News In English
Location: | Rajsamand |
Headline: | Acharya Mahashraman Welcomed In Every Place |
News1: | Acharya Mahashraman reached Bhana from Dhoinda. Layperson walked with him. Sabha, Terapanth Yuvak Parishad, Mahila Mandal and Gyanshala welcomed Acharya Mahashraman. |
News2: | Acharya Mahashraman speaking on his 38th Diksha Day that every monk should think for Swadhyay, Dhyan and to do service of fellow monk. He should try to lessen Kashay. |
News3: | Acharya Mahashraman addressed functionary of Mewar Conference and expressed his desire to see addict free society. He also told to work for personality development. |
News in Hindi:
आचार्य महाश्रमण का भाणा में जगह-जगह स्वागत
आचार्य महाश्रमण का भाणा में जगह-जगह स्वागत
श्रावक- श्राविकाओं ने भावभीना अभिवादन कर अगवानी की
राजसमंद 17 May-2011(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
तेरा पंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण सोमवार को धोइंदा से विहार कर समीपवर्ती भाणा गांव पहुंचे। गांव से लगभग दो किलोमीटर पहले से श्रावक- श्राविकाओं ने भावभीना अभिवादन कर अगवानी की। जैन समुदाय के लोगों ने आचार्य प्रवर के दर्शन कर जयकारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। महिला मण्डल की सदस्यों ने भगवान महावीर के चौदह स्वप्न रूप से एवं गीतिका से स्वागत किया वहीं ज्ञानशाला के नन्हे मुन्नों ने कागज के फूलों को लहराकर अभिनंदन किया। बैंड बाजे के साथ तेरा पंथ सभा, तेरा पंथ युवक परिषद के कार्यकर्ता, महिला मंडल, कन्या मंडल के सदस्य एवं ज्ञानार्थी जुलूस के रूप में आगे आगे चल रहे थे एवं पीछे आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ गतिमान थे। रास्ते में जगह जगह लोगों
आचार्य का दीक्षा दिवस
17 May-2011(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
आचार्य महाश्रमण ने अपने 38वें दीक्षा दिवस के अवसर पर कहा कि रणक्षेत्र में जैसे योद्धा अपनी तथा दूसरों की रक्षा करता है। इसी प्रकार साधु की चर्या में स्वाध्याय, ध्यान, सेवा, आत्म चिंतन, कषाय मंदता का अभ्यास होना चाहिए। इससे उसका स्वयं तथा दूसरों का कल्याण होता है। वैशाख शुक्ला चतुर्दशी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि आज के दिन मुझे सशक्त रूप से कल्याण का पथ प्राप्त हुआ। दीक्षा दिवस संयम ग्रहण एवं निहाल होने का दिन है। यह चिंतन का दिन है कि हम हमारा संयम और अधिक निर्मल बनाएं। हम अधिक जागरूक बने। आचार्य महाश्रमण को दीक्षा प्रदान करने वाले मंत्री मुनि सुमेरमल लाडनूं ने आचार्य प्रवर के विगत वर्षों के अनुभवों पर चर्चा करते हुए कहा कि वे प्रारंभ से ही स्वाध्याय में रत रहते थे तथा कई बार लेटे लेटे ही स्वाध्याय करते रहते थे।
व्यक्तित्व विकास तथा नशा मुक्त समाज की जरूरत-आचार्य महाश्रमण
राजसमंद 17 May-2011(जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो)
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्तित्व विकास तथा नशा मुक्त समाज हो, यही उनकी इच्छा है। अहिंसा यात्रा की प्रेरणा पर मेवाड़ के कई लोगों ने नशा छोडऩे का संकल्प लिया है।