News in Hindi
👉 जयपुर ~ जैन संस्कार विधि से नव-प्रतिष्ठान का शुभारम्भ
👉 नागपुर - स्वस्थ आहार का सेवन श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण कार्यशाला
👉 हुबली- तप अभिनंदन समारोह
👉 सांताक्रूज़, मुम्बई - नशा मुक्ति पर नाटिका का आयोजन
👉 विजयवाड़ा ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला का आयोजन
👉 पटना ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला का आयोजन
👉 फरीदाबाद - रक्तदान शिविर का आयोजन
👉 दिल्ली ~ अणुव्रत समिति द्वारा रैन बसेरों में नशामुक्ति कार्यशाला का आयोजन
👉 इस्लामपुर ~ जैन संस्कार विधि से सामुहिक जन्मोत्सव
👉 सिलीगुड़ी ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 अहमदाबाद ~ "आओ करें तीर्थंकरो से साक्षात्कार" प्रतियोगिता का आयोजन
👉 कालीकट(केरल) ~ जैन विद्या कार्यशाला की परीक्षा का आयोजन
👉 उदयपुर - हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली विषयक सेमिनार
👉 अहमदाबाद ~ वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 जयपुर ~ जैन संस्कार विधि से नव-प्रतिष्ठान का शुभारम्भ
👉 नागपुर - स्वस्थ आहार का सेवन श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण कार्यशाला
👉 हुबली- तप अभिनंदन समारोह
👉 सांताक्रूज़, मुम्बई - नशा मुक्ति पर नाटिका का आयोजन
👉 विजयवाड़ा ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला का आयोजन
👉 पटना ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला का आयोजन
👉 फरीदाबाद - रक्तदान शिविर का आयोजन
👉 दिल्ली ~ अणुव्रत समिति द्वारा रैन बसेरों में नशामुक्ति कार्यशाला का आयोजन
👉 इस्लामपुर ~ जैन संस्कार विधि से सामुहिक जन्मोत्सव
👉 सिलीगुड़ी ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 अहमदाबाद ~ "आओ करें तीर्थंकरो से साक्षात्कार" प्रतियोगिता का आयोजन
👉 कालीकट(केरल) ~ जैन विद्या कार्यशाला की परीक्षा का आयोजन
👉 उदयपुर - हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली विषयक सेमिनार
👉 अहमदाबाद ~ वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻
*नवीन दीक्षा घोषणा*
दिनांक 25-08-2019
🌻 *त्वरित और प्रमाणिक संघीय समाचारो के लिए प्रतिबद्ध - संघ संवाद* 🌻
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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 21* 📜
*अध्याय~~2*
*॥सुख-दुःख मीमांसा॥*
*॥आमुख॥*
सुख क्या है और दुःख क्या है? यह शाश्वत प्रश्न है। मनुष्य पदार्थों के उपभोग में सुख की कामना करता है, वह अवास्तविक है। वास्तविक यह है कि सुख पदार्थों के उपभोग में नहीं, उनके त्याग में है।
मनुष्य प्रियता में सुख और अप्रियता में दुःख की कल्पना करता है। वह प्रियता और अप्रियता को पदार्थों से संबंधित मानता है। यह भ्रम है। प्रियता और अप्रियता पदार्थों में नहीं, मनुष्य के मन में होती है। जिन पदार्थों के प्रति मनुष्य का लगाव है, वहां वह प्रियता की और जहां लगाव नहीं है, वहां अप्रियता की कल्पना करता है। यह सारा दुःख है।
बाह्य पदार्थों के प्रति आसक्ति रहते हुए बुद्धि का द्वार नहीं खुलता। विवेक वहीं जागृत होता है, जहां पदार्थासक्ति नहीं होती। मोह के रहते आसक्ति नहीं छूटती और इसका नाश हुए बिना वास्तविक सुख की अनुभूति नहीं होती।
इस अध्याय में वास्तविक सुख के स्वरूप और साधनों की चर्चा की गई है। साधक पदार्थों से सर्वथा मुक्त नहीं हो सकता, किंतु वह पदार्थों के प्रति होने वाली आसक्ति से मुक्त हो सकता है। यह मुक्ति साधना-सापेक्ष होती है। इस विमुक्त अवस्था का अनुभव ही वास्तविक सुख और आनंद है।
💠 *मेघ प्राह*
*1. सुखानि पृष्ठतः कृत्वा, किमर्थं कष्टमुद्वहेत्।*
*जीवनं स्वल्पमेवैतत्, पुनर्लभ्यं न वाऽथवा।।*
मेघ बोला— सुखों को पीठ दिखाकर कष्ट क्यों सहा जाए, जबकि जीवन की अवधि स्वल्प है और कौन जाने, वह फिर प्राप्त होगा या नहीं?
