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इण्डिया नहीं है भारत की गौरव-गाथा-आचार्य श्री विद्यासागर जी ➽ #AcharyaVidyasagar #Bharat 😍🔥
कन्नड़ भाषी संत विद्यासागर जी ने धर्म-देशना की अपेक्षा राष्ट्र और समाज में आए भटकाव का स्मरण कराते हुए कहा कि आज जवान पीढ़ी का ख़ून सोया हुआ है। कविता ऐसी लिखो कि रक्त में संचार आ जाय। उसका इरादा 'इण्डिया' नहीं 'भारत' के लिये बदल जाय। वह पहले भारत को याद रखें। भारत याद रहेगा, तो धर्म-परम्परा याद रहेगी। पूर्वजों ने भारत के भविष्य के लिये क्या सोचा होगा? उन्होंने इतिहास के मंन्र को सौंप दिया। उनकी भावना भावी पीढ़ी को लाभान्वित करने की रही थी। वे भारत का गौरव, धरोहर और परम्परा को अक्षुण्ण चाहते थे। धर्म की परम्परा बहुत बड़ी मानी जाती है। इसे बच्चों को को समझाना है। आज ज़िंदगी जा रही है। साधना करो। साधना अभिशाप को भगवान बना देती है। जो हमारी धरोहर है। जिसे हम गिरने नहीं देंगे। महाराणा प्रताप ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। उनके और उन जैसों के स्वाभिमान बल पर हम आज हैं।
भारत को स्वतन्त्र हुए सत्तर वर्ष हो गए हैं। स्वतन्त्र का अर्थ होता है-'स्व और तन्त्र'। तन्त्र आत्मा का होनाचाहिए। आज हम, हमारा राष्ट्र एक-एक पाई के लिए परतंत्र हो चुका है। हम हाथ किसी के आगे नहीं पसारें। महाराणा प्रताप को देखो, उन जैसा स्वाभिमान चाहिए। उनसे है भारत की गौरवगाथा। आज हमारे भारत की पूछ नहीं हो रही है? मैं अपना ख़ज़ाना आप लोगों के सामने रख रहा हूं। आप लोगों में मुस्कान देख रहा हूँ। मैं भी मुस्करा रहा हूं। हमें बता दो, भारत का नाम 'इण्डिया' किसने रखा? भारत का नाम 'इण्डिया' क्यों रखा गया? भारत 'इण्डिया' क्यों बन गया? क्या भारत का अनुवाद 'इण्डिया' है? इण्डियन का अर्थ क्या है? है कोई व्यक्ति जो इस बारे में बता सके? हम भारतीय है, ऐसा हम स्वाभिमान के साथ कहते नहीं हैं। अपितु गौरव के साथ कहते हैं, 'व्ही आर इण्डियन'। कहना चाहिए- 'व्ही आर भारतीय'। भारत का कोई अनुवाद नहीं होता। प्राचीन समय में 'इण्डिया' नहीं कहा जाता था। भारत को भारत के रूप में ही स्वीकार करना चाहिए। युग के आदि में ऋषभनाथ के ज्येष्ठ पुत्र 'भरत' के नाम पर भारत नाम पड़ा है। उन्होंने भारत की भूमि को संरक्षित किया है। यह ही आर्यावर्त 'भारत' माना नाम गया है। जिसे 'इण्डिया' कहा जा रहा है। आप हैरान हो जावेंगे, पाठ्य-पुस्तकों के कोर्स में 'इण्डियन' का जो अर्थ लिखा गया है, वह क्यों पढ़ाया जा रहा है? इसका किसी के पास क्या कोई जवाब है? केवल इतना लिखा गया है कि अंग्रेज़ों ने ढाई सौ वर्ष तक हम पर अपना राज्य किया, इसलिए हमारे देश 'भारत' के लोगों का नाम 'इण्डियन' का पड़ गया है। इससे भी अधिक विचार यह करना है कि है कि चीन हमसे भी ज़्यादा परतन्त्र रहा है। उसे हमसे दो या तीन साल बाद स्वतन्त्रता मिली है। उससे पहले स्वतन्त्रता हमें मिली है। चीन को जिस दिन स्वतन्त्रता मिली थी, तब के सर्वे सर्वा नेता ने कहा था कि हमें स्वतन्त्रता की प्रतीक्षा थी। अब हम स्वतन्त्र हो गए हैं। अब हमें सर्व प्रथम अपनी भाषा चीनी को सम्हालना है। परतन्त्र अवस्था में हम अपनी भाषा चीनी