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श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र, तिजारा की पावन धरा पर आज दिनांक 24 अगस्त 2019 को प. पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में "बंगाल प्रांतीय सराक सम्मेलन" का आयोजन...
श्री संजय जी शर्मा (विधायक अलवर शहर), श्री सुभाष दायमा (मजिस्ट्रेट सीडब्ल्यूसी), श्री राजेश शर्मा (चेयरमैन नगर पालिका तिजारा), अंकुश जैन बाबूलाल जैन, संजय बजाज आदि ने चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन किया!
श्री शरद जैन दिल्ली ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सराक बंधु कौन है उनकी जानकारी हमें किन से प्राप्त हुई इसकी जानकारी में आपको देना चाहता हूं यह पक्के जैन कहलाते थे श्रावक कहलाते थे समय की करवट से वह श्रावक से सराक का रूप ले लिया उनके गोत्र के नाम पर है जैसे आदिदेव, अनंत देव, शांति देव, धर्म देव आदि। उनके यहां आज भी यह संस्कार है कि कोई भोजन के समय लोकी काट दो, केले के टुकड़े कर दो जैसे हिंसा वादी शब्दों का प्रयोग करे तो फिर वह सब्जी खाने के काम में नहीं लेते।
आज हम इन सराक बंधुओं से अगर परिचित हुए हैं तो उसका श्रेय आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज को जाता है जिन्होंने विषमताओं के बीच में रहकर इनको जाना, पहचाना।
सन 1993 का वर्षायोग भी सराक बाहुल्य क्षेत्र के तड़ाई ग्राम जिला रांची में जब किया तब तो सभी को आश्चर्य हुआ कि जहां कोई भी सुख सुविधाएं नहीं है मेन रोड से 3 किलोमीटर अंदर है ऐसे स्थान पर वर्षा योग का एक नया इतिहास बनाया।
आज पूज्य श्री की प्रेरणा से पश्चिम बंगाल में रघुनाथपुर एवं लखनऊपुर सेंटर में सिलाई सेंटर, कंप्यूटर सेंटर के द्वारा अनेक युवक-युवतियों को शिक्षित किया जाता है।
पाठशाला, मंदिरों के द्वारा संस्कारों का शंखनाद किया जाता है, चिकित्सालयों द्वारा सभी को स्वच्छता की ओर ले जाने का प्रयास चल रहा है। ऐसे सराक बंधुओं के बीच में और भी गतिविधियां चल रही है।
श्री सुरेंद्र मोहन जी एडवोकेट मालपुरा जिला टोंक ने अपने विचार रखे।
श्री संजय जी शर्मा विधायक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर को नहीं देखा पर आप ही हमारे लिए ईश्वर के रूप में है आपके श्री चरणों में नमन करता हूं आप जो रास्ता दिखा रहे हैं वह सभी को हित की ओर ले जाने वाला है आपने जो आदेश दिए हैं, उसकी ओर अवश्य ही ध्यान देंगे।
नमिता, प्रियंका व दीप्ति आदी बालिकाओं ने बंगाली भाषा में भजन की प्रस्तुति की।
तंदनतर बुलटी मंडल झुमा मंडल पुरूलिया जिला, बोदमा ग्राम ने भी भजन प्रस्तुत किया।
बरनाली बालिका ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां पर आकर हम लोगों को बहुत अच्छा लगा। जल ही जीवन है, जल की हमें कीमत करना चाहिए। कपड़े धोने वाले पानी कोई यूं ही नहीं फेंके उस पानी से सफाई आदि का कार्य कर सकते हैं। गाय-भैंस आदि की सफाई के लिए भी काम में आ सकता है। आप सभी इस बात पर ध्यान अवश्य दें।
अतिशय क्षेत्र तिजारा की पावन धरा पर प. पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में "सामाजिक समरसता" विषय पर संगोष्ठी...
ब्रह्मचारी मनीष जी ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज के व्यक्तित्व -कृतित्व को रेखांकित करते हुए उनकी सकारात्मक सोच से सभी को परिचित कराया|
श्री सुरेश जी (राष्ट्रीय संगठन मंत्री भारत विकास परिषद)ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य श्री का सतत यही प्रयास रहता है कि हर व्यक्ति अपनी प्रतिभा का प्रकटीकरण करें हर व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन करें आज सामाजिक पारिवारिक आर्थिक आदि जो भी विषम ताये हैं उन सभी में समरसता का भाव रखना हमारा कर्तव्य है हम सब एक हैं ऐसा भाव हम सभी का रहना चाहिए संगठन में जो शक्ति है वह बिखरने में नहीं है हम सभी एकता के सूत्र में बंधकर भारत देश का गौरव बढ़ाएं यही सद्भावना है!
श्री दीपक जैन श्री दिगंबर जैन महासमिति अध्यक्ष ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री ने जो कार्य किए हैं वह सामाजिक समरसता का प्रतीक ही है मुझे पूज्य श्री के दर्शनों का लाभ तिजारा प्रवास हर महीने में प्राप्त होगा बड़ी प्रसन्नता है!
श्री प्रदीप गांधी जी ने भी कहा कि हम सभी से जो भी मलीनता हमारे मन में हो जाती है उन्हें साफ सुथरा करें सामाजिक एकता को कायम बनाए रखें तभी समाज का उत्थान संभव है!
ब्रह्मचारी अनीता दीदी ने कहा एकता में जो बल है वह बिखरने में नहीं है बंद मुट्ठी लाख की खुली मुट्ठी खाकी यह वाक्य सभी को संगठित होने का संदेश मिलता है। आचार्य श्री का सतत यही भाव रहता है कि सभी संगठित होकर भारतीय एकता का परिचय दें!
पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि हिंदू वह है जो हिंसा से दूर रहे जो अहिंसा से सना हुआ हो जो हीनता दीनता के भावों से दूर है भारतीय संस्कृति अखंडता एकता वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति है, हमारे देश की अनेक विशेषताएं हैं यह वह देश है जहां राम श्री कृष्ण के सम य गो माता के प्रति सभी के मन में संरक्षण का भाव रहता था अहिंसा दया का नीर सभी के अंदर था आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अहिंसा सत्य करूणा दया खोजे नहीं मिल रही है। प्रातः काल हो नहीं पाती कि लाखों मूक पशुओं को मौत के घाट उतार दिया जाता है जो पशु पक्षी हमें निभा रहे हैं और पशु पक्षियों का संरक्षण करें इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा आरएसएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारी हैं जो तन के लिए नहीं वतन के लिए जीते हैं श्रीकृष्ण को आज के दिन आप सभी विशेष रूप से याद करते हैं उनको जिस प्रकार गायों के प्रति प्रेम था उसी प्रकार का प्रेम सभी के अंदर हो जीवो की रक्षा का भाव हो तो निश्चित उनके प्रति आपकी श्रद्धा आस्था समझी जाएगी।
संगोष्ठी मै आर एस एस के प्रांत प्रचारक अनिल गुप्ता जी अपने पूरे सदस्यों के साथ संगोष्ठी में भाग लिया!