा जाता है कि अच्छे आदमी दूसरों को उतना शीघ्र प्रभावित नहीं कर पाते जितना कि बुरे। कारण शायद यह हो सकता है कि अच्छे व्यक्ति अपने काम से काम रखते हैं, न उनमें बातें बघारने की आदत होती है और ना झूठी प्रशंसा के पुल बांधने की ही। दूसरे व्यक्ति यह सब करते हैं। मनुष्य में बहुधा यह दुर्बलता पाई जाती है की चापलूसी तथा प्रशंसकों की ओर अप्रत्याशित रूप से झुक जाता है। पनराजजी की भी यही स्थिति हुई। चापलूस मित्रों से घिरकर वे उनके वशीभूत हो गए। उनके कारण से उनमें अनेक अवगुण आते चले गए। कुछ ही दिनों में उनका घर जुआरियों का अड्डा बन गया। स्वयं पनराजजी एक पक्के जुआरी बन गए।
परिवार वाले उनकी उस वृत्ति से बड़े खिन्न हुए। उस बात को लेकर यदाकदा परिवार में कलह भी होने लगा, परंतु वह ऐसी छोटी-मोटी बातों की क्यों परवाह करने लगे? घर में सबसे बड़े वे ही थे। अतः उन पर एक सीमा से अधिक दबाव देने वाला कोई नहीं था। साधारण दबाव का कोई उपयुक्त परिणाम नहीं आया। उनका हितेषी प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता था कि उस मार्ग को छोड़ दें। किंतु सहज ही छोड़ा जा सके तो वह व्यसन ही क्या हुआ। कहने वाले कहते रहे और वे अपने ही प्रकार से चलते रहे।
*जयाचार्य के पास*
उनके सुधार का जब कोई मार्ग दिखाई नहीं दिया तब उनकी पत्नी तथा पुत्र सरदारमलजी ने गुप्त रूप से एक योजना बनाई। उन लोगों ने पनराजजी के सम्मुख सुझाव रखा कि इस बार पूरे परिवार को जयाचार्य के दर्शन करवाने चाहिए। उस सुझाव को उन्होंने तत्काल स्वीकार कर लिया। वे दुर्व्यसनी अवश्य हो गए थे परंतु उनके धार्मिक संस्कार मरे नहीं थे। निर्धारित योजना के अनुसार परिवार के सभी व्यक्ति पाली में जयाचार्य के दर्शनार्थ गए।
सरदार मल जी ने एक दिन अवसर देखकर एकांत में अपने पिता कि उक्त दुर्बलता को जयाचार्य के सम्मुख रखा और उस व्यसन को छुड़ा देने की प्रार्थना की।
जयाचार्य ने बाद में पनराजजी को उस विषय में कहा। परंतु विनय युक्त अपनी विवशता बतलाकर उन्होंने इस बात को टाल दिया। जब उपदेश के सभी प्रकार प्रयुक्त कर लेने पर उन्होंने जुआ नहीं छोड़ा तब एक दिन जयाचार्य ने कठोर शब्दों में उपालंभ देते हुए कहा— 'तुम कैसे श्रावक हो जो अपने हित के लिए कही गई बात पर भी ध्यान नहीं देते।' उस पर भी वे केवल मुंह नीचा करके रह गए किंतु बोले नहीं।
जयाचार्य ने जब देखा कि यह घी सीधी उंगली से निकलने वाला नहीं है। तब उन्होंने आदेश के स्वर में कहा— 'हाथ जोड़ो!' उन्होंने विनय की सहज परंपरा के अनुसार हाथ जोड़े तो जयाचार्य ने उन्हें त्याग करवाते हुए कहा— 'मुझे विश्वास है कि तुम मेरे द्वारा करवाए गए इस प्रत्याख्यान को यथावत् निभाओगे। मैंने इसी विश्वास पर तुम्हारा मन न होते हुए भी यह त्याग करवा दिया है।' पनराजजी जयाचार्य की उस बात का न तो कोई प्रतिवाद कर पाए और न अस्वीकार। लज्जा के भार से दबे हुए वे चुपचाप वहां से उठ खड़े हुए।
*क्या श्रावक पनराजजी लूणिया ने जयाचार्य द्वारा करवाए गए प्रत्याख्यान का पालन किया...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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प्रसारक - जैन विश्व भारती, लाडनू
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "हरड़ाताल" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - धोबा हाइस्कूल, हरड़ाताल जिला - बलांगीर (ओड़िशा)
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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