*भगवान द्वारा सुखासक्ति के दोष बतलाना... मेघ द्वारा फिर जिज्ञासा रखना... भगवान द्वारा पुनः समाधान देना…* पढ़ेंगे आगे के श्लोकों में... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
🥏 *_आचार्यप्रवर ने 20 अक्टूबर 2019 को मुमुक्षु कुणाल श्यामसुखा एवं खुश बाबेल को दीक्षा देने की आज्ञा प्रदान की....._*
⌚ _दिनांक_: *_25 अगस्त 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
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आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ
चेतना सेवा केन्द्र,
कुम्बलगुड़ु,
बेंगलुरु,
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महाश्रमण चरणों में
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: दिनांक:
24 अगस्त 2019
🎯
: प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 123* 📜
*आचार्यश्री भीखणजी*
*जीवन के विविध पहलू*
*7. आचार-हीनता के विरोधी*
*तार निकालो*
स्थानकवासी श्रावक अपने किसी साधु की गलती पर रुष्ट होकर स्वामीजी से कहने लगे— 'भीखणजी! तुम इस घटना का तार निकालो।'
स्वामी जी ने कहा— 'जिन्हें बड़े-बड़े शहतीर भी दिखाई नहीं देते, उन्हें तार क्या दिखाई देगा? अभी तुम लोगों को उद्दिष्ट स्थानक आदि के बड़े दोष भी ध्यान में नहीं आ रहे हैं, तो फिर दूसरे छोटे दोषों का पता कैसे लग सकता है?'
*लड़का और सगाई*
स्वामीजी साधु के निमित्त बनाए गए स्थान में ठहरने को सदोष माना करते थे। आगमिक आधार पर वे उसे आचारहीनता का प्रतीक मानते थे, अतः जहां भी अवसर होता उसका खंडन किया करते। उनके मंतव्य तथा उक्तियों से तिलमिलाकर एक बार एक मुनि ने कहा— 'भीखणजी! आप झूठमुठ ही हम लोगों पर दोष मढ़ रहे हैं। हम कब कहते हैं कि हमारे लिए स्थानक बनाओ।'
स्वामीजी ने कहा— 'लड़का कब कहता है कि मेरी सगाई कर दो, किंतु जब सगाई की जाती है तब मन ही मन प्रसन्न होता है। उसके पश्चात् विवाह उसी का होता है। पत्नी उसी के आती है और घर उसी का बसता है। यह सब उसे स्वीकार्य होता है, तब स्वतः सिद्ध है कि सगाई भी उसे स्वीकार थी। इसी तरह यदि यह सही माने लें कि आप लोग स्थान बनाने के लिए नहीं कहते, फिर भी बनता है तो प्रसन्न होते हैं, हमारे लिए बना है– यह जान लेने पर भी उसमें ठहरते हैं। आप लोगों के नाम पर आधारित वह अमुक महाराज का स्थानक कहलाता है। इन सब कारणों के रहते आप उद्दिष्ट दोष से मुक्त कैसे हो सकते हैं?'
*जमाई और हलवा*
एक बार उपर्युक्त कथन का उत्तर देते हुए स्वामीजी ने यह उदाहरण भी दिया था— 'जमाई ससुराल जाता है, तब वहां यह नहीं कहता कि मेरे लिए हलवा बनाओ। परंतु जब हलवा बनाया जाता है तो वह उसे बड़ी प्रसन्नता से खा लेता है। इसीलिए ससुराल वाले आवश्यकता होने पर फिर उसके लिए हलवा बनाते हैं। यदि वह उसका परित्याग कर देता है, तो उसके लिए हलवा बनाना बंद कर दिया जाता है। इसी प्रकार यदि कोई साधु स्थानक बनाने के पश्चात् उसमें रहने लगते हैं, तो उनके लिए आगे-से-आगे स्थानक बनते रहते हैं। परंतु यदि वे स्थानक में रहना त्याग दें, तो फिर स्थानक बनने भी स्वतः ही बंद हो जाएं।'
*स्वामी भीखणजी के आचार-निष्ठ व्यक्तित्व की एक झलक पाएंगे... कुछ प्रसंगों के माध्यम से* हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति
🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏
📖 *श्रृंखला -- 111* 📖
*नाम में छिपी है नागदमनी*
गतांक से आगे...
