Jhini Charcha was written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics. Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language.
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice.
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 9 Stanza 69 to 74
ढाल 9 पद्य 69 से 74
६९. दर्शण आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना वरणी जी?
द्रव्य उपयोग दर्शण री नेमा, भजना पंच उचरणी जी।।
जहां दर्शन आत्मा हे, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां द्रव्य, उपयोग और दर्शन आत्मा की नियमा है तथा शेष पांच आत्माओं की भजना है।
७०. चारित्र आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना परखी जी?
कषाय जोग नीं भजना जाणो, नेमा षट् नीं निरखी जी।।
जहां चारित्र आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां कषाय और योग आत्मा की भजना है तथा शेष छह आत्माओं की नियमा है।
७१. वीर्यं आतम ज्यां किती आतम नीं, नेमा भजना जोयो जी?
नेमा द्रव्य उपयोग दर्शन वीर्य री, भजना च्यार सुहोयो जी।।
जहां वीर्य आत्मा है, वहां कितनी आत्माओं की नियमा और भजना है? वहां द्रव्य, उपयोग, दर्शन और वीर्य आत्मा की नियमा हे तथा शेष चार आत्माओं की भजना है।
७२. भिक्खू कृत है जंत्र1 तास वर, जोड़ करी धर चूंपो जी।
उगणीसे तेरे जेठ पंचम धुर, 'जय-जशकरण' अनूपो जी।।
आचार्य भिक्षु द्वारा किया हुआ एक यंत्र है। उसके आधार पर जय-जशकरण ने संवत १६१३ प्रथम ज्येष्ठ कृष्णा पंचमी के दिन इसकी रचना की।
७३. भिक्खू भारीमाल ऋषराय प्रतापे, सासण जय-जश छायो जी।
शिष्य सुवनीत संपदा सोभे, वारू विनय बधायो जी।।
भिक्षु, भारीमाल और ऋषिराय के प्रताप से शासन में जय और यश छाया हुआ है। सुविनीत शिष्यां की सम्पदा शोभित हो रही है। विशिष्खम विनय की वृद्धि हो रही है।
७४. नवमी ढाले न्याय निर्मला, सोध्या भिक्खू स्वामी जी।
गणपति 'जय-जश' जोड़ करी हे, आछी रीत अमामी जी।।
इस नवमी गीतिका में निर्मल न्याय है, वे भिक्षु स्वामी के द्वारा खोजे गए हैं। गणपति 'जय-जश' ने उनकी भली-भांति रचना की है।