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Amet: 21.01.2012 Move Towards Destination With Courage: Acharya Mahashraman
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प्रयास से ही मिलती है सफलता- आचार्य महाश्रमण
जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो २१ जनवरी २०१२
अमृत महोत्सव प्रवचन माला में आचार्य महाश्रमण ने कहा
आमेट जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो २१ जनवरी २०१२
तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मार्ग सामने है, लेकिन यह कैसा है। इसकी पहचान उस मार्ग पर चलने से ही संभव हो सकती है। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति को मार्ग में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, पर इससे घबराने की बजाय डटकर मुकाबला करने की आवश्यकता है। प्रयास से ही सफलता संभव है। मंजिल इसी मार्ग पर हो, तो किसी भी कठिनाइयों से विचलित होने की बजाय साहस जुटाकर मंजिल की तरफ बढऩे की जरूरत है।
आचार्यश्री आमेट के अहिंसा समवसरण में अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रवचन माला के तहत शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मंजिल निश्चित हो चुकी है और मार्ग बताने वाला भी मिल गया है, तो हमें बिना किसी हिचक से इस ओर अपने कदम बढा लेने चाहिए। आदमी में चलने का पुरुषार्थ होना आवश्यक है। गति मंद भले ही हो, लेकिन बंद न हो। गति तेज या मंद। यह आवश्यक नहीं है इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है गति है या नहीं। उन्होंने पथ को परिभाषित करते हुए कहा कि यह एक धर्म है। वीतराग जिनेश्वर द्वारा बताया गया तत्व ही धर्म है। धर्म का एक प्रकार समता को माना गया है। धर्म को एक ही साधना से करने की अपेक्षा है। धर्म को जैसा रुप दोगे उसी रुप में वह हमारे सामने प्रकट होगा। धर्म एक है, लेकिन साधना करने का स्वरूप अलग-अलग हो सकता है। साधु और श्रावक इसका अनुसरण करते हुए साधना करें तो वह रत्नों की माला के समान बन जाता है। इसमें साधुओं की माला मोटी और श्रावकों की छोटी।