01.08.2018 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 06.08.2018
Updated: 07.08.2018

News in Hindi

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लोकमान्य संत पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव रूप मुनि जी महाराज साहब के पैर में तकलीफ होने के कारण अहमदाबाद साल हॉस्पिटल में पधारे। उनका एंजोप्लास्टी हुआ जो नॉर्मल आया है।
गुरुदेव के स्वास्थ्य की हम सब मंगलकामना करते हैं।
News: 1/8/2018 4:28pm

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#भाजपा जैनसमाज से माफ़ी माँगे..
गुना में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ने जैन समाज पर अशोभनीय टिपण्णी करके पूरे समाज का अपमान किया है। तपस्वी संतो के पहनावे को इंगित करते इस तरह के बयान घोर निंदनीय हैं। भाजपा को यह बयान वापिस लेकर जैन समाज से माफ़ी माँगनी चाहिये ।

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स्वास्थ्य थोड़ा अस्वस्थ हैं।
उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म के संसारपक्षीय भांनजे, जैन दिवाकरीय परम पुज्य श्री भगवती मुनिजी "निर्मल"म.सा.(स्थिरवास उदयपुर- खारोल काँलोनी)का स्वास्थ्य ज्यादा प्रतिकुल नहीं हैं।
News: 1/8/2018: 12:00pm

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THE HINDU के वरिष्ठ पत्रकार वाय. नटराजन के 1 जून के लेख का हिंदी भावानुवाद..

● 2022 से 2025 के मध्य देश के 17% उच्चाधिकारी (IAS आदि) जैन होंगे, जिन्हें 9 जैन संस्थाएं​ तैयार कर रही हैं ।

● अगर आप सोश्यल मीडिया सर्च कर रहे हैं और किसी पेज पर अन्याय या सरकार विरोधी कोई भी शिकायत नहीं हो और मात्र धर्म तथा विकास की ही बात हो तो इसका अर्थ यह समझना कि आप जैन समाज की किसी संस्था के पेज पर हो ।

● इस समाज के पास कोई कन्हैया कुमार या हार्दिक पटेल नहीं है । यह समाज भारत में पारसियों के बाद का, सबसे अल्पसंख्यक समाज हैं, परंतु किसी भी प्रकार के अन्याय या असुरक्षा का भाव नहीं । सभी सरकार और सभी नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं । मांगते नहीं पर काम निकलवाना आता है, वह भी सामने वाले के पूरे सम्मान को ध्यान में रखकर ।

● धर्म का प्रभाव पाजिटिव है। क्षमा करने का गुण इतना जबरदस्त आत्मसात हैं कि कभी भी किसी को नुकसान पहुंचाते नहीं है ।

● राणा प्रताप की भामाशाह बनकर सहायता करते हैं फिर भी नेता तो राणा को ही रखते हैं ।

● सैनिक फंड में भारत में सबसे अधिक दान श्रवणबेलगोला के बाहुबली संस्थान द्वारा रू. 100 करोड़ का दान हैं ।

● संपत्ति उपयोग के चार प्रकार है - बताना, उड़ाना, वापरना और उगाना । यह चारों प्रकार जैन सेठों को आत्मसात हैं ।

● अन्य समाज की संस्थाओं में थोड़े ही समय में विभाजन होते देखा होगा पर जैन ट्रस्टों में तीव्र वैचारिक मतभेद, मीटिंग में लंबी-लंबी चर्चाएं होना, समधी समधी आमने-सामने आ जाते हैं परंतु मीटिंग पूरी बात पूरी । वैर विरोध कड़वाहट कुछ भी नहीं होता, कोर्ट केस तो बहुत दूर की बात है । सम्मेतशिखर तीर्थ अपवाद है लेकिन उसमें भी आयोजन यह है कि श्वेतांबर दिगंबर संघर्ष करते रहे परंतु पर्वत सरकार के हाथ में नहीं देना ।

● जितो, जीओ, जीत, तेरापंथ युवक परिषद, दिगंबर महासभा जैसी संस्थाएं जैन युवकों को आई. ए. एस. बनाने के लिए कार्य कर रही है। जिसके अद्भुत परिणाम आने लगे हैं ।

● मंदिरों और उत्सवों से एक वर्ग शिक्षण और हास्पिटल की ओर चल पड़ा है तो अनेक युवान शिक्षण से शासन की ओर प्रेरित होकर दीक्षा ले रहे हैं ।

● अहमदाबाद में 25 करोड़ की लागत से महावीर जैन विद्यालय बन रहा है । बैंगलोर और पूना के जैन हास्टल देखकर तो आपको युरोपियन हास्टल में घूम रहे हो, ऐसा आभास होगा ।

● अब धर्म के साथ एज्युकेशन और डेवलपमेंट की बात करने वाले जैन संत ही युवाओं में लोकप्रिय है । जैन युवा बहुत शीघ्रता से पंथवाद को भुल रहा है ।

● आजकल कितने ही असामाजिक तत्व सोश्यल मीडिया पर किसी समाज या देवी-देवताओं के विषय में लिखते हैं तो उस समाज के अग्रणी भीड़ इकट्ठी कर समय और शक्ति का बिगाड़ कर उसे हीरो बनाते हैं । ऐसे तत्वों को नजर अंदाज करना कोई जैन समाज से सीखें । जबकि राजस्थान, हरियाणा, उत्तर गुजरात में अनोप मंडल नामक संस्था जैन समाज के लिए अनाप-शनाप लिखती हैं, परंतु जैन समाज ने इसे नजर अंदाज ही किया है ।

● एक भी रैली निकाले बिना, वोटबैंक का आधार लिए बिना, एक भी धरना या उपवास के बिना, मात्र एक कम्प्यूटर और प्रिंटर के माध्यम से अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर लिया । किसी को ईर्ष्या न हो इसलिए किसी भी प्रकार का कोई आयोजन भी नहीं किया । इस प्रकार देश के हजारों शिक्षण संस्थानों और जैन मंदिरों को सुरक्षित कर लिया । आज सरकार ने शिरडी साई बाबा, सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई, अंबाजी मंदिर गुजरात की व्यवस्था और प्रबंधन अपने हाथ में ले रखी है, परंतु​ कायदानुसार श्रवणबेलगोला कर्नाटक या गुजरात के पालीताणा की व्यवस्था और प्रबंधन अपने हाथ में नहीं ले सके ।

● आज जो भी समाज आरक्षण के पीछे भाग रही है, उन्हें जैन समाज से विशेष प्रेरणा लेने की आवश्यकता है । भीड़ इकट्ठी कर रेलवे, बसे जलाने वाले लोगों के बीच देश की सवा सौ करोड़ की जनसंख्या में एक प्रतिशत से भी कम मात्र पचपन लाख लोगों की जनसंख्या वाला यह समाज पिछले 2000 से भी अधिक वर्षों से स्वयं को प्रथम पंक्ति में रखने में सक्षम रहा है, यह भी धर्म संस्कार की उपज है ।

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