भय का एक हेतु है— युद्ध। युद्ध का भय सदा रहता है। किसी युग में वह ज्यादा होता था, लड़ाइयां रोज होती थीं। छोटे-छोटे सामंत युद्ध करते रहते थे। लड़ाइयां तो आज भी विश्व में चलती रहती हैं। कोई वर्ष अथवा मास खाली नहीं जाता, जिसमें युद्ध न चल रहा हो। युद्ध की विभीषिका से सब डरते हैं। एक बार सेना आती है, सारा क्षेत्र चौपट हो जाता है। स्तुतिकार ने इसी समस्या के संदर्भ में कहा— जो व्यक्ति आपका ध्यान करता है, उसके लिए युद्ध का खतरा नहीं रहता।
मानतुंग ने कहा— युद्ध के प्रांगण में एक बलवान् राजा का बल— सेना बहुत शक्तिशाली है। उसे सेना में कूदते-फांदते और उछलते हुए अश्व हैं। ऐसे तेज घोड़े हैं, जो नदी-नालों को लांघ जाते हैं। हाथियों के गर्जन से भयंकर नाद हो रहा है। बलशाली राजा की ऐसी सेना भी व्यक्ति का अनिष्ट नहीं कर पाती। काव्य में वर्णन समय-सापेक्ष होता है। कोई भी कवि वर्णन करेगा तो अपने समय की वस्तुओं का वर्णन करेगा। आज कोई स्तुति काव्य लिखेगा और युद्ध का वर्णन करेगा तो अश्व और गज का उल्लेख नहीं करेगा। वर्तमान काव्य में मिसाइल, प्रक्षेपास्त्र रॉकेट, टैंक, बख्तरबंद गाड़ी आदि का वर्णन होगा। कवि लिखेगा— भयंकर संहारक प्रेक्षेपास्त्रों और अणुअस्त्रों से सज्जित सेना भी शांत हो जाती है। कवि का अपना समय होता है। प्रत्येक बाद देश-काल सापेक्ष होती है। आज युद्ध का साधन है—टैंक, प्रक्षेपास्त्र, अणु अस्त्र आदि। उस युग में युद्ध का साधन था चतुरंगिणी सेना।
स्तुतिकार ने लिखा— बलवान् राजा की सेना, जो अश्व और गज के भीमनाद से शक्तिशाली प्रतीत हो रही है, पलायन कर जाती है। एक उपमा के द्वारा इस तथ्य की पुष्टि करते हुए मानतुंग कहते हैं— जैसे उगते हुए सूरज की किरणों की शिखा अंधकार को बींध देती है, नष्ट कर देती है। वैसे ही आपके साथ तादात्म्य स्थापित करने वाला मनुष्य आपका कीर्तन कर बलवान् राजा के बल को बींध देता है।
*वल्गत्तुरंगगजगर्जितभीमनाद-*
*माजौ बलं बलवतामपि भूपतिनाम्।*
*उद्यद्दिवाकरमयूखशिखापविद्धं,*
*त्वत्कीर्तनात् तम इवाशु भिदामुपैति।।*
सर्प भय निवारण की बात बुद्धिगम्य हो जाती है किंतु युद्धरत राजा के बल को छिन्न-भिन्न कर देने के बाद बुद्धिगम्य नहीं होती। क्या एक स्तुति मात्र से इतना भयंकर युद्ध समाप्त हो जाएगा? क्या सब पलायन कर जाएंगे? यह अर्थवाद और अतिशयोक्ति नहीं है। यह श्रद्धा-सापेक्ष कथन है। ऐसा लगता है स्तुतिकार ने श्रद्धा के आवेग में कह दिया कि आपकी स्तुति से भयंकर युद्ध समाप्त हो जाता है अथवा योद्धा पलायन कर जाते हैं। क्या श्रद्धा बल से ऐसा हो सकता है?
