Howrah 21.07.2024:
265 th foundation day of Terapanth sect was celebrated in presence of Muni Jinesh Kumar. Guru Purnima was also celebrated. Muni Jinesh Kumar told Acharya Bhikshu was guru with full energy. He recalled how Acharya Bhikshu stood for truth. Muni Kunal Kumar presented song. Muni Parmanand said Acharya Bhikshu attained highest position to perform Sadhana.
Mantra were recited to establish Varshavas to begin Chaturmas.
Banechand Malu, Suresh Goyal, Laxmipat Bafna, Basant Patawari also spoke on occasion.
Dhamma Jagaran programme done one day earlier in presence of Muni Jinesh Kumar. Pooja Choraria, Saloni Anchalia and Lalit Borad presented melodious song devoted to Acharya Bhikshu.
*265 वां तेरापंथ स्थापना दिवस व गुरु पूर्णिमा का भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ*
*आचार्य भिक्षु ऊर्जा संपन्न गुरु थे - मुनिश्री जिनेश कुमार जी*
आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा साउथ हावड़ा के तत्वावधान में 265 वां तेरापंथ स्थापना दिवस व गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ प्रेक्षा विहार में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा भारतीय सस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। अज्ञान रूपी अंधकार का जो नाश करते है उन्हें गुरु कहते है। गुरु जीवन दाता, भाग्य विधाता, संयम दाता, समकित दाता व त्राता होते है। गुरु को पारसमणि की उपमा से उपमित किया गया है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहा गया है। गुरु की महिमा अपरंपार होती है निष्काम, निस्वार्थ भाव से जो धर्म का मार्ग बताते है वे ही वास्तव में सच्चे गुरु होते हैं। जो अच्छा शिष्य रहा हुआ है वे ही अच्छे गुरु होते हैं। जिसके जीवन में गुरु नहीं होते है उनका जीवन शुरु नही होता है। जो सच्चे मन से गुरु की आराधना करता है वह भव परंपरा से मुक्त हो जाता है। मुनिश्री ने आगे कहा गुरु पूर्णिमा के दिन ही केलवा की अंधेरी में आचार्य भिक्षु ने भाव दीक्षा ग्रहण कर तेरापंथ की स्थापना की। उनके जीवन में अनेक संघर्ष आए अनेक कष्ट आए। वे कष्टों की परवाह न करते हुए वे साधना व सत्य के मार्ग- पर चलते रहे। आचार्य भिक्षु ऊर्जा संपन्न गुरु थे। तेरापंथ के उद्भव में उनकी पापभीरुता अभय,व जागरुकता निमित्त बनी। उन्होंने नवीन संघ का समुचित संरक्षण करने के लिए तीन काम, विशेष रूप से किए। मूल्यों की स्थापना, संघ संगठन, साहित्य सृजना। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य भिक्षु अलबेले योगी, अनुशासन प्रिय, संयम व विनय के प्रबल प्रेरक व व्यवस्था को सर्वाधिक महत्व देते थे। उनके बताए हुए मार्ग पर चालने की कोशिश करे। मुनिश्री परमानंद जी ने कहा- आचार्य भिक्षु साधना के शिखर पुरुष थे। मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने मधुर गीत का संगान किया। साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा, तेरापंथ महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेशचंद गोयल, विकास परीषद के सदस्य वने चंदमालू जी, कोलकाता तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अजय जी भंसाली ने विचार रखे। आभार मंत्री बसंत जी पटावरी ने व संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। वर्षावास स्थापना अनुष्ठान मुनिश्री परमानंद जी ने करवाया। मुनिश्री ने तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। मुनिश्री द्वारा सम्यक्त्व दीक्षा संकल्पोच्चारण करवाया संघगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।