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बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक #जय_गोमटेश सौभाग्य आपको भी बुला रहा हैं.. #बाहुबली_भगवान
आज श्रवणबेलगोळा में गोमटेश भगवान बाहुबली का भव्य महाभिषेक हुआ अब केवल 10 दिन तक ही मस्तकाभिषेक चलेगा उसके बाद यह सौभाग्य 12 वर्ष उपरांत भव्य जीवो को प्राप्त होगा
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#श्रवणबेलगोला में उमड़ता जन सैलाब । दृश्य आज का..
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एक पत्रकार ने #आचार्यश्री से पूछा #पंथवाद को कैसे रोकें
आचार्यश्री जी ने बहुत सुंदर उत्तर देते हुए कहा धर्म से पंथ का कोई नाता नहीं लेकिन व्यक्ति अड़े हुए है और बिना चले चला रहे है हमारे लिए आगम ही पंथ है। आज स्थिति यह हो गई है कि- " हम धर्म छोड़ सकते है,पंथ नहीं " पत्र/सम्पादक भी बंटे हुए है।पंथवाद का इतना आग्रह है कि ढाई घण्टे कहने(समझाने) के बाद भी टस से मस नहीं होते।आज तो लोग #पंथाग्रह के कारण सच्चे देव-शास्त्र और गुरु पर भी विश्वास नहीं कर रहे हैं। ध्यान रखे....
"धर्म पंथ नहीं,पथ देता है।।"
(श्रुताराधना शिविर,15 मई 2007 कुंडलपुर)
#अंतरिक्ष_पार्श्वनाथ_दिगम्बर_जैन_तीर्थक्षेत्र
यहाँ पर तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान की मूलनायक पद्मासन प्रतिमा विराजित है, जो काले पाषाण की है, यह मूर्ति लगभग 1100 साल पुरानी है, यह मूर्ति एक समय धरती से अधर विराजित थी,दिगंबर-श्वेताम्बर विवाद के बाद से ही यहाँ ताला लगा है केवल दोनो पंथो के पुजारी पूजन करते है श्रावको को कोई अधिकार नहीं है। हमे भावना भानी चाहिए कि यह दक्षिण भारतीय क्षेत्र अतिशीघ्र विवादो से मुक्त हो और प्रभु के पूजन-अर्चन का सौभाग्य दक्षिण के मूलनिवासियो को प्राप्त होवे।
12वी शताब्दी में दिगंबराचार्य मदनकीर्ति ने इस प्रतिमा के दर्शन करके इसका वर्णन इस तरह किया था-
पत्रं यत्र विहासयी प्रविपुले स्थातुंक्षणं न क्षमं,
तत्रास्ते गुणरोहण गिरिर्थो देवदेवो महान।
चित्र नात्र करोति कस्य मनसो दृष्टः पुरे श्रीपुरे,
पार्श्व जिनेश्वरो विजयते दिग्वाससां शासनम्।।
(जिनशासन चतुर्विंशतिका,निर्ग्रन्थ आचार्य मदनकीर्ति)
पद्यानुवाद- इस काव्य का पद्यानुवाद निर्ग्रन्थ आचार्य विद्यासागर जी ने इस प्रकार किया है-
पत्र टिके ना जहाँ अधर में गुणरत्नो का गिरिवर हो
कितना विस्मय किसे नहीं हो चले देख लो शिरपुर को
देवो के देव पार्श्व जिन,अंतरिक्ष में शांत रहे।
युगो-युगो तक दिगम्बरो का जिनशासन जयवंत रहे।
सभी को इस तीर्थ के दर्शनार्थ अवश्य जाना चाहिए, यहाँ का मंदिर हेमाढपंथी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
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