*क्या सचमुच श्रद्धा बल से भयंकर युद्ध की स्थिति को टाला जा सकता है...?* जानेंगे और समाधान पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 20* 📜
*अध्याय~~1*
*॥स्थिरीकरण॥*
💠 *मेघ प्राह*
*39. हन्त! हन्त! समर्थोऽयं, अर्थो यश्च त्वयोदितः।*
*मदीयो मानसो भावो, बुद्धो बुद्धेन सर्वथा।।*
मेघ बोला— भगवन्! आपने जो कुछ कहा, वह बिलकुल सही है। आपने मेरे मन के सारे भाव जान लिए।
*40. ईहापोहं मार्गणाञ्च, गवेषणाञ्च कुर्वता।*
*तेन जातिस्मृतिर्लब्धा, पूर्वजन्म विलोकितम्।।*
ईहा, अपोह, मार्गणा और गवेषणा करने से मेघ को पूर्वजन्म की स्मृति हुई और उसने अपना पिछला जन्म देखा।
*41. त्वदीया देशना सत्या, दृष्टा पूर्वस्थितिर्मया।*
*सन्देहानां विनोदाय, जिज्ञासामि च किञ्चन।।*
मेघ बोला— भगवन्! आपका कथन सत्य है। मैंने पूर्वभव की घटनाएं जान लीं। मेरे मन में कुछ संदेह हैं। उन्हें दूर करने के लिए आपसे कुछ जानना चाहता हूं।
*42. द्विगुणानीतसंवेगः, नीतः पूर्वभवस्मृतिम्।*
*आनन्दाश्रुप्रपूर्णास्यः हर्षप्रफुल्लमानसः।।*
भगवान ने मेघ को पूर्वजन्म की स्मृति दिलाकर उसके संवेग-मोक्षाभिलाषा को द्विगुणित कर दिया। मेघकुमार का मुख आनंदाश्रुओं से आप्लावित हो गया। उसका मन हर्षोतफुल्ल हो गया।
*43. उवाच मेघो देवार्य! मुक्तवा द्वे चक्षुषी समः।*
*कायो निर्ग्रन्थसेवायां, अर्पयामि यथोचितम्।।*
मेघ बोला— इन दो चक्षुओं को छोड़कर मैं पूरा शरीर निर्ग्रंथों की सेवा के लिए समर्पित करता हूं। जैसा उचित समझें, वैसी सेवा मुझसे लें।
*44. कृतपुण्यः कृतज्ञोस्मि, दिशा मे दर्शिता नवा।*
*दृष्टिर्मे सुस्थिरा भूयाद्, प्रशस्तो मे पथो भवेत्।।*
वह विनम्र स्वर में बोला— देवार्य! मैं कृतपुण्य हूं, कृतज्ञ हूं। आपने मुझे नई दिशा दिखा दी। मैं चाहता हूं कि मेरी दृष्टि सुस्थिर बने और मेरा पथ प्रशस्त रहे।
*इति आचार्यमहाप्रज्ञविरचिते संबोधिप्रकरणे*
*मेघकुमारस्थिरीकरणाभिधः प्रथमोऽध्यायः।*
*सुख क्या है और दुःख क्या है...? जानने की कोशिश करेंगे... दूसरे अध्याय सुख-दुःख मीमांसा…* के श्लोकों में... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
⌚ _दिनांक_: *_24 अगस्त 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
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👉 सोलापुर - कनेक्शन विद फूड साइंस कार्यशाला का आयोजन
👉 कांलावाली - हैप्पी एंड हारमोनियस फैमिली सेमिनार का आयोजन
👉 सैंथिया ~ स्वस्थ आहार का सेवन श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण कार्यशाला का आयोजन
👉 बल्लारी ~ अणुव्रत समिति द्वारा नशामुक्ति का कार्यक्रम आयोजित
👉 बेंगलुरु ~ नि:शुल्क मधुमेह जांच शिविर का आयोजन
👉 कटिहार ~ Connection with food science कार्यशाला का आयोजन
👉 मध्य कोलकाता ~ स्वस्थ संतुलित आहार श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 विजयनगर, बेंगलुरु ~ महिला मंडल का शपथ ग्रहण समारोह
👉 सैंथिया ~ सात दिवसीय एक्यूप्रेशर कैंप का आयोजन
👉 रायपुर - सन्तुलित आहार स्वस्थ जीवन का आधार कार्यशाला
👉 साउथ कोलकाता - सन्तुलित आहार स्वस्थ जीवन का आधार कार्यशाला
👉 हैदराबाद ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला आयोजित
👉 चिकमंगलूर ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 सूरत - स्वस्थ आहार का सेवन श्रेष्ठ आरोग्य हर क्षण कार्यशाला
प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*
नवीन दीक्षा घोषणा
दिनांक 25-08-2019
🌻 त्वरित और प्रमाणिक संघीय समाचारो के लिए प्रतिबद्ध - संघ संवाद 🌻
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *मैं #मानसिक #संतुलन चाहता हूँ*: #श्रंखला ३*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
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👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २३५* - *चित्त शुद्धि और लेश्या ध्यान ४*
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