को क़ायम रख नहीं सके थे। साथियों ने सलाह दी थी कि चार-पाँच साल बाद अपनी भाषा को अपना लेंगे। किन्तु मुखिया ने किसी की सलाह को नहीं मानते हुए चीना भाषा को देश की भाषा घोषित किया। नेता ने कहा चीन स्वतन्त्र हो गया है और अपनी भाषा चीनी को छोड़ नहीं सकते हैं। आज की रात से चीन में की भाषा चीनी प्रारम्भ होगी और उसी रात से वहाँ चीन की भाषा चीनी प्रारंभ हो गयी। भारत में कोई ऐसा व्यक्ति है जो चीन के समान हमारे देश की भाषा तत्काल प्रारम्भ कर दें? कोई भी कठिनाई आ जाय देश के गौरव और स्वाभिमान को छोड़ नहीं सकते हैं। सत्तर वर्ष अपने देश को स्वतन्त्र हुए हो गए हैं। हमारी भाषाऐं बहुत पीछे हो गयी हैं। इंग्लिश भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने की ग़लती हो हैं। मैं भाषा सीखने के लिए इंग्लिश या किसी भी अन्य भाषा को सीखने का विरोध नहीं करता हूँ। किंतु देश की भाषा के ऊपर कोई अन्य भाषा नहीं हो सकती है।इंग्लिश भारत भाषा कभी नहीं थी और न है। वह अन्य विदेशी भाषाओं के समान ज्ञान प्राप्त करने का साधन मात्र है। विदेशी भाषा इंग्लिश में हम अपना सब कुछ काम करने लग जाय, यह ग़लत है। हमें दादी के साथ दादी की भाषा जो यहाँ बुन्देलखण्डी है, उसी में बात करना चाहिए। जो यहाँ सभी को समझ में आ जाती है। मैं कहता हूँ ऐसा ही अनुष्ठान करें।
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नगर तिज़ारा देहरा में तुम प्रकट भय जिनदेवा,
सुर नर मुनिजन तुम चरणो की करते हैं नित सेवा..
तुमने तारे असंख्य प्राणी, करते हैं सब नर नारी..
तेरी आरती.. ओ बाबा हम सब उतारे तेरी आरती..
आज के दिन ही देहरा तीजारा जी मे चंद्रप्रभ भगवान की प्रतिमा पृकट हुई थी आज 63 वा महामस्तकाभिषेक हुआ 😍
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12 वर्षों का अंतराल काम नहीं होता... महामहोत्सव अब समापन की ओर.. 23rd to 31st Aug.. #share 🙏
सौभाग्य आपको भी बुला रहा हैं.. 🔥😍
#संस्कार ऐसा हो कि देश का कल्याण करे
मुनि श्री दुर्लभ सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन में संस्कारों का विशेष महत्व होता है। विज्ञान में भी लिखा है कि गर्भकाल में मां के विचारों का और चिंतन का भरपूर प्रभाव पड़ता है। गर्भकाल में ही उस नन्हें शिशु पर मां के द्वारा डाले गए संस्कारों का जो प्रभाव पड़ता है वह उसके जन्म के बाद भी उसे सामान्य से विशिष्ट बनाते हैं और वह शिशु बड़ा होकर तप, ध्यान और संसार की सारता का चिंतन करते हुए भगवान के रूप में निर्मित होता है। हमें भी अपने परिवार में गर्भ में आने के बाद शिशु को मां के माध्यम से ऐसे संस्कार डालना चाहिए जो उसके जन्म के बाद और अधिक पुष्ट होकर अपने परिवार का और देश का कल्याण कर सके।
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No animal deserves to be murdered. Celebrate Eid al-Adha without bloodshed.
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News in Hindi
#अफ़वाहों_पर_ध्यान_ना_दे
मुनि #तरुणसागर जी महाराज की तबियत अभी खराब है उनकी समाधि नही हुई है आप सभी णमोकार मंत्र का जाप करते रहे!
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